जिला चिकित्सालय को मध्यप्रदेश का आदर्श अस्पताल बता गए प्रमुख सचिव

शिवपुरीवासियों के लिए इस महीने या यूं कहिए कि इस साल का सबसे बड़ा चुटकुला। अपना जिला चिकित्सालय जहां लापरवाही के कारण आए दिन मरीजों के परिजन डॉक्टरों पर हमले किया करते हैं, उसे चिकित्सा विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण ने मध्यप्रदेश का आदर्श अस्पताल बताया है। अब हंसिए, फिर रुकिए और अब रो​इए अपनी किस्मत पर कि इस अस्पताल का अब कुछ नहीं हो सकता। ये तो सर्टिफाइड हो गया।

मीडिया द्वारा प्रेसवार्ता में कई मुद्दों को स्वास्थ्य से संबंधित उछाला गया लेकिन इन सभी सवालों को प्रमुख सचिव श्री प्रवीर कृष्ण एक टका से जबाब देते हुए केवल अपनी ही बातें कही जो उन्हें प्रदेश शासन द्वारा दिए गए दिशा निर्देशानुसार कहना था। आखिरकार आगामी समय में आने वाले विधानसभा चुनावों में भी तो सत्ताधारी दल को सत्ता पुन: लेना है तो इसके लिए सुशासन शिविर, स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न योजनाऐं और अब स्वास्थ्य के प्रति सजग प्रहरी के रूप में अभियान स्तर पर भ्रमण करने निकले प्रमुख सचिव का दौरा, जिसमें पूरी की पूरी योजनाऐं इस प्रकार से बताई गई कि इन योजनाओं को जनहितैषी बताकर प्रमुख सचिव ने जनता-जनार्दन को भाजपा के प्रति झुकाव ला दिया हो।

बात चाहे चिकित्सकों की मनमर्जी ड्यूटी की हो अथवा ट्रामा सेंटर में फैली अव्यवस्थाओं या मरीजों के साथ होने वाले खिलवाड़ की इन सभी बातों को प्रमुख सचिव ने कोई तवज्जो नहीं दी और केवल अपनी ही बात वे मीडिया के सम्मुख कहते रहे। इस दौरान एक सवाल आया कि वर्षों से चिकित्सक पदस्थ है वे अस्पताल में कम लेकिन घर पर मरीज अधिक देखते है इस पर प्रमुख सचिव का कहना था कि हम अस्पताल की जिम्मेदारी तो लेते है लेकिन घर पर अस्पाल की ड्यूटी के बाद कुछ भी कर सकते है। सवाल यह भी आया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो झोलाछाप चिकित्सकों की सूची जारी की गई जिसमें कई जगह झोलाछापों के उपचार से मरीजों की मौतें भी हुई, इस बारे में आप क्या कार्यवाही करेंगें तो इस बारे में प्रमुख सचिव ने साफ तौर से झोलाछाप चिकित्सकों को अभयदान देते हुए कह दिया कि  हम व्यवस्थाओं को सुधारेेंगें तो झोलाछाप चिकित्सकों की दुकानें स्वत: ही बंद हो जाऐंगी।

यह जबाब सुनकर पत्रकार भी दंग रह गए खैर प्रमुख सचिव है तो कोई ना कोई योजना बनाकर ही काम किया होगा या करेंगें। वर्ष 2006 में संविदा परिवार कल्याण केन्द्र परामर्शदाता जिन्हें शासन स्तर से वर्ष 2010 में बिना बताए हटा दिया गया, इस बारे में प्रमुख सचिव ने कहा कि हम देखेंगें कि क्या होगा जो उचित होगा क्या जाएगा, इस तरह कई सवालों के अनमाने से जबाब देकर प्रमुख सचिव ने पूरी प्रेसवार्ता में शासन की योजनाओं का ही बखान किया। स्वास्थ्य संविदाओं की हड़ताल पर बोलते हुए प्रमुख सचिव ने कहा कि संविदा के रूप में दी जाने वाली नौकरी का प्रोत्साहन स्वरूप जो राशि मिलती है प्रदान की जा रही है जिसमें भी 28 प्रतिशत वेतन की वृद्धि शासन द्वारा कराई गई है।
टूरिस्ट बिलेज के सभाकक्ष में आयोजित स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक में संचालक लोक स्वास्थ्य विभाग डॉ.पी.एन.एस.चौहान, कलेक्टर आर.के.जैन, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ.निधि व्यास, यूनिसेफ  प्रतिनिधि डॉ.गगन गुप्ता, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ.ए.के.गुरा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एल.एस.उचारिया, सिविल सर्जन डॉ.गोविन्द्र सिंह, जिला मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय ऋ षिश्वर, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ.अल्का त्रिवेदी, वीएमओ पोहरी चंद्रशेखर गुप्ता, यूनिसेफ कॉडिनेटर ज्ञानेन्द्र दुबे के आलावा, अनेक शासकीय चिकित्सक उपस्थित थे।

प्रमुख सचिव ने बताई शासन की यह योजनाऐं

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने कहा कि मातृ मृत्यु दर को राष्ट्रीय मानको से भी कम लाने के लिए प्रदेश ने जो रणनीति बनाई है। उसे ममता अभियान का नाम दिया गया है। मातृ मृत्यु दर के प्रमुख कारण है, समय पूर्व समुचित जांच का अभाव, रक्त की कमी और रक्तचाप के बारे में पूरी जांच ना होना असुरक्षित गर्भपात, संक्रमण, अवरूद्ध प्रसव के अलावा समय पर आवागमन के संसाधन उपलब्ध ना हो पाना होते है। विभाग इन सभी कठिनाईयों को दूर करने का प्रयास कर रहा है। इस वित्तीय वर्ष में इस अभियान के लिए 62 करोड़ से अधिक राशि का वंटन रखा गया है और वेतन भत्ते इत्यादि के लिए 60 करोड़ रूपयें का वंटन रखा है। डॉक्टरों की कमी को शीघ्र अतिशीघ्र दूर करने के लिए प्रदेश में 2 हजार से अधिक डॉक्टरों की भर्ती की जा रही है एवं 4 हजार से अधिक नर्सो की भर्ती की जा रही है। इस तरह मध्यप्रदेश के सभी 50 जिलों में डॉक्टर तथा नर्सों की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जावेगा। प्रमुख सचिव ने जिला चिकित्सालय शिवपुरी को एक आदर्श और श्रेष्ठ चिकित्सालय के रूप में स्थापित करने के लिए बल देते हुए कहा कि शिवपुरी जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन लगभग 2 हजार मरीजों का उपचार किया जाता है। यहां 147 दवाओं की तुलना में लगभग 200 दवाऐं उपलब्ध है। जो जरूरतमंद मरीजों को बांटी जा रही है व 48 प्रकार की जांचे की जा रही है। उन्होंने कहा कि शिवपुरी जिला चिकित्सालय प्रशिक्षण हेतु विकसित किया जावेगा।