शिवपुरी की राजनैतिक शतरंज पर गड़बड़ाई गोटू की राजनैतिक गोटियां...

त्वरित टिप्पणी
ललित मुदगल
शिवपुरी। कहते है कि शतरंज को खेलने वाले खिलाड़ी ही समझ पाते है कि कब किस चाल से आगे बढऩा है और किसे पटखनी देनी है शतरंज के खेल में राजा एक होता है और कई प्यादे होते है जिसमें राजा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। शतरंज की इसी बिसात पर इन दिनों शिवपुरी में राजनैतिक गोटियां बिठाई जा रही है। यहां बताना मुनासिफ होगा कि राजा आखिर राजा ही होता है इसका उदाहरण बीते कुछ दिनों पूर्व ही देखने को मिल गया।

जब शिवपुरी की राजनीति में आगे बढऩे का कदम बढ़ाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू ने अपने क्षेत्र के राजा के विरोधी खेमे के राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह तोमर के सहारे नैया पार लगाने की सोची और इसके लिए जिला पंचायत शिवपुरी के माध्यम से पंच-सरपंच सम्मेलन, बेटी बचाओ अभियान व प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन कराने की सोच बनाई। लेकिन वे यहां यह भूल गए कि जब इस क्षेत्र का राजा को महत्वपूर्ण स्थान नहीं दिया तो फिर किसी अन्य की क्या बिसात...। इस पूरे खेल में श्री गोटू ने अपने आप को शिवपुरी विधानसभा में स्थापित कर चुनाव की रणनीति बनाई। गोटू ने शहर को होर्डिग्स, बैनर व पोस्टरों से पाट दिया और इन पोस्टरों में यशोधरा राजे सिंधिया को जगह नहीं दी गई।

ऐन वक्त पर यह कार्यक्रम  राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह तोमर के ना आने से निरस्त हो गया जनमानस का यह कहना है कि आखिरी चाल किसने चली, यह चाल  गोटू की पूरी राजनैतिक शतरंज पर भारी पड़ गई। ऐेसे में अब अपने मंसूबों मन मारकर भी जिला पंचायत अध्यक्ष पीछे मुड़कर देखने वालो में नहीं जान पड़ते है वह अपने आपको और अधिक मजबूत बनाए रखने के लिए और कौन सी चालें चलते है यह भविष्य की गर्त में है। वहीं महासचिव कार्यक्रम में तो नहीं आए बल्कि अगले दिन संभागीय बैठक में शामिल होने शिवपुरी जरूर आए। यहां स्पष्ट जान पड़ता है कि जान बूझकर गोटू के कार्यक्रम की धज्जियां बिखेरी गई है।

जी हां! सिंधिया राजवंश के सहारे चलते शिवपुरी की राजनीति का राज कौन नहीं जानता। संपूर्ण अंचलवासियों के दिलों पर राज करने वाला सिंधिया परिवार जिस पर हाथ रख दे उसके तो बारे न्यारे है बीते वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भी हमें यही देखने को मिला। यहां क्षेत्र में अच्छा खासा दबदबा बनाने वाली यशोधरा राजे सिंधिया ने जब कमान अपने हाथों में ली तो क्षेत्र से चार विधानसभाओं को विजयी बनाकर अपना एक छत्र राज दिखा दिया। यहां बता दें कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में स्वयं यशोधरा राजे सिंधिया ने कोलारस विधायक देवेन्द्र जैन के पक्ष में चुनाव प्रचार कर यहां से उन्हें जीत दिलाई।

लेकिन आज समय की बलिहारी है कि जिला पंचायत के मलाईदार अध्यक्ष पद की बागडोर संभालने वाले जितेन्द्र जैन गोटू अपने राजनैतिक भविष्य को पार्टी के ही राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह तोमर को लेकर साध रहे है यहां उन्होनें सिंधिया राजवंश से तो जैसे नाता ही तोड़ लिया ऐसा प्रतीत हो रहा है। अंचल में सूबे की राजनीति करने वाला सिंधिया परिवार हमेशा सर्वहारा वर्ग के विकास की बातें ही करता आया है लेकिन अब  अंचल में उनके दामन को छोड़कर स्वयं को हितों को साधना शुरू हो गया है।

इसकी नजीर पेश की है जिला पंचायत अध्यक्ष ने जिन्होंने महीने भर पहले से ही शहर में ढिंढौरा पिटवा दिया कि जुलाई माह में पंच-सरपंच सम्मेलन, बेटी बचाओ अभियान व प्रतिभा सम्मान समारोह जिला पंचायत के माध्यम से किया जाना है विधिवत रूप से इस कार्यक्रम में जिपं अध्यक्ष अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू ने मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह को आमंत्रित किया और श्री तोमर ने इसकी मौखिक स्वीकृति भी दे दी। अंचल में इस कार्यक्रम को लेकर अच्छा खासा प्रचार-प्रसार भी हुआ।

कार्यक्रम नजदीक आते ही शहर को चहुंओर बैनर होर्डिंग्स व पोस्टरों से पाट दिया लेकिन इन बैनर और होर्डिग्स में गोटू जी ने यशोधरा राजे सिंधिया का फोटो ना छपवाकर नाफरमानी जैसे काम किया। ऐन समय पर आयोजित कार्यक्रम का निरस्त होना भी इसी का ही परिणाम देखा जा रहा है। आज चौराहों और पान की स्टॉलों पर इस भव्य आयोजन के निरस्त होने का कारण यशोधरा राजे सिंधिया की नाफरमानी की चर्चा लोगों की जुबान पर है ऐेसे में गोटू भैया यह कैसे भूल गए कि ये शिवपुरी है यहां सिंधिया राजवंश का छत्रप है फिर  शतरंज की बिसात पर चलना है और राज करना है तो पहले राजा से दोस्ती तो करो, लेकिन शतरंज जैसे खेल को विशेषज्ञ खिलाड़ी खेलता है वही जीतता है यहां तो श्री गोटू जी ने जो कदम उठाया अब उससे निकल पाना भी उन्हें मुश्किल लग रहा...।