देखो समय प्रतिकूल हुआ है, मंजर में ये वर्वादी है

करैरा। म.प्र. प्रगतिशील लेखक संघ इकाई करैरा एवं हिन्दी सेवा समिति करैरा के तत्वावधान में मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन डा. राजेन्द्र गुप्ता के निवास सर्वोदय चैराहा करैरा पर किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में प्राचार्य श्री गिरिजेश गुप्ता उपस्थित थे । अध्यक्षता श्री घनश्याम योगी गीतकार द्वारा की गई तथा विशिष्ट अतिथि के रुप में श्री रामकुमार शास्त्री एवं मोहन सिंह झण्डा उपस्थित थे।

प्रारंभ में अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती का पूजन किया गया तत्पश्चात श्री मनीष गुप्ता द्वारा समस्त कवियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया गया।

कवि गोष्ठी के आरंभ में श्री प्रभुदयाल शर्मा द्वारा माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की तत्पश्चात गहोई जाग्रति परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रगतिशील लेखक संघ के कोषाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता भारती ने गांधी जी को समर्पित करते हुए कविता पाठ किया।

‘देखो समय प्रतिकूल हुआ है, मंजर में ये वर्वादी है।
चाहे तुम मानो या न मानो, आज जमाना खादी का है।’

तत्पश्चात हौम्योपैथी के प्रसिद्ध चिकित्सक डाॅ0 राजेन्द्र गुप्ता ने अपने कविता पाठ से सभी का मन मोह लिया -

‘ तब यही करना कि, अपने रास्ते चले चलो।
लक्ष्य अंतिम पा सको उस वास्ते बढ़े चलो।। ’’

राष्ट्रवादी कवि एवं प्रसिद्ध मंच संचालक श्री प्रभुदयाल शर्मा ने अपनी श्रेष्ठ कविताओं से श्रोताओं की तालियां बटोरी -

‘कर दो आज गरीबों सब मिल,
ऊंचे स्वर में संघोषण
बन्द करो अब तो शोषण।’

तत्पश्चात श्री रमेश वाजपेयी ने ‘‘ सब चलता है ’’ कविता से गोष्ठी का रूख मोड़ दिया इसके पश्चात प्रगति लेखक संघ इकाई करैरा के अध्यक्ष सतीश श्रीवास्तव ने ‘‘ एक पत्र बापू के नाम ’’ प्रस्तुत करते हुए कविता पाठ किया -

‘रोज सबेरे जीवित पाकर मैं डर जाता हूँ ,
रोज शाम को खुद से हारा मैं मर जाता हूँ।

प्रसिद्ध गीतकार श्री घनश्याम योगी ने मधुर कष्ठ से गीत पढ़ा तो सन्नाटा ख्ंिाच गया -

‘कैसे गाऊं गीत मीत में, आज बसंत बहार का।
सुनना चाहो सुनो याद है, गीत मुझे पतझार का।।’’

साथ ही डा. ओमप्रकाश दुबे श्री केशव शरण श्रीवास्तव रामकुमार शास्त्री ने भी कविता पाठ किया मुख्य अतिथि आसंदी से श्री गिरिजेश गुप्ता ने सभी की कविताओं की समीक्षा करते हुये साहित्यकारों की प्रशंसा की तथा कवि गोष्ठी को इसी प्रकार अनवरत करने का सुझाव दिया।

अध्यक्षता कर रहे श्री घनश्याम योगी ने व करैरा नगर के विद्वान पं. श्री रामकुमार शास्त्री ने प्रस्तुत कविताओं की समीक्षा की तथा करैरा के रचना संचार की भूरिभूरि प्रसंशा की। मंच का संचालन श्री रमेश वाजपेयी द्वारा किया गया तथा आभार प्रदर्शन डा0 राजेन्द्र गुप्ता द्वारा किया गया।