शिवपुरी की खनिजों का विदेशों में कारोबार

शिवपुरी/ प्राकृतिक धरोहरों को अपने में समेटे शिवपुरी जिले की खनिज संपदा में पाये जाने वाले खनिजो में प्रमुखत: पायरोफिलाईट, डायस्पोर, फर्शी पत्थर, स्टोन क्रेशर हेतु पत्थर, रेत, लेटेराइट तथा ग्रेनाइट आदि खनिजों का विदेशों में कारोबार निरंतर जारी है जिससे शिवपुरी की पहचान को विदेशों में भी खासी ख्याति मिली है।

यही वजह है कि आज प्रदेश भर में शिवपुरी की खनिज संपदा श्रेष्ठ बताई गई है और इसके लिए खनिज विभाग निरंतर यही प्रयास करता है कि शिवपुरी की खनिज संपदा चहुंओर चर्चित रहे ओर इसके लिए अवैध कारोबारियों पर जहां सख्त कार्यवाही की जाती है तो वहीं खनिजों के विस्तार के लिए भी विभाग द्वारा कई योजनाऐं तैयार कर इसका फैलाव बढ़ाया जा रहा है।

वर्तमान में पायरोफिलाइट की 1, फर्शी पत्थर की 63, गिट्टी पत्थर की 25, मुरम-रेत की 18 खदानें संचालित है। इसके अतिरिक्त फर्शी पत्थर की 24 कटिंग-पॉलिशिंग फैक्ट्रियों को खनिज व्यापारी अनुज्ञप्ति जारी की गई है तथा 328 वाहनों का खनिज परिवहन हेतु ई-खनिज में ऑनलाईन पंजीयन किया जा चुका है। खनिज विभाग द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में खनिज राजस्व लक्ष्य शिवपुरी जिले को 850 लाख दिया था जिसके विरूद्ध 916 लख राशि वसूली गई तथा 113 अवैध परिवहन के प्रकरण दर्ज कर 20,77,759 रूपये की वसूली की गई इस हेतु कलेक्टर शिवपुरी तथा खनिज विभाग के अधिकारी-कर्मचारी प्रशंसा के पात्र है। जिला शिवपुरी का फर्शी पत्थर निर्यात किया जताा है इसकी मांग यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड तथा सऊदी अरब आदि देशों में है।

निवेशकों को किया जाता है प्रोत्साहित

जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश भर व विदेशों में फर्शी पत्थर उद्योग को बढ़ावा/प्रोत्साहित करने तथा बाहर के निवेशकों को निवेश करने के उद्देश्य से इसे सरकार के प्रयासों से 13 अक्टूबर 2008 को वन अधिनियम 1980 अंतर्गत केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से अनुमति लेने के पश्चात वन भूमि के 217 हैक्टेय रकवा में, 5 खदानें क्रमश:खांडा, बुधोनराजापुर, लोहरछा, भिलारी तथा टैंहटा म.प्र.राज्य खनिज निगम को स्वीकृत कर उनके द्वारा निविदा प्रक्रिया से ठेके पर दी गई है। 

इन खदानों से खनिज निगम द्वारा आगामी 10 वर्षों में लगभग 7,60,000 घन मीटर फर्शी पत्थर खनिज का खनन-विक्रय किया जावेगा, इस खनन से म.प्र. शासन खनिज साधन विभाग को रॉयल्टी के रूप में लगभग 18,24,00,000 रूपये की राशि प्राप्त होगी तथा म.प्र. राज्य खनिज निगम को 10 वर्षों में 1,08,12,05,000 रूपये की राशि प्राप्त होना संभावित है।