शिवपुरी। सेवानिवृत्त उपपुलिस अधीक्षक भानू प्रताप सिंह तोमर की
पुत्री रागिनी पत्नि जितेन्द्र सिंह की दहेज हत्या के आरोप से उसके पति
जीतू उर्फ जितेन्द्र, ससुर प्रेमसिंह उर्फ धर्मेन्द्र और सास मुन्नीबाई
उर्फ मोहनी को बरी कर दिया गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रभाकांत
शुक्ला ने साक्ष्यों को विश्वसनीय न मानते हुए दोषमुक्त किया है।
इस मामले के अन्य आरोपी मृतिका रागिनी की नंद साधना सिसौदिया और सुधा सिसौदिया, नंदेऊ आनंद सिंह और विवाह में मध्यस्थता की भूमिका निभाने वाले गोपाल गोयल को माननीय उच्च न्यायालय ने पूर्व में ही डिसचार्ज कर दिया था।
अभियोजन की कहानी के अनुसार तीन साल पहले भानुप्रताप सिंह तोमर की पुत्री रागिनी की जीतू उर्फ जितेन्द्र के साथ शादी हुई थी। श्री तोमर के अनुसार शादी के बाद से ही उसके ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताडि़त करते थे। जिससे तंग आकर रागिनी ने आत्महत्या के उद्देश्य से जहरीली गोलियों का सेवन कर लिया था। चाचा रामसेवक ने उसे 22 मार्च 2008 को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। जहां 23 मार्च को रागिनी की मौत हो गई। जिस पर आरोपियों के विरूद्ध भादवि की धारा 304 बी के तहत मामला दर्ज कर चालान न्यायालय में पेश प्रस्तुत किया गया।
इस मामले के अन्य आरोपी मृतिका रागिनी की नंद साधना सिसौदिया और सुधा सिसौदिया, नंदेऊ आनंद सिंह और विवाह में मध्यस्थता की भूमिका निभाने वाले गोपाल गोयल को माननीय उच्च न्यायालय ने पूर्व में ही डिसचार्ज कर दिया था।
अभियोजन की कहानी के अनुसार तीन साल पहले भानुप्रताप सिंह तोमर की पुत्री रागिनी की जीतू उर्फ जितेन्द्र के साथ शादी हुई थी। श्री तोमर के अनुसार शादी के बाद से ही उसके ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताडि़त करते थे। जिससे तंग आकर रागिनी ने आत्महत्या के उद्देश्य से जहरीली गोलियों का सेवन कर लिया था। चाचा रामसेवक ने उसे 22 मार्च 2008 को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। जहां 23 मार्च को रागिनी की मौत हो गई। जिस पर आरोपियों के विरूद्ध भादवि की धारा 304 बी के तहत मामला दर्ज कर चालान न्यायालय में पेश प्रस्तुत किया गया।
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