उत्सव हत्याकाण्ड : क्या अपने पैरों में इन कांग्रेसियों ने मेंहदी लगा रखी थी...?

ललित मुदगल/शिवपुरी-आगामी समय में आने वाले विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत कांग्रेस पार्टी को ऐसे समय में जहां पार्टी को मजबूत और संगठित करने की आवश्यकता है लेकिन शिवपुरी में जो हालात और परिस्थितियां समय-समय पर निर्मित होती है उनसे आभास होता कि एक बार फिर से शिवपुरी में कांग्रेस की सीटों का टोटा रहेगा और आपसी मन-मुटाव झगड़ों के चलते कांग्रेस आपस में ही पिटती नजर आएगी।

इसका जीता जागता नजारा गत दिवस देखने को मिला जब केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्देश पर विधायक दल के लगभग आधा दर्जन नेता उत्सव काण्ड से आहत होकर शिवपुरी आए और यहां गोयल परिवार से शोक संवेदना के बाद जब वे मीडिया से मुखातिब हुए तो यहां कांग्रेसी आपस में उलझते नजर आए। 

यहां तक तो ठीक ठाक था लेकिन जब जैसे ही प्रेसवार्ता समाप्त हुई कि मौके पर मौजूद विधायक दल केसामने ही पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला, जिलाध्यक्ष रामसिंह यादव, हरवीर रघुवंशी ने कहा कि पूर्व विधायक ने संगठन को साथ लेकर कांग्रेस बंद में सहयोग प्रदान नहीं किया और स्वयं सहित कुछ अन्य कांग्रेसियों को लेकर बंद कराने निकल गए जबकि सभी को साथ लेकर चलना था।

इस पर वीरेन्द्र रघुवंशी ने पूर्व विधायक हरबिल्लभ और जिलाध्यक्ष रामसिंह यादव पर कांग्रेस को संगठित ना करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब कांग्रेस ने बंद का ऐलान कर दिया था तो पुलिस ने जिस प्रकार से हमें और अन्य चार कांग्रेसियों को गिरफ्तार कर लिया तो आप(जिलाध्यक्ष रामसिंह यादव,हरिबल्लभ शुक्ला, हरवीर सिंह रघुवंशी व अन्य कांग्रेस नेता) क्यों चुप रहे आप भी सामने आते और प्रदर्शन करते भले ही इसके लिए कांग्रेसियों को गिरफ्तारियां क्यों ना देना पड़ती। 

कुल मिलाकर अपने राम का तो यही कहना है उत्सव हत्याकाण्ड में जनाक्रोश पूरे सैलाब पर था। पूरा शहर भाजपा के जनप्रतिनिधियों को कोस रहा था। ऐसे में कांग्रेस का शहर बंद कराना भाजपाईयों को रास ना आया। अपने राम के सूत्र बता रहे हैं कि   कुछ भाजपाई व कांग्रेसियों ने प्रशासन से मिलकर वीरेन्द्र रघुवंशी को पहला टारगेट बनाया। जैसे ही यह संदेश शहर भर में गया कि वीरेन्द्र रघुवंशी को मोटरसाईकिल से जाते हुए पुलिस ने पकड़ लिया है। कांग्रेसियें का पूरा अभियान धाराशायी हो गया है। 

अपने राम का तो यह भी कहना है कि बंद कराने के एक दिन पूर्व कांग्रेसियों की प्रशासन से बातचीत भी हुई थी कि हम धारा 144 का सम्मान करते हुए दो मोटरसाईकिलों पर चार कांग्रेसी बैठकर व्यापारियों से नम्रता पूर्वक दुकानें बंद कराने का निवेदन करेंगें। लेकिन शहर तो उत्सव की हत्या पर शोक मग्न के रूप में स्वत: ही बंद था। 

लेकिन प्रशासन ने दमनकारी नीति अपनाते हुए वीरेन्द्र रघुवंशी को एक मोटरसाईकिल से जाते हुए गिरफ्तार कर लिया और कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के घर को छावनी बना लिया। कांग्रेसियों ने इस स्थिति को देखा तो उन्होंने मानसिक रूप से अपने हथियार डाल दिए। वहां पर केवल 4 कांग्रेसियों की गिरफ्तारी ही हो पाई। जिलाध्यक्ष कार्यालय से मीडिया को बार-बार मैसेज आ रहा था कि जिलाध्यक्ष साहब मीटिंग ले रहे है। 

अपने राम का यह भी कहना है कि इस परिस्थिति में जिलाध्यक्ष साहब कौन सी मीटिंग ले रहे थे कांग्रेस ने शहर को बंद कराने का आह्वान किया, सड़क पर एक कांग्रेसी नहीं था सब अपने दड़वे में दुबके बैठे थे मानो ऐसा लग रहा था जो अंदर मीटिंग चल रही है उसमें सिर्फ एक ही एजेण्डा था कि कैसे पुलिस के लठ्ठों से बचा जाए और बिना गिरफ्तारी के ज्ञापन कैसे सौंपा जाए। किसी ना किसी तरह यह युक्ति बनाई गई अपने दड़वे से ही प्रशासन को ज्ञापन दे दिया जाए और वह इसमें सफल भी हो गए। 

अब जो कांग्रेस के लिए काम कर रहा है उस पर आरोप लगाना कहां की नीति है, कांग्रेस के उस दिन के लचर प्रदर्शन को देखकर पूरा शहर एक राय में कह रहा था कि कांग्रेसियों के पैरों में आज मेंहदी लगी हुई है...।