डेयरी संचालकों को कितनी लूट की छूट, खुलेआम मिलावट

शिवपुरी- शहर भर में डेयरी संचालकों द्वारा उपभोक्ताओं लूट खसौट की जा रही है। उपभोक्ताओं द्वारा पूरा दाम चुकाये जाने के बाबजूद भी उन्हें अच्छी गुणवक्ता का दूध उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से दूध लाने बाले लोगों से दूध बीस रूपए से 24 रूपए लीटर तक खरीदा जा रहा है। 20 रू किलो खरीदे गए दूध का इस्तेमाल खोया (मावा)तथा मिठाईयां बनाने में किया जा रहा है ग्राहकों  से 26 रूपए किलो के पैसे बसूल करने के बाद भी उन्हें गुणवत्ता बाला दूध उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

दो क्विटल तक गलाई जाती है बर्फ

उपभोक्ताओं को विक्रय किए जाने बाले दूध में वर्फ को डालने के उपरांत भी कहा जाता है कि दूध में एक बंूद भी पानी नहीं मिलाया गया है। जबकि डेयरियों पर एक क्विटल से दो क्विंटल तक रोजना बर्फ खपाई जा रही है। जिसे दूध में डालकर उपभोक्ताओं का सरेआम आर्थिक शोषण किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मिली शह के कारण डेयरी संचालकों के हौंसले बुलंद बने हुए हैं।

बीस से तीस क्विंटल तक होता है दूध का विक्रय

शहर की गली कूचे की डेयरियों को यदि छोड़ दिया जाए तो शहर के नाम चीन डेरियों पर बीस से तीस क्विंटल तक दूध का विक्रय किया जाता है। जिस दूध को डेयरी संचालकों द्वारा 20 रूपए में खरीद कर 26 रूपए किलो बेचा जा रहा है। यदि हम 20 क्विंटल दूध की विक्री भी मानकर चलतें हैं। 6 रूपए किलो के मुनाफे का 12000 रूपए होता है। इसके साथ ही 2 क्विंटल दूध में दूध की कीमत 26 रूपए किलो से 5,200 रूपए होती है। कुल डेयरी संचालकों द्वारा एक ही दिन में 15 से 17 हजार रूपए तक का मुनाफा कमाया जा रहा है। उपभोक्ताओं से भरपूर दाम उगाने के बाबजूद भी पानी मिला घटिया दूध की विक्री की जा रही है। माधव चौक चौराहा, गुरूद्वारे के पीछे, नीलगर चौराहा, कमलागंज, मंगलम गेट के पास, छोटे लुहारपुरा पुलिया के पास, झांसी तिराहे पर संचालित डेयरी संचालकों द्वारा उपभोक्ताओं का सरेआम आर्थिक शोषण किया जा रहा है।  

दुग्ध उत्पादक लाभ से वंचित

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से होने बाले पलायन को रोकने के उद्देश्य से किसानों को दुग्ध उत्पादक की ओर आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनायें क्रियान्वित कर ग्रामीण क्षेत्र से होने बाले पलायन को रोकने का भरसक प्रयास किया है। जिन योजनाओं का लाभ लेकर ग्रामीणजन अपने परिवार का भरणपोषण गांव में रहकर ही कर सकें, लेकिन दुग्ध उत्पादकों द्वारा की गई मेहनत का लाभ उन्हें न मिलते हुए डेयरी संचालक जमकर चांदी काट रहे हैं।

खाद्य अधिकारी द्वारा समुचित कार्यवाही

शहर भर में संचालित डेयरी संचालकों द्वारा मचाई गई लूट खसौट के बाबजूद खाद्य अधिकारी द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। समय-समय दूध ही नहीं अन्य खाद्य सामग्रियों के लिए गए नमूनों के बाबजूद आज कोई सार्थक दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की जाती है। प्रशासनिक अमले द्वारा एक मुस्त किस्त बसूल कर डेयरी संचालकों को अभयदान दे दिया गया है। जिसके कारण डेयरी संचालकों को कोई कानून का भय नहीं है जिससे वे मनमानी लूट खसोट, एवं मिलावट कर उपभोक्ताओं लूट रहे हैं।

समुचित आय कर तथा विक्रय कर जमा नहीं करते डेरी संचालक

दूध डेयरी संचालकों द्वारा लाखों रूपए का दूध तथा अन्य सामग्री के विक्रय पर हजारों रूपए का लाभ कमाने के बाबजूद भी शासकीय नियमानुसार आयकर व विक्रय कर जमा नहीं किया जाता है। जिसके कारण शासन को प्रतिमाह लाखों रूपए राजस्व की हानि होती है। साथ ही काला धन की कमाई को बढावा मिल रहा है। लोकायुक्त की टीमें शासकीय अधिकारियों को तो अपना निशना बना रही है। लेकिन ऐसे कालाधन कामने बालों की ओर निगाहें भरकर देख लिया जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।