2020 से पहले नहीं बनेगी देवास फोरलेन, कंपनी ने फिर मना किया

देवास से शिवपुरी तक फोरलेन रोड का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया है। जमीन अधिग्रहण में देरी के कारण सड़क निर्माण करने वाली कंपनी ने काम करने से मना कर दिया है। साथ ही कंपनी ने बतौर सिक्युरिटी जमा की गई राशि वापस लेने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में केस दायर किया है। ऐसे स्थिति में अब प्रोजेक्ट में और देरी होने का अंदेशा है। साथ ही यह तय माना जा रहा है कि फिर से टेंडर प्रक्रिया होने के बाद सड़क का भविष्य तय होगा।

देवास से शिवपुरी तक करीब 332 किमी की रोड को फोरलेन किया जाना है। 2815 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस रोड का काम हैदराबाद की जीवीके कंपनी को दिया गया था। जानकारी के अनुसार जुलाई 2012 तक भू-अर्जन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्माण कार्य शुरू होना था। निमार्ण कार्य शुरू होने के 910 दिन बाद ((ढाई साल)) कार्य पूरा हो जाना था। इसके विपरीत देवास, शाजापुर सहित अन्य जिलों में भू-अर्जन प्रक्रिया काफी धीमी होने से प्रोजेक्ट शुरू होने में देरी होती गई। 

सूत्रों के अनुसार इसी बात को लेकर रोड बनाने वाली कंपनी ने प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए। साथ ही कंपनी ने बतौर सिक्युरिटी जमा कराई करीब 140 करोड़ रुपए की राशि वापस मांगते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में केस दायर किया है। ऐसे में प्रोजेक्ट फिर अटक गया है। इस मामले में एनएचएआई के अफसरों ने जवाब भी प्रस्तुत कर दिया है और अब उसकी सुनवाई होना है। उधर अफसर संभावना जता रहे हैं कि रोड निर्माण के लिए फिर से टेंडर होंगे। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।


एक साल का समय लगेगा टेंडर प्रक्रिया में

जानकारी के अनुसार टेंडर प्रक्रिया में करीब एक साल का समय लग जाएगा। वर्तमान में जुलाई 2012 में काम शुरू होकर 2014 में रोड का कार्य पूरा होना था। अब यदि फिर से टेंडर होते हैं तो एक साल का समय उसमें बीत जाएगा। इसके बाद वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद 910 दिन में काम पूरा होने के तय होंगे। अब जब सरकारी देरी कर रही है तो कंपनी भी देरी ही करेगी, तय समय सीमा में वैसे भी मध्यप्रदेश में काम नहीं होते। कुछ और भी पेंच फसेंगे और 2020 से पहले यह फोरलेन शायद मध्यप्रदेश के नसीब में नहीं रही। 


जारी रहेगी अधिग्रहण प्रक्रिया


अफसरों की माने तो कंपनी के काम करने से मना करने पर जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया जारी रहेगी। हाल ही में उज्जैन संभागायुक्त ने सभी जिलों के अफसरों को जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।


निर्माण कंपनी ने कार्य करने से मना कर दिया है। फिलहाल हाईकोर्ट दिल्ली में मामले पर सुनवाई होना है। अब फिर से टेंडर होने की संभावना है। 

आई.एम. सिद्दिकी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई