शिवपुरी-अंचल के लिए बड़ी उपलब्धियों में गिनी जाने वाली सिंध परियोजना पर इन दिनों दोशियान कंपनी की हीला हवाली के बादल मंडाराने लगे है। यहां दोशियानी कंपनी को हुए करोड़ों के भुगतान में नपा ने जिस तरह से प्रोजेक्ट को मिली आधी राशि के लगभग पेमेण्ट कर दी है ऐसे में कई जगह जहां निर्माण कार्य अधूरा है तो वहीं योजना भी अधर में लटकी है ऐसे में इस कंपनी के गेम में बड़े-बड़े गैम्बलर शामिल है जो इन दिनों सिंध परियोजना को लेकर अपनी व्यवस्था जुटाने में लगे हुए है।
शिवपुरी शहर की प्यास बुझाने के लिए बड़ी मेहनत से आई सिंध जलावर्धन योजना के काम में दोशियान कंपनी ने जिस प्रकार से लेटलतीफी दिखाई है उससे इस परियोजना का लाभ शहरवासियों को नहीं मिल पा रहा है। कंपनी ने स्थानीय कुछ जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर सांठगाठ करके जनता के साथ धोखा किया। इस परियोजना को शुरू हुए कई साल गुजर गए मगर आधा-अधूरा काम आज भी लटका पड़ा है। नगर पालिका से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस कंपनी को नियमों से परे जाकर करीब 35 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है। इस परियोजना की लागत करीब 80 करोड़ रूपये की है और अभी तक इस कंपनी को आधा भुगतान कुल परियोजना लागत का हो चुका है। काम की जमीनी हकीकत यह है कि अभी आधा काम भी नहीं हुआ है।
दोशियान कंपनी को लाभ पहुंचाने के इस खेल में बड़े-बड़े लोग शामिल है। इन बड़े-बड़े लोगों में नगर पालिका के कुछ जनप्रतिनिधि और कुछ अधिकारी भी शामिल है। इन लोगों ने सांठगांठ करके इस शासकीय योजना को पलीता लगा दिया है। जनप्रतिनिधियों ने अपने कमीशन के लालच में इस खेल को अंजाम दिया। सूत्र बताते हैं कि नगर पालिका से जुड़े एक प्रतिनिधि ने करोड़ों रूपये के एवज के भुगतान में 5 प्रतिशत तक का कमीशन खाया है। जनता को इस योजना का लाभ जल्द मिल सकता था मगर इस जनप्रतिनिधि ने जनता के हित की बात सोची नहीं। निजी हित इस जनप्रतिनिधि का हावी रहा। करोड़ों रूपये के भुगतान प्रक्रिया में कमीशन लेकर अपना हित साधा गया और आज शहर की जनता पेयजल समस्या से जूझ रही है। सन् 2007 में इस परियोजना को मंजूरी मिली मगर 2013 चल रही है और योजना का काम आधा भी नहीं हुआ है।
भाजपा को भुगतना पड़ सकता है खामियाजा
शिवपुरी शहर में गहराए पेयजल संकट के निदान के लिए सिंध प्रोजेक्ट के तहत जलावर्धन योजना के आने से स्थानीय लोगों ने सोचा था कि पेयजल समस्या का निदान हो जाएगा मगर नगर पालिका में बैठे भ्रष्ट अधिकारी और कमीशनखोर जनप्रतिनिधियों ने जिस प्रकार से कंपनी के आगे नतमस्तक होकर भुगतान किया है उससे अब भाजपा को नुकसान होगा। सन् 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा किस मुंह से जनता के समक्ष वोट मांगेंगी। सन् 2007 में जनदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिवपुरी की पेयजल समस्या के निदान के लिए बड़े-बड़े वायदे किए थे। पूर्व विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने भी इस परियोजना को शिवपुरी में लाने का श्रेय स्वयं के खाते में डाला था मगर आज इस परियोजना की स्थिति जो है वह सबके सामने है। मड़ीखेड़ा से सिंध का पानी में आने में अभी कई वर्ष लग जाऐंगें। योजना की गति और कंपनी द्वारा अपने हित के लिए जनता के साथ जो ठगी की गई है उससे इस परियोजना के पूरे होने पर ही संशय के बादल मंडरा रहे है। सन् 2013 के नवम्बर में विधानसभा चुनाव में इस परियोजना के कारण भाजपा की हालत पतली रहने की संभावना है।
सिंध प्रोजेक्ट पर कांग्रेस ने साधी चुप्पी
एक ओर इस परियोजना के लटकने से भाजपा को तो नुकसान हो ही रहा है लेकिन कांग्रेस ने इस मामले में चुप्पी क्यों साध रखी है वह समझ में नहीं आ रही है। सूत्र बताते हैं कि कमीशनखोरी के इस खेल में भाजपा का एक जनप्रतिनिधि इस खेल में गपा हुआ है और यह बात सबको पता है मगर इस कमीशनखोरी के खिलाफ कांग्रेस ने कोई धरना आन्दोलन और प्रदर्शन क्यों नहीं किया, यह समझ नहीं आ रहा है। जनहित से जुड़े इस मुद्दे पर कांग्रेस यदि आन्दोलन करती तो सीधे तौर पर जनता से जुड़ती। आगामी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ कांग्रेस पार्टी को होता मगर नगर पालिका से जुड़े कांग्रेस पार्षदों द्वारा इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देना तमाम प्रश्र खड़े करता है। कांग्रेस चाहे तो इस मामले में भाजपा को निशाने पर ले सकती है मगर इस मुद्दे पर कांग्रेस के जनप्रतिनिधि चुप्पी साधकर बैठे है।
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