पति का गला काटने वाले हत्यारी पत्नी व प्रेमी को सजा-ए-मौत

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शिवपुरी. बीते वर्ष 2 मार्च 2011 को देहात थानांतर्गत आने वाले सरबती बाई मंदिर के निकट एक प्रेमी और प्रेमिका ने अवैध संबंधों के चलते अपने ही पति की गला काटकर नृशंसा हत्या कर दी थी। इस हत्या के बाद माननीय न्यायालय में विचारधीन मामले की सुनवाई आज पूरी हुई जिसमें द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले में आरोपी प्रेमी-प्रेमिका को मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई है। संभवत: यह शिवपुरी का पहला ऐसा मामला है जिसमें दो आरोपियों को फांसी की सजा दी गई। 

इस मामले में शासन की ओर से पैरवी अधिवक्ता योगेन्द्र विजयवर्गीय ने की। इस फैसले की खबर से पूरे कलेक्ट्रेट कार्यालय में चर्चा का विषय रहा और इस ऐतिहासिक फैसले को सराहा ताकि आगे से अपराधी अपराध करने से पहले कई बार सोचें।

जानकारी के अनुसार बीत 2 मार्च 2011 को सरबती बाई मंदिर के निकट निवासरत मोहन रातव पुत्र देवलाल रावत निवासी राजपुर दिहायला करैरा हाल निवासी सरबती बाई मंदिर जो कि ट्रक चालक था और अपनी पत्नी किरण रावत के साथ पुरानी शिवपुरी क्षेत्र में रह रहा था। इसी बीच अक्सर मोहन रावत का ट्रक पर चलने के कारण बाहर घूमना फिरना रहता था। इस दौरान मृतक के साढू राजेश की रिजवान से दोस्ती थी वह अक्सर मोहन रावत के यहां आता-जाता रहता था। जिसके चलते उसकी पत्नी किरण रावत व इमामाबाड़ा निवासी रिजवान मोहम्मद कुर्रेशी पुत्र इकबाल मोहम्मद कुर्रेशी उम्र 20 वर्ष के साथ अवैध संबंध बन गए। 
ऐसे में मोहन को किरण पर शक हुआ और उसकी पत्नी किरण रावत से रिजवान को लेकर अनबन हो गई। जिस पर किरण ने यह बात रिजवान को बताई और देानो ने मिलकर मोहन रावत को ही रास्ते से हटाने की योजना बना डाली। इसी बीच घटना की रोज 2-3 मार्च की रात्रि को किरण और रिजवान ने मोहन रावत को ठिकाने लगाने की योजना बनाई और उसी रात मुर्गा काटने वाली छुरी मोहन रावत सिर से धड़ अलग कर हत्या कर दी और उसका सिर घटनास्थल के पास ही नाले में फेंक दिया जबकि लाश प्लास्टिक के बोरे में बंद कर घटनास्थल के पास फेंक दी। अलसुबह घूमने वाले लोगों ने जब देखा तो देहात थाना पुलिस को सूचित किया जिस पर पुलिस मौके पर पहुंची और कट्टे को खुलवाया जिसमें देखा कि मोहन रावत का शव पाया गया।
 पुलिस ने मामले की जांच की तो मृतक मोहन रावत की पत्नी किरण रावत का उसी के मोहल्ले में रहने वाले रिजवान से अवैध संबंधों का पता चला। जिस पर पुलिस ने रिजवान और किरण को हिरासत में लेकर पूछताछ की। जिसमें रिजवान ने अपना अपराध कबूल किया और कहा कि उसने व उसकी प्रेमिका किरण रावत ने मिलकर मोहन रावत की गला काटकर हत्या की है। जिस पर आरोपियों के विरूद्ध अपराध क्रमांक 40/11 पर धारा 302,201 आईपीसी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। इस मामले में बाद में पूछताछ में रिजवान ने मृतक का कटा सिर भी बरामद करवाया। पुलिस से मामला न्यायालय में पहुंचा जहां शासकीय अभिभाषक योगेन्द्र विजयवर्गीय ने इस मामले में आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए माननीय द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर.के.श्रीवास्तव के समक्ष याचिका लगाई।
बीते 3 मार्च को घटित इस मामले की सुनवाई आज 10 जुलाई को पूरी हुई जहां पूरे मामले की विवेचना उपरांत माननीय न्यायाधीश रमेश कुमार श्रीवास्तव ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अपराध को सामाजिक अपराध मानते हुए इस तरह के अपराधों की समाज में पुन: पुनर्रावृत्ति ना हो इसलिए आरोपी मृतक मोहन रावत की पत्नी किरण रावत व आरोपी रिजवान को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई। यह फैसला शिवपुरी में ऐतिहासिक फैसला रहा जिसमें एक साथ दो आरोपियों को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई गई हो। साथ ही फैसला में आरोपियों 25-25 हजार रूपये का अर्थदण्ड भी अधिरोपित किया अर्थदण्ड ना देने की स्थिति में तीन माह का सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई। यहां बताना होगा कि आरोपी किरण रावत के तीन मासूम बच्चे भी है जिसमें कल्लू 8 वर्ष, सेखू 2 साल, मुस्कान 8 माह शामिल है।

 

 

 मृत्युदण्ड के फैसले से आ सकती है अपराधों में कमी

यूं तो अपराधी अपराध करने से पहले सोचना नहीं कि उसका परिणाम क्या होगा लेकिन आज दिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले में मृत्यु दण्ड की सजा निश्चित रूप से अपराधियों को अपराध करने से रोकने में सहायक साबित होगी। कलेक्ट्रेट परिसर में वकील, पुलिस और पत्रकारों के बीच हो रही आपसी बहस में भी यही चर्चा रही कि इस तरह के फैसले से अपराधियों में खौफ रहेगा और हत्या, अपहरण व बलात्कार जैसे संगीन अपराधों से भी बच सकेंगे। 
शिवपुरी में आए इस फैसले की चहुंओर प्रशंसा हुई तो वहीं पीडि़त हत्यारिन पत्नी किरण रावत की तीन संतानों को लेकर भी लोग पशोपेश में नजर आए। इन संतानों का आखिर क्या होगा इन मासूम बच्चों को देखकर हर किसी को हत्यारिन मां पर तरस आ जाता है लेकिन उसका अपराध इतना बढ़ा है कि हत्यारिन के लिए यह सजा भी कम थी जहां उसने अपने ही पति की प्रेमी के साथ मिलकर नृशंस गला काटकर हत्या की और उसमें पूरा सहयोग किया।

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