भाजपा का महाजनसंपर्क बना दिखावा, रस्म अदायगी में निपटा अभियान

शिवपुरी-देखा जाए तो भाजपा ने अपना महाजनसंपर्क अभियान इसलिए शुरू किया था ताकि हर घर और हर गांव में भाजपा की रीति नीति से लोगों को अवगत कराया जाएगा लेकिन यहां देखने में आ रहा है कि जब से यह महाजनसंपर्क अभियान शुरू हुआ है इसमें काम कम दिखावा ज्यादा हुआ है।

 महज रस्म अदायगी और खानापूर्ति तक यह महाजनसंपर्क अभियान सिमटता नजर आ रहा है। ऐसे में भाजपा को यह अभियान सफलता की ओर नहीं बल्कि विफलता की ओर ले जाने में सहायक साबित हो रहा है। प्रदेश शासन की योजनाओं को कुछ ही क्षेत्रों में घूमकर महाजनसंकर्प करने वाले भाईजपाई केवल पत्रक फेंककर और हाथों में सौंपकर इस अभियान की पूर्ति करने में लगे हुए है। हालांकि यह अभियान अभी 25 मार्च तक चलेगा लेकिन वर्तमान हालातो में देखा जाए तो अभियान का कोई औचित्य यहां नजर नहीं आता।

इस बार चुनावी वर्ष में भाजपा ने प्रदेश व्यापी अभियान के तहत 25 फरवरी से 20 मार्च तक महा जनसंपर्क अभियान का शंखनाद किया है। इस अभियान के तहत भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर शिवराज सरकार की उपलब्धियां आम जनता तक पहुंचाना है, लेकिन जिले में संगठन की शिथिलता के कारण यह अभियान महज रस्म अदायगी तक सीमित होकर रह गया है। इसके प्रति न तो कार्यकर्ताओं में उत्साह और न ही आम जनता में इसके लिए रूचि देखी जा रही है। महा जनसंपर्क अभियान को सिर्फ अखबारों और फोटो सेशन तक सीमित रख दिया गया है।

स्थानीय भाजपा में चुनाव न हो पाने के कारण यह अभियान गति नहीं पकड़ पा रहा है। भाजपा कार्यकर्ता शहरी क्षेत्र में वार्ड-वार्ड और ग्रामीण क्षेत्रों में जनता के बीच जाने का स्वांग तो रच रहे हैं। रोजाना समाचार पत्रों में समाचार भी छपवाए जा रहे हैं, लेकिन असलियत यह है कि इसमें अधिकांश कार्यकर्ताओं को रूचि नहीं हैं और संगठन भी उन्हें निर्देशित करने में सफल नहीं हो पा रहा है।

कार्यकर्ता प्रतिदिन दो से तीन घंटे वार्डों में भ्रमण तो कर रहें हैं, लेकिन शिवराज सरकार की उपलब्धियों का बखान करने के स्थान पर वे जनता से यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि सरकार जो काम कर रही है वह आप सब जानते हैं। इस अभियान में कुछ बड़े नेताओं ने दूरी बनाए रखी है और इसका एक प्रमुख कारण यह है कि जनता के बीच पहुंचने पर उन्हें सवालों का सामना करना पड़ सकता है।

विदित हो कि शिवपुरी में भाजपा जिलाध्यक्ष का फैसला अभी लटका हुआ है और जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत पर कभी भी मनोनयन के जरिए गाज गिर सकती है। यही हाल शहर अध्यक्ष ओमप्रकाश जैन ओमी का है। सर्वसम्मति न बनने पर नगर अध्यक्ष का चुनाव भी नहीं हो पाया और नगर अध्यक्ष का भी जिलाध्यक्ष के समान मनोनयन होना है। लेकिन जिन ब्लॉकों में चुनाव भी हो चुके हैं। वहां भी कार्यकर्ता मनोबल कमजोर होने के कारण अभियान से पूरे दिल से नहीं जुड़ रहे। वरिष्ठ भाजपा नेता भी कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देशित करने में असफल साबित हुए हैं।