विधानसभा सीटो को लेकर भाजपा-कांग्रेस पशोपेश में, हलचल तेज

शिवपुरी। प्रदेश में भले ही सत्ता भाजपा की है और जिले की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा का कब्जा है। इनमें से दो पर पिछले चुनाव में कांग्रेस की जमानत जप्त हुई थी। लेकिन इसके बाद भी इस चुनाव में भाजपा का रास्ता उतना आसान नहीं है। पांचों सीटों पर मजबूती से चुनाव लडऩे के लिए कांगे्रस कमर कसे बैठी है।

पार्टी आला कमान के दवाब के कारण किसी भी सीट पर नूरा कुश्ती की संभावना नहीं है और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पास मजबूत उम्मीदवारों का टोटा नहीं है। दूसरी ओर भाजपा की हालत अधिक खराब है। उसके पास यशोधरा राजे सिंधिया के अलावा किसी भी सीट पर ऐसा सक्षम प्रत्याशी नहीं है जिसे टिकिट दिया जाना जीत की सुनिश्चित गारंटी हो और यशोधरा फेक्टर के बिना तो भाजपा का भगवान ही मालिक है।

सबसे पहले शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र की ही बात करते हैं। यहां भाजपा सिर्फ और सिर्फ यशोधरा राजे के भरोसे आश्रित है। निश्चित रूप से उनकी मजबूती में कोई शंका नहीं है, लेकिन वह चुनाव लड़़ेंगी अथवा लोकसभा चुनाव में मैदान मेें उतरेंगी यह अभी कोई कहने की स्थिति में नहीं है। लेकिन यदि उन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा तो भाजपा के पास कोई दूसरा सक्षम उम्मीदवार नजर नहीं आ रहा। जबकि कांग्रेस के पास उम्मीदवारों का कोई टोटा नहीं है।

यहां से वीरेन्द्र रघुवंशी का टिकिट लगभग तय माना जा रहा है और उनकी मजबूती तथा जनाधार में कोई शंका की गुंजाइश नहीं है। श्री रघुवंशी का भले ही उनके सिंधिया खेमे में विरोध हो, लेकिन जनता में उनकी मजबूत पकड़ आक्रामक छवि के कारण है। श्री रघुवंशी का टिकिट लगभग तय माना जा रहा है। उनके  बाद भी कांग्रेस में उम्मीदवारों की कमी नहीं है। राकेश गुप्ता, राकेश जैन, अजय गुप्ता जैसे उम्मीदवार टिकिट की कतार में है। पोहरी में भी भाजपा के पास प्रहलाद भारती का कोई विकल्प नहीं है और जो नाम चल भी रहे हैं वह हास्यास्पद अधिक प्रतीत होते हैं जबकि कांगे्रस में सुरेश राठखेड़ा, हरिवल्लभ शुक्ला, राजेन्द्र पिपलौदा, विनोद धाकड़, लक्ष्मीनारायण धाकड़, जैसे सक्षम और जीतने वाले उम्मीदवार कतार में हैं। कोलारस में यदि विधायक देवेन्द्र जैन का टिकिट काटे तो भाजपा की समस्या यह है कि किसे टिकिट दें। ले देकर उनके अनुज जितेन्द्र जैन का नाम ही उभरता है।

लेकिन इससे भी परिवर्तन की झलक नहीं मिलती है जबकि कांग्रेस में पिछला चुनाव महज 150 मतो से हारे रामसिंह यादव के अलावा मजबूत उम्मीदवारों की एक लंबी फेहरिस्त है। इनमें बैजनाथ सिंह यादव, वीरेन्द्र रघुवंशी, रविन्द्र शिवहरे, बंटी रघुवंशी जैसे नाम हैं। करैरा में रमेश खटीक के अलावा भाजपा के पास स्थानीय उम्मीदवारों का टोटा है। हालांकि ओमप्रकाश खटीक का नाम भी चर्चा में हैं, लेकिन बाहरी उम्मीदवार होने के कारण वह कितनी मजबूती धारण कर पाएंगे। यह एक बड़ा सवाल है। जबकि कांगे्रस की ओर से यहां शकुंतला खटीक की उम्मीदवारी की चर्चा है। उनके अलावा पूरन सिंह बेडिय़ा, योगेश करारे, केएल राय, जसवंत जाटव जैसे नाम भी चर्चा में हैं।

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