एएनएम की हड़ताल: बिना टेंट बिना तंबू, हड़ताल जारी है

शिवपुरी- जिला स्वास्थ्य समिति की अनुशंसा पर सेवा से पृथक की गई 57 एएनएम महिलाओं ने अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए स्थाई नियुक्ति की मांग करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जिलाधीश कार्यालय के बाहर बैठ गई है। इन एएनएम महिलाओ ने अपनी पड़ा व्यक्त करते हुए स्थाई नियुक्ति की मांग के साथ-साथ इन पर की गई कार्यवाही का विरोध जताया है।


 सभी एएनएम का एक स्वर में कहना है कि हमारे द्वारा शासन के द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन प्रमुखता से किया जा रहा है लेकिन किन्हीं अज्ञात कारणों के चलते अकारण ही हमें जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से सेवा से पृथक करने का आदेश दिया गया। यह सरासर हठधर्मिता है इस बारे में कलेक्टर महोदय के द्वारा भी कोई कार्यवाही ना होने से इन एएनएम महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है।

बीते दो दिनों से भीषण गर्मी में खुले आसमान और तपती धरती पर अनिश्चितकालीन दे रही एएनएम महिलाओ की पीड़ा को ना तो जिला प्रशासन समझ रहा और ना ही स्वास्थ्य विभाग जबकि एएनएम महिलाऐं अपनी समस्याओं को पूरा करने पर डटी हुई है। सीएमएचओ के घेराव के बाद जिला प्रशासन से भी जब कोई सहायता की आस नहीं जागी तो इन एएनएम महिलाओं ने आन्दोलन की रूपरेखा तय की और अपने छोटे-छोटे से बच्चो को लेकर भरी दोपहरी में यह महिलाऐं धरना प्रदर्शन में मौजूद रहकर अपनी समस्याओ के शीघ्र पूर्ण करने की मांग कर रही है। आन्दोलन कर रही एएनएम का कहना है कि हमें हटाने का कोई आदेश नहीं था और इसके पहले ही में सूचना पत्र भेजकर पद से पृथक संबंधी नोटिस दिया गया जिसमें जो कारण हमें हटाने के बताए गए वह सब बेबुनियाद है। 

अपनी इस समस्या को लेकर एएनएम महिलाओं ने इस संबंध में शिकायत जिलाधीश को की तो उन्होंने भी इन एएनएम कार्यकर्ताओं की सुनवाई को असुनवाई कर दिया। इसके बाद जब यह महिलाऐं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पास पहुंची तो यहां भी इनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ और विरोध स्वरूप दो घंटे तक सीएमएचओ का कार्यालय में ही घेराव कर दिया। इतना सब करने के बाद भी जब न्याय नहीं मिला तो आखिरकार एएनएम महिलाओं के इस संगठन ने अनिश्चितकालीन धरना जिलाधीश कार्यालय के समाने शुरू कर दिया है। सभी एएनएम महिलाओं का कहना है कि जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जाती तब सभी एएनएम धरने पर बैठी रहेंगी। इस भीषण गर्मी में प्रशासन ने यदि इनकी सुध नहीं ली तो किसी दिन कोई हादसा घटित होने पर इसकी जबाबदेही भी जिला प्रशासन की ही होगी क्योकि ये महिलाऐं अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ कड़क धूप में अपने न्याय की लड़ाई लड़ रही है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन के कानों पर जूं रेंगी ताकि इन्हें न्याय मिल और यह धरना प्रदर्शन स्थगित हो सके।

क्यों हटाया एएनएम को?

जिले भर के दूरस्थ ग्रामों में समय-समय पर टीकाकरण, पल्स पोलया, कुष्ठ निवारण सहित राष्टï्रीय स्तर के कार्यक्रमों की जिम्मेदारी का जिम्मा  इन एएनएम महिलाओं कार्यकर्ताओ पर है और यह अपनी ड्यूटी को निभा भी रही है लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति ने इन एएनएम को इसलिए हटा दिया क्योकि इनके द्वारा मुख्यालय पर निवास ना करना, राष्टï्रीय कार्यक्रमों में रूचि ना लेना इनकी उपलब्धि संतोषजनक ना पाया जाना, टीकाकरण का कार्य एवं अन्य योजनाओं में रूचि ना होना कारण बताया गया जिसके तहत एन.आर.एच.एम. के पत्र क्रमांक/एनआरएचएम/एचआर/2012/2316 भोपाल से दिनांक 14 फरवरी 12 द्वारा प्राप्त निर्देशानुसार इनकी संविदा ए.एन.एम. हेतु पात्रत नहीं होना पाया गया। जिसके तहत इन्हें इस पद से हटा दिया गया। अपनी सेवा से पृथक इन सभी एएनएम ने इन कारणों का विरोध किया और मौके पर वस्तुस्थिति जानने की मांग की साथ ही ग्राम पंचायत के सरपंच से भी हस्ताक्षरयुक्त ये सभी कार्यक्रम ग्रामों में होने का प्रमाण भी दिया है। इसके बाद भी इनकी सुध ना तो जिला प्रशासन ने ली और ना ही स्वास्थ्य विभाग इनके प्रति संवेदनशील नजर आ रहा है बल्कि वह तो जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा जारी पत्रानुसार कार्यवाही करने को बाध्य है।

