राजू(ग्वाल)यादव/ शिवपुरी। शहर में बढ़ रहे अपराधों को रोकने के लिए
 पुलिस के प्रयास निरंतर जारी है और यही कारण है कि अब तक जो कार्यवाही हुई
 उससे भी अधिक कार्यवाही आगामी समय में की जाएगी। मुझे सख्त नफरत है अवैध 
कारोबारों से साथ ही जुआ, सट्टा, और शराब का खुला कारोबार  भी मैं बर्दाश्त
 नहीं करता, ऐसे कारोबार के खिलाफ ना केवल अभियान जारी है बल्कि भविष्य में
 इस तरह कारोबार को पूर्णत: बंद हो ऐसे मेरे प्रयास होंगे। यह बात की 
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित सिंह जो जिन्होंने हमारे संवाददाता से 
अनौपचारिक चर्चा करते हुए शहर में बढ़े रहे अपराधों को रोकने पर अपने विचार
 व्यक्त किए। 
श्री सिंह ने कहा कि अपराधी को समझाने 
के लिए हमारे द्वारा जो कार्यवाहियां की जा रही है उससे कुछ हद तक तो हमें 
सफलता मिली है लेकिन अभी भी और अन्य प्रयास करनें होंगे। श्री सिंह ने 
बताया कि अभी शहर की कलारियों पर बाहर बैठने वालों ने भी तौबा कर ली तो 
वहीं जुआरियों में भी पुलिस का भय ऐसा है कि वह अब सरेआम जुआ तो नहीं खेलता
 और जहां खेलते भी है और हमें जानकारी मिलती है तो तुरंत इस ओर कार्यवाही 
की जाती है ताकि जुआ खेलनों वालों को मौके पर ही सबक दें तो वह आगे भविष्य 
में इस तरह की गलती दोबारा नहीं करें। अवैध शराब के परिवहन पर श्री सिंह ने
 कहा कि शहर ही नहीं बल्कि जिले में कई जगह अवैध शराब का भण्डारण व परिवहन 
किया जा रहा है। हमें मुखबिर के द्वारा समय-समय पर जानकारी लगती रहती है 
जिस पर कई जगह दबिश देकर भी अवैध शराब को न केवल पकड़ा बल्कि भारी मात्रा 
में जब्ती भी की गई। श्री सिंह ने कहा कि मैं अपने कार्य में किसी भी 
प्रकार की लापरवाही अथवा शिथिलता बर्दाश्त नहीं करता और यही कारण है अपराधी
 अपराध करने से पहले सोचेगा। जब यह नौबत आएगी तो निश्चित मानिए कि शिवपुरी 
में करैरा की भांति साफ-स्वच्छ पुलिस प्रशासन की छवि आमजन में नजर आएगी। 
श्री सिंह ने कहा कि शहरवासियों से आग्रह है कि वह भी अपराधों से बचें और 
गलत कार्यों को ना करें, ऐसा करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही तय है और वह 
भविष्य में इस तरह के कारोबार को ना कर पाऐं ऐसी उन्हें सजा दी जाएगी। यहां
 बता दें कि श्री सिंह साहब ने करैरा क्षेत्र की भांति शिवपुरी में भी 
कार्य करना शुरू कर दिया है जिसका परिणाम है कि अब शहर में सुख- शांति कायम
 है तो वहीं अपराधों में भी कमी आई है। 
सजा देने का है अनूठा अंदाज
देखा
 जाए तो अधिकतर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अपने मातहतों को ऐेसी सजाओं से 
नवाजते है कि वह पुन: गलती ना करे। इसी प्रकार की सजाओं के आदि है अतिरिक्त
 पुलिस अधीक्षक अमित सिंह, जो आए दिन पकडऩे वाले अपराधियों को पहले तो 
समझाईश देते है और यदि उसके बाद भी नहीं अपराधी नहीं मानता तो उसे ऐसी सजा 
दी जाती है कि वह आगे से किए जाने वाले अपराधों से तौबा करने में ही अपनी 
भलाई समझता है। यदि यही रवैया पुलिस के अन्य अधिकारी भी अपना लें तो व दिन 
दूर नहीं जब शिवपुरी का नाम अपराधों की श्रेणी में बहुत कम में गिना जाएगा।
 वैसे बढ़ते अपराधों पर काफी हद तक अंकुश श्री सिंह ने लगाया और यह संदेश 
आमजन में भी गया है तभी तो देखने में आता है कि ना तो कलारी के बाहर उत्पात
 होता है ना ही जुआरी सरेआम दिन में या रात में खुले में जुआ खेल पाते है 
और ना ही सट्टे का कारोबार यहां फल फूल रहा है। ऐेसे में आमजन ने भी इन 
कार्यवाहियों की दिल से प्रश्ंासा की और ऐसे ही पुलिसकर्मी को यहां रहने के
 लिए बार-बार प्रदेश के मुख्यमंत्री व वरिष्ठ अधिकारियों से मांग की है कि 
ऐसे पुलिस अधिकारियों को शिवपुरी में ही बसे रहने दें।
कहीं ये मानवाधिकारों का उल्लंघन तो नहीं?
अवैध
 शराब बेचना, सट्टे का अवैध कारोबार करना और जुआ खेलना ये वे अपराध है 
जिनमें पकड़े आरोपी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर विभिन्न धाराओं के 
तहत दण्ड देने का प्रावधान है लेकिन शिवपुरी में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस 
अधीक्षक अमित सिंह की कार्यवाही से प्रतीत होता है कि वह पुलिस के दायरे से
 कुछ हद तक बाहर जा रहे हों। वैसे चर्चा है कि आए दिन शराबी, जुआरी अथवा 
सटोरियों को पकडऩे के बाद श्री सिंह साब उन्हें सरेआम बेईज्जती करने वाली 
सजाऐं देते है जैसे मुर्गा बनाना, पी.टी.कराना, ऊठा बैठक अथवा घुटनों के बल
 चलना और वहां मौजूद अन्य लोगों से तालियां बजाकर उस आरोपी को हंसी का 
पात्र बनाना। 
यदि यह सभी कानून की दृष्टि से देखी जाए तो बताया गया है कि 
मानवाधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है लेकिन यदि अपराधी और आरोपी 
को ऐसी सजा दी जाए तो वह अपने आप में ही इतना गिर जाता है कि दुबारा इस तरह
 के अपराध में नहीं आता और वह इन अवैध कारोबार को छोडऩे पर ही मजबूर हो 
जाता है। खैर यहां होने वाली अधिकांशत: कार्यवाहियों से आमजन ने राहत ली है
 अब रही मानवाधिकार उल्लंघन की तो यह जब कभी होगा तब देखा जाएगा फिलहाल 
अपराधियों में सिंघम साहब के खौफ का नजारा साफतौर पर देखा जा सकता है। 
