शिवपुरी में स्वयं को असहज महसूस कर रहे थे एसपी रमन सिंह, इसलिए हो गया तबादला

राजू ग्वाल यादव@शिवपुरी। संभवत: अपने पद और गरिमा को कोई ठेस ना पहुंचे या यूं कहें कि शिवपुरी में छोटे से छोटे मामले को लेकर होने वाले मामलों में राजनीतिक दखलदांजी को बर्दाश्त ना करने वाले एस.पी.डा.रमन सिंह सिकरवार को आने से गुरेज था हालांकि वह साफतौर से इस बात को स्वीकार नहीं करते लेकिन महज डेढ़ माह में उनका तबादला होना कुछ इसी ओर इशारा करता है।

वैसे अपने कर्तव्य को पहले प्राथमिकता देना और ईमानदारी का चोला ओढऩे वाले एसपी श्री सिकरवार इस बीच अपने कार्य का ठीक ढंग से निर्वाह नहीं कर पा रहे थे यह भी एक कारण हो सकता है। खैर जो हुआ सो हुआ आने वाला समय नए एसपी केबी शर्मा का है देखना होगा कि वह कैसे शिवपुरी में अपनी कार्यप्रणाली का इस्तेमाल करते है यह देखना काबिलेगौर होगा। 

शिवपुरी में उत्सव हत्याकाण्ड के बाद उपजे तनावपूर्ण हालात को नियंत्रित करने के लिए डेढ़ माह पूर्व भेजे गए एसपी रमन सिंह सिकरवार की उनके विरोधियों को भी शिवपुरी से इतनी जल्द विदाई की कल्पना नहीं रही होगी। उनके स्थान पर अब सीहोर से आए एसपी केबी शर्मा शिवपुरी जिले की कमान संभालेंगे। उनका इतनी जल्दी स्थानांतरण क्यों हुआ? यह सवाल बना हुआ है। हालांकि डॉ. रमन सिंह सिकरवार को जब रतलाम से शिवपुरी भेजा गया था तब वह यहां आने में उत्सुक नहीं थे और उन्होंने अपनी अनिच्छा का कारण भी वरिष्ठ अधिकारियों को बता दिया था। 

इस कारण उनके ताजा स्थानांतरण को उनकी अनिच्छा से जोड़कर अवश्य देखा जा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि यदि ऐसा है तो उन्हें यहां भेजा ही क्यों गया और जब वह यहां आ गए तो उन्हें बंगले में पहुंचने के पूर्व ही स्थानांतरित क्यों कर दिया गया? ऐसा लगता है कि एसपी रमन सिंह सिकरवार शायद भाजपा की चुनावी चौसर पर फिट नहीं बैठे। 

मूल रूप से ग्वालियर निवासी डॉ. रमन सिंह सिकरवार शिवपुरी के लिए अपरिचित नहीं थे। वह पहले भी सन् 91 से 93 तक निवर्तमान एसपी राजेन्द्र कुमार, आरसी छारी और अमलनाथ उपाध्याय के कार्यकाल में रह चुके हैं और यहां के भूगोल से अच्छी तरह परिचित हैं। शायद इसी कारण एसपी के रूप में उन्हें शिवपुरी भेजने के लिए प्रदेश सरकार ने चुना। 

तमाम कारणों से जिनमें पारिवारिक परिस्थितियां भी शामिल हैं, रमन सिंह शिवपुरी नहीं आना चाहते थे, लेकिन उनकी अनिच्छा को महत्व न देते हुए प्रदेश सरकार ने उन्हें शिवपुरी भेज दिया। पदभार संभालते ही डॉ. सिकरवार ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को अपनी कार्यप्रणाली से संदेश दिया कि पुराने दिन अब लद चुके हैं और अब पुलिस प्रशासन उनके अनुरूप कार्य करेगा। उन्होंने सबसे पहले रेड लाइट ऐरिया पर लगाम कसी और लगातार छापामारी का परिणाम यह हुआ कि शिवपुरी का बजरिया मोहल्ला जो वैश्याओं का आवास स्थल है, पूरी तरह से उजड़ गया। 

टे्रफिक में अवैध बसूली पर भी उन्होंने प्रतिबंध लगाए। जुआ और सट्टे पर सख्त कार्रवाई की तथा उनका अगला निशाना वे गुण्डा तत्व थे जो आम नागरिक की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्र चिन्ह है। इस उद्देश्य से कई झूठे-सच्चे मुकदमे कायम किए गए। एसपी सिकरवार अपने दो गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। एक तो उनकी ईमानदारी को उनके कट्टर से कट्टर विरोधी भी कठघरे में खड़ा करने की हिम्मत नहीं रखते और दूसरे उनकी दबंगाई है। 

उनके नजदीकी बताते हैं कि उन्हें पुलिस अधीक्षक के रूप में सिर्फ अपने कार्य से सरोकार रहता है और नेताओं की चापलूसी तथा चाटूकारिता से वह दूर रहते हैं। उनके पदभार संभालने के पश्चात भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से लेकर यशोधरा राजे सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी आए, लेकिन श्री सिकरवार किसी की भी हाजिरी बजाने नहीं गए। शायद यह एक कारण उनकी इतनी जल्द विदाई का हो सकता है। हालांकि उनके समर्थक इससे इंकार करते हैं और कहते हैं कि वह खुद यहां नहीं रहना चाहते, लेकिन यह दलील इसलिए गले नहीं उतरती कि फिर उन्हें शिवपुरी भेजा ही क्यों गया था।