कौन खा गया इन आदिवासियों का राशन

0
शिवपुरी। म.प्र.शासन के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने का सपना देख रहे वह इसके लिए वह प्रयास भी कर रहे हैं। परंतु जिले में बैठे भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार करने का कोई भी स्वर्णिम अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। प्रदेश शासन द्वारा गरीब हितों को दृष्टिगत रखते हुए व खाद्यान की बम्पर आवक की बजह से बीपीएल, एपीएल के समस्त राशन कार्ड धारकों को तीन माह का खाद्यान एक मुस्त देने की घोषणा की थी, लेकिन शिवपुरी जिले के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तो तीन माह से खाद्यान के दर्शन तक नहीं हुए।

पिछले तीन माह से कई गांव में राशन नहीं बटने की शिकायत लेकर गरीब आदिवासी तबके की महिलायें जिलाधीश कार्यालय शिवपुरी में कलेक्टर शिवपुरी से एक आवेदन द्वारा उनके हक का खाद्यान बटबाने की गुहार लगाती नजर आईं। इस शिकायती आवेदन के अनुसार ग्राम कलोथरा, भैंसोंरा, गुनाया के ग्रामीणों को गत तीन माह से खाद्यान्न का वितरण नहीं किया गया है। वहीं येरान और बम्हारी ग्राम में पिछले माह का खाद्यान्न वितरण नहीं किया गया। उन्होंने जिलाधीश से शीघ्र ही खाद्यान्न वितरण करवाने की अपील की है।

खाद्यान्न घोटाले में खाद्य अधिकारी का संरक्षण    


जिला मुख्यालय पर पदस्थ खाद्य अधिकारी द्वारा लीड संचालक व उचित मूल्य की दुकानों के संचालकों से सांठगांठ कर भारी कमीशन खोरी की जा रही है। जिससे इन संचालकों को कानून का कोई भय नाम की चीज बची ही नहीं है। लीड संचालक एवं दुकानों के संचालकों द्वारा गरीबों को दिए जाने वाला राशन अवैध रूप से कालाबाजारी कर बेच दी जाती है। गरीब तबके के उपभोक्ता राशन पाने के लिए दरदर की ठोकरें खाने के लिए विवश हैं।

रोजाना नहीं खुलती राशन की दुकानें


शिवपुरी। गरीब उपभोक्ताओं की सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए शासन ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि रविवार के अवकाश को छोड़कर शेष सभी दिन उचित मूल्य की दुकानें खुली रहेंगी। खाद्य अधिकारी द्वारा शायद उक्त आदेश को कूड़ेदान के हवाले कर दिया। ग्रामीण इलाके तो क्या जिला मुख्यालय पर ही उचित मूल्य की दुकानें नहीं खुलती। उचित मूल्य की दुकानों के विक्रेताओं द्वारा एक दो दिन राशन वितरण कर शेष 28 दिन दुकानें बंद कर दी जाती है। इस अवधी में जो व्यक्ति राशन ले गया तो ठीक अन्यथा शेष बचा हुआ खाद्यान्न गेंहू, चीनी, चावल, तथा कैरोसिन काला बाजारी के माध्यम से बाजार की दुकानों पर तुलता हुआ नजर आता है, लेकिन खाद्य अधिकारी द्वारा इनके विरूद्ध आज दिन तक कोई कठोर दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की गई।

कहां गया तीन माह का राशन?


जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गत तीन माह से राशन वितरण नहीं किया गया। तो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने खाद्य अधिकारी कुशवाह पूछा है कि जब ग्रामीणों को खाद्यान्न नहीं बांटा गया तो यह खाद्यन्न कहां गया है। जबकि शासन ने तीन माह का राशन एक मुस्त देने की घोषणा की थी।  जबकि शासकीय गोदाम से माल तो उठा लिया गया, लेकिन उचित मूल्य दुकान तक पहुंचा अथवा नहीं पहुंचा यह सिर्फ उपर बाला ही जान सकता है। यदि हम इन ग्रामीणों की बातों पर यकीन करें तो निश्चित ही यह राशन कालाबाजारी के माध्यम से बाजार में बेच दिया गया।
Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!