कागजों में दौड़ते जननी सुरक्षा वाहन, प्रसूता को घंटो करना पड़ा इंतजार

शिवपुरी-जिला अस्पताल में प्रसूताओं को वाहन से घर से लाने और घर तक ले जाने के लिए शासन की जननी सुरक्षा योजना की धज्जियां उड़ रही हैं। यह नजारा आज जिला अस्पताल में देखने को मिला। जब तीन घंटे तक प्रसूता महिला को घर तक छोडऩे के लिए नहीं मिला। बाद में परेशान होकर श्रीमती रीना चौधरी को उनके परिजन निजी वाहन से घर ले जाने को विवश हो गए। जिला मुख्यालय पर जब जननी एक्सप्रेस की यह हालत है तब दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पुरानी शिवपुरी निवासी श्रीमती रीना चौधरी पत्नि वीरेन्द्र चौधरी ने दो दिन पहले जिला अस्पताल में शिशु को जन्म दिया था। आज उनके परिजन उन्हें वाहन से ले जाने के लिए कॉल सेंटर पर पहुंचे तो श्रीमती चौधरी के पति वीरेन्द्र से कॉल सेंटर प्रभारी ने कहा कि थोड़ी देर में वह उन्हें बताता है कि किस वाहन से जाना है। इसके पश्चात कॉल सेंटर प्रभारी ने फोन कर बताया कि वाहन क्रमांक 1077 प्रसूता महिला को घर तक छोड़कर आएगी। 


इस पर श्री चौधरी ने वाहन चालक की तलाश की तो उसने कॉल सेंटर प्रभारी की बात मानने से इंकार कर दिया और दूसरी प्रसूता महिला को छोडऩे पोहरी चला गया। इसके बाद कॉल सेंटर प्रभारी ने वीरेन्द्र चौधरी से कहा कि वाहन क्रमांक 1286 से उनकी पत्नि को घर तक छोड़ा जाएगा। लेकिन उक्त वाहन के चालक ने प्रभारी की बात नहीं मानी और गाड़ी की चाबी फेंक दी। मजे की बात तो यह थी कि पहले ही वीरेन्द्र चौधरी से लिखवा लिया गया था कि उनकी पत्नि को वाहन से घर से अस्पताल लाया और छोड़ा गया है। 

इसकी शिकायत श्री चौधरी ने अस्पताल अधीक्षक डॉ. गोविंद सिंह से की। बाद में डॉ. गोविंद सिंह ने कॉल सेंटर प्रभारी को निर्देश दिया कि दोनों चालकों को नोटिस देकर उनके विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाए। दोपहर 12:30 बजे काफी इंतजार करने के बाद वीरेन्द्र चौधरी अपनी पत्नि को ऑटो के जरिए घर ले गए।

अस्पताल में नहीं मिलती लिखी दवा

प्रसूता महिला श्रीमती रीना चौधरी को अस्पताल में पदस्थ लेडी डॉक्टर अंजना जैन ने बीटाडिन ट्यूब लिखी, लेकिन उक्त ट्यूब अस्पताल के स्टोर में मौजूद नहीं थी। सवाल यह है कि ऐसी दवाएं क्यों लिखी जाती हैं जो अस्पताल में मौजूद नहीं हंै। ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण जिला अस्पताल में सामने आ रहे हैं।