कलियुगी भगवान अब अपनी मांगो पर अड़ा

शिवपुरी. एक वो भगवान जो इस सृष्टि को चलाने के लिए मनुष्य को धरती पर भेजते है और एक वह भगवान जिसे भगवान का अवतार माना जाता है हम बात कर रहे हे डॉक्टर अर्थात चिकित्सक की। जी हां शिवपुरी ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में इन दिनों इस कलियुगी भगवान डॉक्टरों की हड़ताल के कारण आमजन की आशाऐं अब केवल ईश्वर पर ही टिकी है। क्योंकि कलियुग में मरीजों की सेवाओं को अपना धर्म मनाने वाले ये कलियुगी भगवान अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए इंसानों से ही दूरी बनान लगे है। इन्हें मरीजों की फिक्र नहीं बल्कि अपने ओहदे और वेतनमान को बढ़ाने को लेकर हड़ताल पर चले गए। अब अपनी मांगों पर अड़े डॉक्टर को कलियुगी भगवान ना कहे तो क्या कहें...।
मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने वाले जिला चिकित्सालय के मरीज इन दिनों अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए है। इससे जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीज व आने वाले सभी मरीजों की शामत आ गई है। डॉक्टर्स यूनियन के आह्वान पर अपनी मांगों को लेकर यह प्रदर्शन जारी है ऐसे में इन चिकित्सकों को मरीजों की जान की कोई परवाह नहीं है। संभवत: यदि इनकी हड़ताल से किसी मरीज की जान की नौबत आ गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इसका जबाब तो स्वयं जिला प्रशासन भी नहीं दे पा रहा। 
 
डॉक्टर्स यूनियन ने मांग की है कि यदि उनकी मांगें रविवार तक पूर्ण नहीं की जाती है तो सोमवार 2 जुलाई से सभी चिकित्सक अपनी नौकरी छोड़ शासन के खिलाफ सड़क पर आकर धरना देंगे। आज भी चिकित्सकों ने एक दिवसीय धरना देकर इस अभियान की शुरूआत कर दी है। अब देखते है जिला प्रशासन व शासन इन चिकित्सकों की कब सुध लेगा अन्यथा यह आन्दोलन यूं ही जारी रहेगा।

शहर में आए दिन किसी न किसी नियम-कानून अथवा समस्याओं को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर आम जनता व जनप्रतिनिधियों के माध्यम से होता रहता है। लेकिन इस धरना प्रदर्शन में जिले के एक मात्र जिला चिकित्सालय शिवपुरी के सभी चिकित्सक भी शामिल हो गए है। बीते कुछ दिनों से मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ शाखा शिवपुरी को प्रदेश स्तर से आह्वान किया गया है कि वह चिकित्सकों की समस्याआं को प्रमुखता से उठाऐं और इन समस्याओं के निराकरण के लिए जिला चिकित्सालय से नौकरी छोड़ धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराऐं। इसी श्रृंखला में जिला चिकित्सालय के सभी चिकित्सकों ने धरना प्रदर्शन के आयोजन से पूर्व ही जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर आर.के.जैन को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याओं के निराकरण की मांग की। 
 
साथ ही शिवपुरी जिले में पदस्थ 80 चिकित्सकों में से 56 चिकित्सकों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर इस्तीफे तक सौंप दिए है। यही नहीं इस इस्तीफ के बाद सभी डॉक्टरों ने जिला मुख्यालय पर माधव चौक चौराहे पर धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया और मांग की कि यदि सोमवार 2 जुलाई तक मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ की मांगें पूर्ण नहीं की जाती है तो वह अपनी सेवाऐं छोड़कर आन्दोलन में भाग लेंगे। अब जिला प्रशासन व शासन इस ओर क्या कारगर कदम उठाता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इतना जरूर है कि चिकित्सकों की हड़ताल से जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीज व आने वाले मरीजां की शामत आ गई है। वह अस्पताल आने वाले चिकित्सकों को दिखाने के लिए मजबूरन उनके घर जा रहे है। इस तरह की अव्यवस्था से चिकित्सालय में भी मरीज अपने दु:ख को स्वयं ही झेलने पर मजबूर हो रहे है।

