नाम के गफलत में नहीं बनाया जा रहा नया सर्टिफिकेट

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राजू (ग्वाल)यादव
शिवपुरी-बीते 15 दिन पूर्व ही जिला चिकित्सालय में नाम की गफलत को लेकर एक महिला की दूसरी महिला के उपचार के कारण असमय ही मौत हो गई थी लेकिन इसके बाद भी जिला चिकित्सालय ने अपनी गलतियों से सुधार नहीं किया। ऐसा ही एक मामला अब नसबंदी से जुड़ा होना बताया गया है।


जहां महिला का नाम जल्दबाजी में परिजनों ने घर का नाम दर्ज करा दिया तो वहीं जिला चिकित्सालय के सरकारी रजिस्टर में इस महिला के पति का नाम ही उल्टा दर्ज कर दिया गया और नसबंदी का सर्टिफिकेट भी महिला को प्रदान कर दिया गया लेकिन अब महिला अपना ग्रीनकार्ड बनवाने के लिए इस सर्टिफिकेट में दुरूस्ती के लिए दर-दर की ठोंकरें खाने को मजबूर है क्योकि इस मामले की शिकायत जब सिविल सर्जन से की तो उन्होंने निगरानी कर रहे चिकित्सक के पास जाने की बात कह दी। इस तरह यह महिला दोनों तरफ की बातों में ही झूल रही है जबकि उसका नाम बदलकर उसे सर्टिफिकेट नहीं दिया जा रहा। पीडि़ता ने अपनी यह गुहार जिला प्रशासन से की गई है।

बीते 26 दिसम्बर 11 को जिला चिकित्सालय के पीपी सेंटर में नसबंदी ऑपरेशन शिविर के दौरान एक महिला नसबंदी कराने आई। जिसका ऑपरेशन पंजीयन क्रमांक 446-157 पर दर्ज है जब महिला का नसबंदी कराने उसका नाम दर्ज कराया गया तो यहां परिजनों ने उसके घर का नाम चंचल ओझा दर्ज करा दिया, यहां तक तो ठीक भी है लेकिन इसमें सबसे बड़ी गलती जिला चिकित्सालय प्रबंधन के उन कर्मचारियों की भी है जिन्होंने इस महिला के पति का नाम विजय शर्मा के स्थान पर दीपेश शर्मा दर्ज कर लिया। 

अब महिला का ऑपरेशन होने के बाद उसे नसबंदी कराने का सर्टिफिकेट भी चंचल ओझा पत्नी दीपेश शर्मा के नाम से दे दिया गया। इस तरह पूरे मामले में महिला का नाम गलत होने के कारण उसका ग्रीनकार्ड नहीं बन पा रहा है। चंचल ओझा का वास्तविक नाम दिव्या शर्मा है जिसने सर्टिफिकेट में अपना नाम सही कराने को लेकर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ.गोविन्द सिंह को शिकायत की परन्तु उन्होंने भी इस महिला की आर्थिक स्थिति को ना भांपते हुए इस मामले में नसबंदी ऑपरेशनों की निगरानी के लिए लगे डॉ.निसार अहमद के पास जाने को कहा। यहां जब डॉ.निसार को जब महिला ने अपनी पीड़ा सुनाई तो उन्होंने कुछ कागजी दस्तोवेज मांगे जिसमें शपथ पत्र, वोटर कार्ड स्वयं का व पति का आदि। 

कुछ दिनों बाद जब चंचल जिसका वास्तविक नाम दिव्या शर्मा है इन सभी दस्तावेजों को लेकर डॉ.अहमद के पास पहुंची तो उन्होंने झल्लाकर उसकी असुनवाई कर दी और कागज भी नहीं लिए। इस महिला की पुष्टि स्वयं परिच्छा में एएनएम सुशीला ओझा ने भी की जो इस महिला के सर्टिफिकेट में नाम बदलवाने के लिए जिला चिकित्सालय के सैकड़ों चक्कर लगा चुकी है लेकिन आज तक इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। अगर यही हाल जिला चिकित्सालय में रहा तो फिर कैसे कहेंगे कि यहां मरीजों की सुनवाई होती है ऐसे में जिला चिकित्सालय प्रबंधन की घोर लापरवाही कभी किसी बड़ी घटना को जन्म दे सकती है यदि समय रहते व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ तो निश्चित रूप से यहां विवाद की स्थिति बनेगी और इसका पूर्ण जिम्मा जिला चिकित्सालय प्रबंधन का होगा।

नाम की गफलत में तो चली गई थी महिला की जान

जिला चिकित्सालय की यदि अव्यवस्थाओं पर गौर किया जाए तो यहां आधुनिकता के नाम पर महज दिखावा हो रहा है। अंग्रेजी के अक्षरों से सुसज्जित रजिस्ट्रेशन कागज के बाद सभी व्यवस्थाऐं चारों खाने चित्त है। यही कारण रहा है कि महज 15 दिन पूर्व भी जिला चिकित्सालय में दो नाम की एक महिला को जिला चिकित्सालय के वार्ड में अलग-अलग बीमारी के उपचार के लिए भर्ती किया गया था लेकिन यहां महिलाओं के एक जैसे नाम होने के कारण गलत इलाज कर दिया गया जिससे ठकुरपुरा निवासी मीरा यादव की मौत हो गई जबकि मीरा नाम की ही एक अन्य महिला जो बैराढ़ की थी वह भगवान की वजह से बच गई। इस तरह मरीजों से हो रहे खिलवाड़ को स्वयं जिला चिकित्सालय प्रबंधन अपनी गलतियों के चलते नहीं रोक पा रहा है।

अब भी गलतियों से सबक नहीं लेता विभाग

जिला चिकित्सालय में आए दिन होने वाले विभिन्न केसों पर यदि गौर किया जाए तो यहां रोज विवाद की स्थिति बनेगी। कहीं कोई मरीज दवा को लेकर भिड़ेगा तो कभी कोई रजिस्टर में दर्ज अपने नाम को लेकर, क्योकि जिला चिकित्सालय में आए दिन होने वाली गलतियों से भी अस्पताल प्रबंधन सबक नहीं लेता जिसका परिणाम है कि आज भी यहां चिकित्यकीय व्यवस्था चारों खाने चित्त पड़ी हुई है। समय पर ना तो मरीजों को उपचार मिल रहा है और ना ही उनकी कोई सुनवाई हो रही है। मरीजों को चैक करने के लिए आने वाले चिकित्सक भी महज दिखावा कर अधीनस्थ स्टाफ में नर्स व कर्मचारी को हिदायत देकर चले जाते है और फिर उसके बाद होने वाली गलतियों से अपने आप को पूरा चिकित्सकीय प्रबंधन दूर कर लेता है। सरेआम मरीजों की जान से हो रही खिलवाड़ को रोका जाना चाहिए।
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