श्रीमती गेहलोद ने डीईओ को पैसे देकर पटा लिया

शिवपुरी । आदिम जाति कल्याण विभाग शिवपुरी में कार्यरत एक महिला एकाउटेंट की शिकायत सेवा निवृत्त शिक्षक कमरलाल जाटव ने उच्च श्रेणी शिक्षक एवं अधीक्षक आदिवासी बालक आश्रम करारखेड़ा ने फैक्स के माध्यम से आयुक्त आदिवासी विकास भोपाल को की है। इस शिकायत में श्रीमती गेहलोद पर गंभीर आरोप लगाये गए हैं। इस शिकायत के अनुसार श्रीमती गेहलोद ने कार्य मुक्ति बचने के लिए मामननीय उच्च न्यायालय को झूठा शपथ पत्र लेकर स्टे लेने की कोशिश की है। श्रीमती गेहलोद बिना किसी लेन देन के कोई भी कार्य नहीं करती हैं। 

आदिम जाति कल्याण विभाग में एकाउटेंट श्रीमती रामकली गेहलोद विगत 16 वर्ष से स्थापना एवं छात्रावास शाखा का कार्य कर रही हैं। जिन्हें अपने मूल पद एकाउटेंट का कार्य करना अच्छा नहीं लगता है। इस महिला ने 16 वर्ष के कार्यकाल में जनता एवं कर्मचारी हितैशी कोई कार्य नहीं किये गए हैं। केवल उसी का काम करती है जिससे इन्हें पर्याप्त धन लाभ प्राप्त होता है। इनके इसी कार्य प्रणाली के चलते इनकी शिकायत शासन, मंत्री जी, आयुक्त महोदय से की। जिस पर कार्यवाही करते हुए शासन ने इनका ट्रांसफर शिवपुरी से छिंदवाड़ा कर दिया था। 

श्रीमती गेहलोद ने कार्य मुक्ति से बचने के लिए झूठा शपथ माननीय उच्च न्यायालय में देकर स्टे लेने की कोशिश की लेकिन माननीय कोट ने इन्हें स्टे न देकर शासन को लिखा कि शासन चाहे तो इनका ट्रांसफर इनकी इच्छा अनुसार कर सकता है, लेकिन शासन ने इनका आवेदन अस्वीकृत करते हुए इनका ट्रांसफर यथावत कर इन्हें कार्यमुक्त कर दिया। किन्तु श्रीमती गेहलोद, ने अपनी पूरानी कार्य शैली के अनुसार डीईओ शिवपुरी को पैसे देकर पटा लिया है तथा प्रभार सूची का बहाना बनाकर पिछले तारीखों में सारे कार्य कर रही हैं खूब कमा रहीं है और डीईओ साहब को भी दिला रहीं हैं। 

इस शिकायती आवेदन के अनुसार श्रीमती गेहलोद के कार्यनामों के अनुसार इन्हें जेल में होना चाहिए था, 
1. शासन द्वारा निर्धारित अवधी पश्चात माननी प्रभारी मंत्री एवं जिलाधीश की अनुशंसा लिये बगैर 5०-5० हजार रूपए लेकर अधीक्षक बदलना और स्थानांतरण करना 
2. 1-1 लाख रूपए लेकर 11० चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की फर्जी भर्ती करना 
3. 5०-5० हजार रूपए लेकर क्यू आदेश से 3०-4० अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करना

श्रीमती गेहलोद कार्य मुक्त होने के बाद प्रभार सूची बनाने का कार्य विगत एक माह से कर रही है। सूची बनाना केवल एक मात्र बहाना है। वास्तव में अपने द्वारा किये गए कार्यनामों की फाईलें गायब करने में या उनमें हेरा फेरी करने में लगी हुई है। इस काम में श्रीमान डीईओ शिवपुरी आदिम जाति कल्याण विभाग भी इनकी सहायता कर रहे हैं। यदि शासन द्वारा इन्हें उक्त कार्यालय में कार्य करने से नहीं रोका गया तो इनके द्वारा किये गए फर्जी कार्यो के सारे सबूत नष्ट हो जायेंगे और जांच में शासन को कुछ भी हाथ नहीं लगेगा।