एएनएम की यह रही मांगें

जिले भर की लगभग 57 एएनएम महिलाओं को जिला स्वास्थ्य समिति के पत्रानुसार सेवा से पृथक कर दिया गया है। इन सभी महिलाओ ने अपने आप को इस तरह से हटाए जाने का न केवल विरोध दर्ज कराते हुए सीएमएचओ व जिला प्रशासन का घेराव किया बल्कि अपनी सेवा बहाल तक के लिए कलेक्टर कार्यालय के बाहर ही धरने पर बैठ गई। इन एएनएम महिलाओं की जो मांगें है उनमें प्रमुख रूप से संविदा ए.एन.एम. जो कि पूर्व का पद है के रूप में बहाल किया जाए, संविदा नौकरी की अवधि निश्चित की जावे, वेतनमान में वृद्घि की जाए एवं समय पर वेतन प्रदान किया जाए, सेवा में स्थाई नियुक्ति दी जाए साथ ही अंत में इन सभी मांगों के पूर्ण होने के लिए लिखित रूप से स्वीकारोक्ति की मांग शामिल है। इन एएनएम महिलाओ का कहना है कि यदि हमारी मांगें पूर्ण नहीं की गई तो यह अनिश्चितकालीन धरना यूं ही निरंतर जारी रहेगा और इसकी संपूर्ण जबाबदेही जिला प्रशासन की होगी।

हालत बिगड़ी एएनएम की

जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा सेवा से पृथक की गई 57 महिलाओं ने अपनी समस्याओ को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। महिलाऐं भी अपने हक के लिए तपती दोपहरी में कलेक्टर कार्यालय के बाहर अपने मासूम बच्चों के साथ समस्याओ के निराकरण की मांग कर रही है। यहंा धरने में बैठी क्रांति सिंह की तबियत खराब होने लगी है जबकि रविता सिंह को गर्मी अधिक हो जाने के कारण बोतल चढ़ाई गई है वहीं सुनीता तिवारी को भी गर्मी के कारण बोतल चढ़ाई गई है। यह तो महज एक दो एएनएम है यदि इसी तरह हालत बिगड़े तो किसी दिन बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता। जिला प्रशासन को चाहिए कि वह इन एएनएम की संवेदनाओं को समझते हुए शीघ्र इस ओर कार्यवाही करें अन्यथा किसी दिन बड़ा हादसा यहां घटित हो सकता है। क्योंकि पारा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और महिलाओं की हालत भी आए दिन बिगड़ रही है।

ये है संयुक्त संचालक के आदेश

यहां बताना होगा कि जिन 57 एएनएम को पद से पृथक किया गया है इन सभी एएनएम की नियुक्ति संचालनायल स्वास्थ्य सेवाऐं राज्य स्वास्थ्य समिति भोपाल द्वारा 2 अप्रैल 2012 को वर्ष 2012-13 की राज्य कार्ययोजना को भारत सरकार के अनुमोदन हेतु प्रेषित किया गया था जिसके संबंध में संयुक्त संचालक डॉ.के.एल.साहू द्वारा एक पत्र मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को भी भेजा गया। जिसमें साफ-साफ लिखा था कि  वर्ष 2012-13 की राज्य कार्ययोजना को अनुमोदन हेतु इन एएनएम को नियुक्त किया गया है जिन्हें अनुमोदन प्राप्त होने तक किसी भी संविदा अधिकारी कर्मचारी को सेवा से पृथक ना किया जाए। लेकिन इस आदेश को भी यहां हवा में उड़ाया गया और आज यह 57 एएनएम महिलाऐं अपने अधिकारो की लड़ाई लड़ रही है।