अस्पताल में खामियों से भड़के स्वास्थ्य डायरेक्टर, दो डॉक्टरों को नोटिस

शिवपुरी- स्वास्थ्य सेवाओं के डायरेक्टर डॉ. पी.एन. एस चौहान ने आज जब जिला अस्पताल का निरीक्षण किया और वहां की दयनीय हालत देखकर वे अपने गुस्से को नहीं रोक पाये। उन्होंने सिविल सर्जन डॉ. गोविन्द सिंह और आरएमओ डॉ. ए.एल शर्मा को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें फटकार लगाई।

आईसीयू की खस्ताहालत देखकर वह विफर उठे और उन्होंने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आप लोगों ने पूरे प्रदेश में सभी आधुनिक साधनों से सुसज्जित और सुन्दर अस्पताल की इतनी बुरी हालत कर रखी है। 

आईसीयू वार्ड में सारे गद्दे गंदी अवस्था में अस्त व्यस्त पड़े हुए थे वहां गंदगी का अम्बार लगा हुआ था। ट्रॉमासेंटर की व्यवस्थाओं से भी वह खासे नाखुश नजर आये और उन्होंने सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ. गोविन्द सिंह को फटकारना शुरू कर दिया। इसकी कबरेज करने के लिए जब पत्रकार वहां पहुंचने लगे तो उन्हें आर.एम.ओ डॉ. शर्मा ने उन्हें रोक दिया इस पर पत्रकारों से डॉ. शर्मा की तीखी झड़प हुई। फिर मरीजों के परिजन भी डॉक्टर के आक्रोश का निशाना बने। 


यह स्थिति तब बनी जब अपने तयशुदा कार्यक्रम के तहत संचालक डॉ. चौहान अस्पताल का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे। सूत्रों के अनुसार इस समय स्वास्थ्य विभाग स्वाईन फ्लू के प्रति सचेत है और शायद इसी कारण डॉ. चौहान का निरीक्षण हुआ। मजे की बात तो यह रही कि निरीक्षण की घोषणा के बाद भी अस्पताल में समस्याओं का अम्बार मिला। पूरे अस्पताल में गंदगी के फैलाव को देखते हुए डॉ. चौहान की भोंये चढ़ गई और आईसीयू में व्याप्त गंदगी को देखकर वे अपने आपको रोक नहीं पाये। आईसीयू में गंदे गद्दे नीचे पड़े हुए थे और उन पर मरीजों के परिजन लेटे हुए थे। वार्ड में गंदगी व्याप्त थी और अस्पताल जैसा स्वास्थप्रद वातावरण नजर नहीं आ रहा था। 

डॉ. चौहान बोले की जब आईसीयू की ऐसी हालत है तो समझा जा सकता है कि पूरे अस्पताल की व्यवस्थायें क्या होंगी। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र की आईसीयू की स्थिति से जिले की बदतर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में आसानी से आकलन लगाया जा सकता है। डायरेक्टर के रूख से डॉक्टर सचेत हो गए और जब ट्रॉमासेंटर में डॉक्टर चौहान निरीक्षण करने के लिए पहुंचे तो पत्रकारों को भीतर नहीं घुसने दिया गया। पत्रकारों को रोकने के लिए डॉ. शर्मा स्वयं गेट पर खड़े हो गये। इस पर उनकी पत्रकारों से तीखी झड़प हुई। मरीजों के परिजनों की एन्ट्री भी ट्रॉमासेंटर में रोक दी गई और मरीजों के पर्चे बनना भी बंद हो गये। 

इस पर जब पत्रकारों ने आक्रामक रवैया अपनाया तो अस्पताल प्रशासन के तेवर ढीले हुए। ट्रॉमा सेंटर से निकलने के बाद श्री चौहान ने अस्पताल में प्रवेश किया और वहां पर स्थित सहायता केन्द्र का जब निरीक्षण किया तो वहां भी कमियां पाई गई इसके बाद श्री चौहान ने सिविल सर्जन गोविन्द सिंह को फिर से फटकार लगाई और हिदायत दी की मरीजों को भ्रम में डालने वाले यह स्लोगन यहां से हटाये जाएं और सहायता केन्द्र का मतलब ही यही होता है कि यहां स्वास्थ्य से संबंधित हर तरह की सहायता की जाती है। वहीं उन्हें निशक्त और विकलांग लोगों की परिभाषा भी समझाई। इसके बाद कॉल सेंटर का निरीक्षण किया और बाद में वार्डो में जब भ्रमण किया तो मरीजों ने अस्पताल की अव्यवस्थाओं की जानकारी श्री चौहान को दे डाली। 


डी के बंसल और पीएल गुप्ता को मिलेगा नोटिस!


डॉ. चौहान ने मेडीकल वार्ड के निरीक्षण के दौरान दो डॉक्टर डॉ. डीके बंसल और डॉ. पीएल गुप्ता को कारण बताओ नोटिस देने के निर्देश दिये। इस वार्ड में मरीजों की इंडोर सीट खाली थी और डॉक्टर के घर के पर्चे पर दवा लिखी हुई थी। बैड नम्बर 14 पर मौजूद महिला मरीज को मलेरिया बताया गया था लेकिन उसका टेस्ट आज तक नहीं कराया गया था। डॉ. चौहान ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉ. गुप्ता से कहा कि आपका यह कृत्य आपराधिक है और मैं इसके लिए आपको दो सजायें दूंगा। 


स्वास्थ्य सेवाओं में कमियों को स्वीकार डायरेक्टर ने 


डॉ. चौहान ने निरीक्षण के दौरान कहा कि शिवपुरी का जिला अस्पताल देश के पुअर अस्पतालों में से एक है। जहां व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है। इसके लिए सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ. गोविन्द सिंह को उन्होंने जिम्मेदार ठहराया और सूत्र बताते हैं कि  यहां के हालात देखते हुए उनकी उनके पद से छुट्टी होने की आशंका बढ़ गई है। इस तरह स्वास्थ्य डायरेक्टर श्री चौहान ने यह स्वीकारने से बिल्कुल भी गुरेज नहीं किया कि स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों में शिवपुरी अव्वल है यही वजह है कि इनके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को अच्छी खांसी डांट फटकार का सामना करना पड़ा।