कलेक्टर को दी लिखित चेतावनी, रविवार को रही इमरजेंसी डय़ूटी

जिले भर के सभी चिकित्सकों ने अपनी मांगें पूर्ण करने के लिए एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपकर उसमें चेतावनी दी है कि रविवार के दिन यदि मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ की मांगें पूर्ण नहीं की गई तो यह आन्दोलन अनवरत रूप से जारी रहेगा और इसके लिए दोषी शासन व प्रशासन होगा। अपने कर्तव्य से विमुख होकर इन चिकित्सकों ने रविवार के दिन प्रात: 10 बजे से सायं 4 बजे तक माधव चौक चौराहे पर अपनी मांगेां का लेकर प्रदर्शन किया। साथ ही रविवार को जिला चिकित्सालय में केवल इमरजेंसी डय़्टी लागू रही जिसकी पूर्व में ही चेतावनी दे दी गई थी लेकिन अब यदि मांगें पूरी नहीं हुई तो कल सोमवार से इमरजेंसी भी में डॉक्टर नहीं जाऐंगे। इस तरह सख्त कदम उठाकर चिकित्सकों ने मरीजों की नींद उड़ा दी तो वहीं जिला प्रशाासन भी सकते में है और हर संभव शासन से सहयो की अपेक्षा पाले हुए है।

क्या है चिकित्सा संघ की मांगें

मध्यप्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ जो मांगें लेकर अपना विरोध दर्ज करा रहा है। उसके संदर्भ में जानकारी देते हुए संघ के अध्यक्ष डॉ.ए.एल.शर्मा व सचिव डॉ.आर.के.जैन ने संयुक्त रूप से बताया कि अपनी मांगों के संबंध में शनिवार को जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया था जिसमें अपनी मांगों से अवगत भी करा दिया था कि लंबे अर्से से चिकित्सकों की मांग रही है कि उन्हें चार स्तरीय वेतनमान उपलब्ध कराया जाए। 
 
घोषित वेतनमान में किसी भी प्रकार की कटौती ना हो। समयमान के आधार पर चिकित्सकों की पदोन्नति हो। चिकित्सकों की नियुक्ति लोक सेवा आयोग से हो, बंधुआ, तदर्थ और आपातकालीन नियुक्ति चिकित्सकों की ना की जाए और जिनकी नियुक्ति इस रूप में हुई है उन्हें नियमित किया जाए। वीआरएस अर्थात ऐच्छिक सेवा के रूप में सेवानिवृत्ति आयु 25 वर्ष से घटाकर 20 वर्ष की जाए। आईएएस की तरह राज्य चिकित्सा संवर्ग का गठन हो, चिकित्सकों के खाली पद भरे जाऐं तथा जिन चिकित्सकों ने 18 वर्ष के सेवावधि पूर्ण कर ली है उन्हें वेतनमान बैंड 4 अर्थात् 14 हजार से 18 हजार के स्केल में रखा जाए। इन सभी मांगों को पूर्ण कराने के लिए चिकित्सा संघ का यह प्रदर्शन जारी है।

डॉक्टर्स-डे से शुरू हुई हड़ताल

एक जुलाई को पूरे विश्व में डॉक्टर्स-डे के रूप में मनाया जाता है। चिकित्सकों द्वारा सामूहिक रूप से अपनी मांगों के समर्थन में इसी दिन धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया गया। चिकित्सकों की हठधर्मिता से न केवल जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाऐं चौपट होंगी बल्कि मरीजां का उपचार ना मिलने से उन्हें जान का खतरा भी बना रहेगा। वहीं डॉक्टर्स डे के दिन शुरू हुई हड़ताल से आभास होता है कि  मांगो के पूर्ण ना होने पर कहीं हालात और अधिक ना बिगड़ जाऐं।