लैंड क्लीयर ना होने के कारण देवास शिवपुरी फोर लाईन प्रोजेक्ट को लगा जोर का झटका

ललित मुदगल/ शिवपुरी-प्रस्तावित फोरलेन प्रोजेक्ट का कार्य इन दिनों लैंड क्लीयर ना हो पाने के कारण अधर में लटका हुआ है। एक तरह से देखा जाए केन्द्री मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस महत्वपूर्ण इस प्रोजेक्ट को जोर का झटका धीरे से लगा है। शिवपुरीवासियों के लिए 3900 करोड़ की राशि से बनने वाले इस प्रोजेक्ट में लैंड क्लीयर ना होने के कारण यह कार्य अब अधर में लटक गया है और इसके पुन: शुरू के लिए प्रयास भी तेज कर दिए गए है देखना होगा कि आगामी समय में कब तक इस प्रोजेक्ट को कानूनी-दांवपेंच से मुक्ति मिल सकेगी।


यहां ए.बी.रोड से संबंधित केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी देवास-ग्वालियर मेगा फोरलेन प्रोजेक्ट गहरे संकट में फंस गया है। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया(एन.एच.ए.आई.) ने हैदराबाद की जिस जीवीके कंपनी को देवास-शिवपुरी टू लेन रोड को फोरलेन में बदलने से मना कर दिया है इसके बाद एनएचएआई ने कंपनी द्वारा जमा करीब 140 करोड़ रूपए की परफोर्मेंस गारंटी जब्त करने का मन बना लिया था लेकिन इसी बीच कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट की शरण ले ली।

माना जा रहा है कि आर्थिक परेशानियों के कारण कंपनी प्रदेश के इस पहले मेगा फोर लेन प्रोजेक्ट से दूर हुई है फिलहाल मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। पूरे मामले को लेकर एनएचएआई के अफसरान सकते में है। लगभग 450 किमी लंबा देवास-शिवपुरी-ग्वालियर मेगा फोरलेन प्रोजेक्ट का काम एनएचएआई ने दो हिस्सों शिवपुरी-देवास और शिवपुरी-ग्वालियर में अलग-अलग कंपनियों को सौंपा था। करीब 332 किमी लंबे देवास-शिवपुरी फोरलेन के लिए 9 जनवरी 2012 को जीवीके कंपनी को बतौर कांटे्रक्टर काम दिया गया था। जिसे 30 महीने में पूरा होना था।

यहां काम शुरू नहीं होने के पीछे अब तक तो समय पर भू-अर्जन ना होना सबसे अहम वजह मानी जा रही थी लेकिन अब कहानी बदल गई है। 135 किमी लंबे शिवपुरी-ग्वालियर फोरलेन रोड का काम एस्सल कंपनी को करना है। हालांकि अभी इसकी शुरूआत भी नहीं हुई है। अब देखना होगा कि भविष्य में यह प्रोजेक्ट कब पूरा होता है।

देवास-ग्वालियर फोरलेन को मिली वन एवं पर्यावरण से मंजूरी

हाल ही में केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने देवास-ग्वालियर फोरलेन प्रोजेक्ट के लिए अपने हिस्से की 40 हेक्टेयर लैंड देने की मंजूरी दी है। अकेले देवास-शिवपुरी प्रोजेक्ट के लिए एनएचएआई को करीब 2200 हेक्टेयर जमीन चाहिए जिसमें से आधी उसके पास है बची जमीन लेने के लिए लैंड भी बेहद धीमी गति से हो रहा है। शिवपुरी-ग्वालियर सेक्शन में ज्यादातर भूमि वन विभाग की है।

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