शिवपुरी- शहर में बढ़ते अपराधों की ओर पुलिस का ध्यान नहीं है लेकिन सट्टा, जुआ, अवैध शराब का कारोबार कहां-कहां संचालित हो रहा है यह सब पुलिस को पता है सबकुछ जानने के बाद भी पुलिस इस ओर कोई कार्यवाही नहीं करती। आखिर क्या कारण है कि शहर के देहात थाना क्षेत्र में सरेआम सट्टे की खुली लाईनें ली जा रही है और इन सटोरियों को पुलिस का भय तक नहीं है।
बताया गया है कि इन सटोरियों की अच्छी खासी पैठ देहात थाना प्रभारी से हो चुकी है इसलिए सब कुछ सरेआम चल रहा है अच्छा खासा कमीशन जब थाना प्रभारी व अधीनस्थ अमले की जेब में जाता है तो कौन और कैसा सटोरिया यह भी पुलिस को पता नहीं रहता। देहात थाना पुलिस की निष्क्रिय कार्य प्रणाली से ज्ञात होता है कि यहां अपराधियों को कम बल्कि जेब कतरों और सटोरियों से अवैध वसूली के लिए जरूर उन्हें जबरन उठाकर कमीशन लेकर छोड़ जा रहा है। ऐसा एक दो नहीं बल्कि केस है जो सरेआम थाना प्रभारी के समक्ष होते रहते है और सबकुछ जानने के बाद भी थाना प्रभारी अपना कमीशन लेकर चुप रहते है।
शहर में पुलिस का खौफ अगर कहीं नजर नहीं आता है तो इसके लिए देहात थाना सबसे सरल और उपयुक्त पुलिस थाना है। जहां आने वाला हर अपराधी इस थाने के थाना प्रभारी और अमले की जेब गर्म कर दो अच्छा से अच्छा केस भी यूं ही थाने से ही सिमट जाए। देहात थाना पुलिस की कार्यप्रणाली तो वैसे भी हमेशा से लचर रही है लेकिन जब से यहां देहात थाना टी.आई. विजय काले की रवानगी के बाद जो हालात उत्पन्न हुए है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां थाना कम अवैध वसूली और सटोरियों से कमीशन के लिए न केवल स्वयं थाना प्रभारी बल्कि पुलिस के ही कुछ कर्मचारी अपनी बारी का इंतजार करते है।
सरेआम पुलिस के सामने होने वाले इस अवैध कारोबार की शिकायत कई बार स्थानीय नागरिकों ने भी लेकिन इसका कोई असर यहां देखने को नहीं मिला। अब तो पुलिस थाने में भी फरियादी बनकर आने वाले पीडि़तों को भी अपनी एफआईआर लिखाने के बदले 100 से 500 रूपये की रिश्वत देनी पड़ती है तब कहीं जाकर उसकी रिपोर्ट दर्ज होती है। सटोरियों को खुला संरक्षण देकर प्रतिदिन और प्रतिमाह की अवैध वसूली के बारे में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी नहीं यही कारण है कि यहां सरेआम पुलिसिया राज चल रहा है। देहात थाना के नवागत थाना प्रभारी महोदय की मनमानी के कारण ही यहां सटोरियो सुबह से शाम तक सट्टे की लाईनें ले रहे है और पुलिस की नाक के नीचे ही खुले में सट्टे का कारोबार कर रहे है। पुलिस कर्मचारियों को महज 100 से 1000 रूपये देकर हजारों रूपये का सट्टा देहात थाना क्षेत्र में खुलेआम खिलाया जा रहा है। पुलिस थाना में कभी यह पता ही नहीं रहता कि यहां अपराधी और फरियादी कौन है जबकि यहां सभी से लूटखसोट स्वयं थाना प्रभारी के इशारे पर होती है। अपने केबिन में बैठकर थाना चलाने वाले इस अधिकारी के हाथ में प्रतिमाह हजारों रूपये की अच्छी खासी मोटी रकम आती है। जिसका कारण यह है कि यहां के सटोरियों का खुला कारोबार करने के लिए छोड़ दिया गया है। पुलिस अधीक्षक द्वारा यदि देहात थाना क्षेत्र की औचक कार्यवाही की जाती है तो यहां सब दूध का दूध और पानी की पानी नजर आएगा।
शहर में पुलिस का खौफ अगर कहीं नजर नहीं आता है तो इसके लिए देहात थाना सबसे सरल और उपयुक्त पुलिस थाना है। जहां आने वाला हर अपराधी इस थाने के थाना प्रभारी और अमले की जेब गर्म कर दो अच्छा से अच्छा केस भी यूं ही थाने से ही सिमट जाए। देहात थाना पुलिस की कार्यप्रणाली तो वैसे भी हमेशा से लचर रही है लेकिन जब से यहां देहात थाना टी.आई. विजय काले की रवानगी के बाद जो हालात उत्पन्न हुए है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां थाना कम अवैध वसूली और सटोरियों से कमीशन के लिए न केवल स्वयं थाना प्रभारी बल्कि पुलिस के ही कुछ कर्मचारी अपनी बारी का इंतजार करते है।
