मुनाफा कमाने में जुटे हैं कंट्रोल संचालक, गरीबों को नहीं मिल रहा राशन

शिवपुरी- जिले की अधिकांश शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर उपभोक्ताओं को कैरोसिन सुलभ नहीं हो पा रहा है। बहुत से दुकानदार तो सीधे-सीधे उक्त कैरोसिन का बाजार में मोटे दाम पर विक्रय कर मुनाफा कमा रहे है। इससे उस गरीब जनता को बेहद परेशानी हो रही है। जिनके पास गैस कनेक्शन के लिए पैसे नहीं हैं।

इन्हें अपनी गृहस्थी चलाने के लिए बाजार से 30 से 40 रूपये लीटर में कैरोसिन खरीदना पड़ रहा है जबकि कंट्रोल की दुकानों पर उक्त कैरोसिन की शासकीय दर 14 रूपये 50 पैसे लीटर है। सूत्रों के अनुसार खाद्य विभाग की सांठ-गंाठ से उक्त अवैध कारोबार जारी है और इसमें सत्ता से जुड़े लोगों की भी सहभागिता है। कैरोसिन की कालाबाजारी से गरीब जनता का जीवन दूभर होता जा रहा है।

सिलेण्डरों की सीमित संख्या और बढ़ती मंहगाई के इस दौर में उपभोक्ताओं को जिस तरह से परेशानी उठानी पड़ रही है यह किसी से नहीं छुपी है। सिलेण्डर की बढ़ती कीमतों के कारण ग्रामीणजन और गरीब तबके के लोग सिलेण्डर का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। वे कैरोसिन का उपयोग करके अपने घर दो वक्त का खाना बना पाते हैं। उनको इस दौर में एक सिलेण्डर खरीदना बहुत बड़ी बात हो जाती है। वहीं जिले में कैरोसिन की कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है और अफसर मौन नजर आ रहे हैं। 

पूरे जिले सहित ब्लॉकों के साथ जिलास्तरीय अधिकारियों की संलिप्तता भी नजर आती है। उपभोक्ताओं को उचित मूल्य की दुकानों से कहीं कहीं पर तो कैरोसिन वितरित ही नहीं किया जा रहा है और कहीं लोगों की जागरूकता के बाद भी कम कैरोसिन मापकर दिया जा रहा है। जिसकी शिकायतें आए दिन जनता द्वारा प्रशासन से की जाती हैं, लेकिन उनके शिकायती आवेदन लेकर उन्हें कचरे में डाल दिया जाता है और कालाबाजारी ज्यों की त्यों चलती रहती है। सबसे ज्यादा परेशानी गरीव तबके के लोगों को झेलने पड़ रही है क्योंकि उनके पास न तो सिलेण्डर खरीदने के पैसे हैं और न ही उनका कनेक्शन है। 

वे सिर्फ अपने राशनकार्ड पर मिलने वाले कैरोसिन से ही अपने घर का चूल्हा जला रहे हैं। वहीं जन प्रतिनिधि मंचों से गरीबों के उत्थान की बात करते हैं और वही जनप्रतिनिधि स्वयं इस गौरखधंधे में लिप्त हैं और इसकी मार गरीब जनता को झेलनी पड़ रही है। ऐसा नहीं कि कैरोसिन की कालाबाजारी से खाद्य विभाग अनभिज्ञ हो। इसके बावजूद भी प्रशासन कोई भी कार्रवाई उपभोक्ताओं के हित में करना मुनासिब नहीं समझ रहा है। सूत्रों के अनुसार उचित मूल्य की दुकान के सेल्समैन विभाग के आला अधिकारियों से सांठ-गांठ कर मोटी रकम उनके पास पहुंचाते हैं और गरीबों को वितरित किए जाने वाला कैरोसिन बाजार में मोटे दामों में बेच दिया जाता है और उपभोक्ता अपना राशनकार्ड लेकर कैरोसिन मांगता है तो सेल्समैन उन्हें दुत्कार देता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह कालाबाजारी जोरों पर चल रही है। 

शिकायतों के बावजूद भी जब सेल्समैनों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो कालाबाजारी करने वाले इन नुमाइंदो के हौसले और भी बढ़ जाते हैं। ऐसा नहीं कि इस कालाबाजारी में विभागीय अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधि शामिल नहीं हैं। सभी को जब अपना हिस्सा मिल जाता है तो वह चुप हो जाते हैं और इसकी मार सिर्फ जनता को ही झेलनी पड़ती है।