कानून तोडऩे के लिए मांगी जा रही है शिवपुरी कलेक्टर से परमीशन

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त्वरित टिप्पणी/ ललित मुदगल
शिवपुरी। आप सभी ने धरना प्रदर्शन अनशन हड़तालों को देखा और सुना होगा अक्सर यह धरना प्रदर्शन अनशन और हड़तालें सरकार के विरोध में जनमानस अपने कानूनी हक पाने व जनहित रक्षार्थ होती है परन्तु शिवपुरी जिले में एक ऐसी अघोषित हड़ताल हो रही है। जो सरकार के खिलाफ नहीं परन्तु कानून तोडऩे की अनुमति के लिए की जा रही है।
जी हां,हम बात कर रहे है विद्यालय संचालकों, बस ऑपरेटरों की, अभी हाल में स्कूल बसों के खिलाफ यातायात पुलिस ने अभियान छेड़ रखा है। यातायात पुलिस को चैकिंग के दौरान अनफिट, परमिट, फिटनेश, रजिस्टे्रशन, इंश्योरेंस, फस्र्ट एड बॉक्स व अग्निशमन यंत्र जैसी सुविधाऐं व कागजात न मिलने पर इनके विरूद्ध कार्यवाही संस्थित की गई। ऐसी कार्यवाही होते देख विद्यालय संचालकों ने कलेक्टर आर.के.जैन से इस मामले में मामला सुलझाने की पहल की लेकिन यहंा कलेक्टर ने समय ना देकर इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया था। इस कार्यवाही के डर से स्कूल संचालकों ने छात्रों के हाथ से एक पत्र अभिभावकों के लिए भेज दिया, इस पत्र में लिखा गया कि प्रशासन द्वारा नियमों का पालन करने को मजबूर किया जा रहा है जिस पर प्रति छात्र 800 से 1000 रूपये का भार पड़ेगा। इस बड़े भार को छात्रों के अभिभावक सहन नहीं कर सकेंगे इसलिए स्कूल प्रबंधनों ने आग्रह किया है कि अपने स्कूली बच्चों को स्वयं की जिम्मेदारी से स्कूल छोड़ें। स्कूल प्रतिदिन खुले रहेंगे।

स्कूल प्रबंधकों ने सीधे-सीधे बस ऑपरेटरों के कंधों पर बंदूक रखकर प्रशासन पर पालकों द्वारा दबाब बनाने की कोशिश की। लेकिन यहां बताना मुनासिब होगा कि दो या तीन स्कूलों में ही बसें बस ऑपरेटर संचालित करते है बाकी अधिकतर बसें विद्यालय प्रबंधन की ही है। इसलिए स्कूल प्रबंधन ने बसों का किराया बढ़ाने के फेर में एक अघोषित हड़ताल कर दी। सुशिक्षित, सभ्य, ईमानदारी, सत्य और बच्चों को भारतीय संविधान के तहत पाठ पढ़ाने वाले स्कूल प्रबंधनों से कुछ सीधे सवाल-

क्या जब आपने बस खरीदी या बस ऑपरेटरों से अनुबंध किया था, तब आपको मोटर व्हीकल एक्ट की जानकारी नहीं थी। क्या यह एक्ट दो-तीन दिन में ही भारत सरकार ने लागू किया है? क्या आपने अपने वाहनों के रजिस्ट्रेशन, फिटनेस, परमिट, इंश्योरेंस करवाए तो उन्हें आपने पढ़ा और समझा नहींं। अगर आप पिछले कई वर्षोँ से यातायात नियमों की तोड़ते हुए आ रहे हो तो आपकी मनमानी आगे भी चलेगी, यह अघोषित हड़ताल भी इस ओर इशारा कर रही है। अगर आपको अभिभावकों के जेबों की इतनी ही चिंता है तो आपके द्वारा ट्यूशन के नाम पर ना-ना प्रकार की फीसों के रूप में शुल्क क्यों वसूला जा रहा है? अगर प्रशासन आपको नियमानुसार कार्य करने को कह रहा है तो आप कानून को तोडऩे के लिए हड़ताल पर उतारू हो गए।

ऐन-केन प्रकरण कुछ भी हो, स्कूल प्रबंधन को बच्चों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है। यही वजह है कि वे स्कूल जो बच्चों को भावी भविष्य में कानून के बारे में जानकारी देते है आज वही स्कूल इन नियमों को तोड़कर महज स्वयं की पूर्ति करने में व्यस्त है। आखिर इस देश का भला कैसे होगा जब शिक्षा के मंदिर में अध्ययन करने वाले  विद्यालय के अध्यापक ही उन्हें नियम तोडऩे की शिक्षा दें। यह अघोषित हड़ताल यातायात पुलिस के खिलाफ नहीं, शिवपुरी प्रशासन के खिलाफ नहीं बल्कि देश के कानून के खिलाफ है। देखे ऐसे में अब जिला कलेक्टर महोदय इस अघोषित हड़ताल जो आजादी के 62 वर्ष बाद खुले तौर पर देश के कानून के खिलाफ की गई है। इस ओर क्या कार्यवाही करते है?
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