सरेआम पुलिस के सामने होने वाले इस अवैध कारोबार की शिकायत कई बार स्थानीय नागरिकों ने भी लेकिन इसका कोई असर यहां देखने को नहीं मिला। अब तो पुलिस थाने में भी फरियादी बनकर आने वाले पीडि़तों को भी अपनी एफआईआर लिखाने के बदले 100 से 500 रूपये की रिश्वत देनी पड़ती है तब कहीं जाकर उसकी रिपोर्ट दर्ज होती है। सटोरियों को खुला संरक्षण देकर प्रतिदिन और प्रतिमाह की अवैध वसूली के बारे में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी नहीं यही कारण है कि यहां सरेआम पुलिसिया राज चल रहा है। देहात थाना के नवागत थाना प्रभारी महोदय की मनमानी के कारण ही यहां सटोरियो सुबह से शाम तक सट्टे की लाईनें ले रहे है और पुलिस की नाक के नीचे ही खुले में सट्टे का कारोबार कर रहे है। पुलिस कर्मचारियों को महज 100 से 1000 रूपये देकर हजारों रूपये का सट्टा देहात थाना क्षेत्र में खुलेआम खिलाया जा रहा है। पुलिस थाना में कभी यह पता ही नहीं रहता कि यहां अपराधी और फरियादी कौन है जबकि यहां सभी से लूटखसोट स्वयं थाना प्रभारी के इशारे पर होती है। अपने केबिन में बैठकर थाना चलाने वाले इस अधिकारी के हाथ में प्रतिमाह हजारों रूपये की अच्छी खासी मोटी रकम आती है। जिसका कारण यह है कि यहां के सटोरियों का खुला कारोबार करने के लिए छोड़ दिया गया है। पुलिस अधीक्षक द्वारा यदि देहात थाना क्षेत्र की औचक कार्यवाही की जाती है तो यहां सब दूध का दूध और पानी की पानी नजर आएगा।
होटलों से चलता है पुलिस का कारोबार
देहात थाना क्षेत्र में प्रतिदिन होटलों पर भी अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। यहां प्रतिदिन एक-एक बीयर व बोतल पर यहां के होटल संचालक 20 से 50 रूपये अतिरिक्त कमाई करने में जुटे है। इन्हें खुले रूप से संरक्षण पुलिस थाना देहात के थाना प्रभारी द्वारा दिया गया है। जिनके यहां मासिक रूप से उनका कमीशन भेज दिया जाता है। गत दो दिन पूर्व ही गुना वायपास रोड पर स्थित एक होटल संचालक के यहां से दो शराबियों को पुलिस ने पकड़कर पुलिस थाने बिठा लिया। जब इन शराबियों ने पुलिस की डिमांड के अनुसार उन्हें राशि नहीं दी तो इन्हें धारा 151 के तहत थाने में बंद कर दिया। इस प्रकार की कई वारदातें देहात थाना क्षेत्र में संचालित हो रही है। यही कारण है कि स्वयं थाना प्रभारी इस कार्य में तो दिलचस्पी लेते है लेकिन अपहरण, बलात्कार, डकैती, लूट और चोरी चकारी के मामलों से वह अनभिज्ञ रहते है। आखिर पुलिस थाना में यही सब करना है तो पुलिस की नौकरी ही क्यों गुण्डागर्दी करके भी तो यह सब एकत्रित किया जा सकता था।
यहां होता है सट्टे का कारोबार
देहात थाना क्षेत्र में जिन स्थानों पर सरेआम सट्टा खिलाया जा रहा है उनमें पुरानी शिवपुरी क्षेत्र, तीन दरवाजे, कमलीगरान मोहल्ला, इमामबाड़ा, गौशाला, इण्डस्ट्रीय एरिया, हवाई पट्टी, गुना-वायपास, अंबेडकनगर, जवाहर कॉलोनी, नीलगर चौराहा, मदकपुरा, लुधावली, अयोध्या बस्ती आदि ये क्षेत्र ऐसे है जहां पुलिस के संरक्षण में सटोरिये सट्टा खिलाते है। बच्चें,बड़े और बूढ़ों सहित महिलाओं को भी लोभ लालच देकर इन्हें सट्टा खिलाने के लिए प्रेरित किया जाता है। कई बार विवद की स्थिति भी यदि निर्मित हो जाए तो यहां पुलिस के ही दो वर्दी धारी आकर मामले में अपना लाभ देखकर मामला रफा-दफा कर देते है। इन सभी इलाकों की जानकारी देहात थाना प्रभारी को भी है लेकिन कहीं से कहीं तक पुलिस की कार्यवाही यहां नजर नहीं आती। यही कारण है कि यहां सट्टा खुले में जारी है। इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगना तय है।
इनका कहना है-
सट्टा एक अवैध कारोबार है जो आए दिन पुरानी शिवपुरी सहित अन्य क्षेत्रों में संचालित हो रहा है इसे रोकना अति आवश्यक है क्योंकि इससे बच्चों और बड़ों का भविष्य बिगड़ रहा है जो महज कुछ लालच के चलते इस कारोबार में ढूबे जा रहे है पुलिस को इस ओर सख्त कार्यवाही करना चाहिए।
अनिल गर्ग
तारकेश्वरी कॉलोनी, शिवपुरी
तारकेश्वरी कॉलोनी, शिवपुरी
सट्टा का कारोबार इन दिनों चरम पर है जहां देखो वहां सटोरिया सट्टे की पर्चियां काट रहा है पुलिस को इस मामले में सख्ती बरतने की जरूरत है हालांकि इस अपराध में सजा ऐसी है कि कोई सटोरिया पकड़े जाने पर भी तुरंत छूट जाता है जिसका फायदा उठाकर वह फिर से सट्टे का अवैध कारोबार करने लगता है। पुलिस की तत्परता और सख्ती से इस कारोबार को बंद किया जा सकता है।
विनोद गुप्ता
खेड़ापति कॉलोनी शिवपुरी
खेड़ापति कॉलोनी शिवपुरी
Social Plugin