शिवपुरी। एक ओर तो पुलिस के द्वारा किए जाने वाले कार्यों के चलते उन्हें पुरूस्कृत किया जाता है। वहीं पुलिस भी आमजन से सहयोग की अपील भी करती है लेकिन जिले के खनियाधाना क्षेत्र में पुलिस किस असंवेदनशीलता के साथ कार्य करती है और निर्दोषों के भविष्य के साथ खिलबाड़ करती है। इसकी नजीर गत दिवस उस समय देखने को मिली जब एसडीओपी अमित सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल जुआरियों को पकडऩे खनियाधाना पहुंची।
खास बात यह थी कि जिस स्कूली छात्र से पुलिस बल ने जुआरियों का पता पूछा उसे भी जुआरियों के साथ दबोच लिया। १६ वर्षीय और कक्षा १२ के छात्र जयकुमार केवट पुत्र केशव केवट की गलती यह थी कि वह तमाशा देखने के लिए मौके पर खड़ा हो गया था। इसके बाद पुलिस अधिकारी को समझाने का काफी प्रयास किया लेकिन बर्दी के रौब में वह सब कुछ जानते हुए भी नहीं समझे और जयकुमार को गिरफ्तार कर उसके भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया।
चूंकि करैरा एसडीओपी अमित सिंह नए नवेले पुलिस अधिकारी है और आईपीएस अधिकारी होने का रौब वह हमेशा अपने व्यक्तित्व पर ओड़े रहते हैं। करैरा के एसडीओपी अमित सिंह को पिछोर का चार्ज वहां के एसडीओपी राकेश शर्मा के छुट्टी पर जाने पर मिला और उन्होंने इस मौके का उपयोग करते हुए खनियाधाना में जुआरियों को पकडऩे की ठानी। जयकुमार के घर के पास चार जुआरी जुआ खेल रहे थे।
पुलिस बल ने अपने घर पर खड़े जयकुमार से पूछा कि क्या यहां जुआरी जुआ खेल रहे है। सहजतापूर्वक जयकुमार ने इशारा कर दिया और बस आफत मोल ले ली। पुलिस ने चार जुआरियों के साथ स्कूली छात्र को भी जुआरी बना दिया। इस तरह एक मासूम को बेबजह दोषी बताकर पुलिस अपने ही कार्य पर उंगली उठाने पर मजबूर है। यदि यही हाल रहा है तो फिर कैसे पुलिस जनता की सेवा का दंभ रही है यह एक सोचनीय प्रश्र है? जहां एसडीओपी अमित सिंह का सवाल है तो उन्होंने हमेशा से अपनी वर्दी का रौब ही झाड़ा जिसका शिकार यह मासूम हुआ जिसने पुलिस की सहायता करनी चाही और पुलिस ने उसे ही दबोच लिया।
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