शिवपुरी। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने को आतुर नगरवासी मंदिरों में आकर्षक सजावट के साथ विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर रहे है। यहां मंदिरों पर धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ मटकी फोड़ प्रतियोगिता, भजन संध्या सहित अन्य धार्मिक आयोजन भी किए जाऐंगे। नगर के श्री चिंताहरण मंदिर पर मुरली पार ले चल कार्यक्रम में जहां भक्तों का सैलाब उमड़ेगा तो वहीं श्रीकृष्ण-राधा मंदिर अहीरपुरा में भी यादव समाज द्वारा जोरों पर तैयारियां की गई है। वहीं ग्वाल समाज द्वारा भी खीर वितरण,मटकी फोड़ व श्री अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन भी किया गया है। कुल मिलाकर पूरे शहर में जन्माष्टमी पर्व की खुशियां चहुंओर देखने को मिली।
श्रीकृष्ण भक्ति के बारे में बताया भी गया है कि महापुरूषों का जन्मदिवस और उनका अवतरण दिवस सिर्फ उनका गुणगान करने के लिए नहीं होता। बल्कि इस बहाने हम उनके आदर्श से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को भी सजा और सवांर सकते है। आज जन्माष्टमी है। भगवान कृष्ण का जन्मदिवस। संसार में कृष्ण जैसा उत्सवी व्यक्ति शायद ही कोई दूसरा है। कृष्ण लीलाएं कर्म संदेश की जीती जागती मिशाल हैं।
वह माखन चुराते हैं ,गोपियों के साथ रास रचाते हैं, अपने शिष्य अर्जुन को युद्ध की प्रेरणा देते हैं, इसके बाद भी उन पर कोई आक्षेप नहीं उठा पाता क्योंकि उनके कर्म में संलग्रता नहीं बल्कि र्निलिप्ता है। गीता महाकाव्य भगवान कृष्ण के जीवन दर्शन को स्पष्ट रूप से प्रतिपादित करता है। गीता में जब कृष्ण अर्जुन से हथियार उठाने को कहते हैं और कहते हैं कि भूल जा तेरा कोई सगा संबंधी मित्र और रिश्तेदार है तो उनके कथन मेंं ङ्क्षहसा की झलक नहीं बल्कि आत्मा की अजरता और अमरता का संदेश है।
अर्जुन के उहाफोह को समाप्त करने हेतु वह कहते हैं कि आत्मा न तो जन्मती है और न ही मरती है। बिना किसी कामना के कर्म करने की प्रेरणा कृष्ण देते हैं इसीलिए वह महान हैं और हम सबके आदर्श और प्रेरणा स्त्रोत हैं। वह कृष्ण ही हैं जो कहते हैं हमारा सिर्फ कर्म पर अधिकार है। फल पर कोई अधिकार नहीं है। इस सूत्र को यदि हमने आत्मसात कर लिया तो बड़ा से बड़ा संकट भी हमें नैराश्य में नहीं ढकेल सकता। इस प्रकार से श्रीकृष्ण की प्रेरणा से हमारा जीवन सुखमय हो जाएगा।
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