72 घंटे बाद आदिवासियों की आवाज पहुंची कलेक्टर शिवपुरी के कानों में

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राजू (ग्वाल)यादव
शिवपुरी-प्रदेश के छत्तीसगढ़ सरकार को मुंह चिढ़ाकर अपहरण किए गए सुकमा कलेक्टर मेनन की जिन हालातों में रिहाई हुई। उसकी हकीकत स्वयं कलेक्टर ने बयां की जहां इन्होनें यह भी कहने से परहेज नहीं किया कि आज भी देश में आदिवासी अगर बंदूक उठाते है तो इसके लिए पूरा समाज ही दोषी है प्रतिदिन महज 2 से 8 रूपये कमाने वाले इन आदिवासियों को आज भी प्रदेश सरकार की योजनओं की आस है ताकि उनका उद्वार हो सके लेकिन जब इस हकीकत को स्वयं अपहृत कलेक्टर ने अपनी आंखों के सामने देखा तो वह इनकी हीककत से रूबरू हुए। यह तो रही बात सुकमा कलेक्टर की लेकिन शिवपुरी में भी आदिवासियों की भी कुछ ऐसी ही हालत है।


यहां आदिवासियों को अपनी ही भूमि के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है जिसका परिणाम यह है कि जिले भर के आदिवासियों ने अपनी मांगों केा पूर्ण कराने के लिए कलेक्टर के समक्ष ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। लगातार तीन दिनों से जारी इस धरना प्रदर्शन से आहत कलेक्टर ने आखिरकार इनकी सुनवाई कर ही ली और यह अनिश्चितकालीन हड़ताल तीन दिनों में ही स्थगित हो गई। यहां कलेक्टर ने इन आदिवासियों की मांगों को पूर्ण करने के लिए स्वयं मौका स्थलों का निरीक्षण किया और आदिवासियों की संपूर्ण मांगों को 15 दिवस में पूरी करने की बात कही।

जिले भर में आदिवासियों को उनकी भूमि से बेदखल करने के बाद दर-दर ठोकरें खा रहे आदिवासियों के नेता रामप्रकाश शर्मा ने आखिरकार इनके संगठन को लेकर आर-पार की लड़ाई लडऩे का मन बनाया। जिसका परिणाम यह हुआ कि कलेक्टे्रट सभागार के समक्ष बाहर ही यह आदिवासी परिवार धरना स्थल पर बैठ गए। अनिश्चितकालीन हड़ताल के रूप में घोषित इस धरना प्रदर्शन से आहत कलेक्टर ने आखिरकार तीन दिवस में इनकी सुनवाई की और मौके पर एसडीएम अशोक कम्ठान को पहुंचाकर पूरे मामले की जानकारी ली। जिस पर स्वयं कलेक्टर जॉंन किंग्सली इन आदिवासियों के धरना स्थल पर पहुंचे और इनके नेता रामप्रकाश शर्मा व अन्य आदिवासियों के साथ इनकी भूमि पर पहुंचे जहां भ्रमण करते हुए आदिवासियों से विस्तृत जानकारी ली। 
 
एकता परिषद के नेता रामप्रकाश शर्मा ने कलेक्टर को अवगत कराते हुए कहा कि पूरे जिले भरग में लगभग 3 से 5 हजार आदिवासी परिवार अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दूसरों पर आश्रित है जबकि इनकी स्वयं की भूमि है और यह फसल करके अपने परिवार को पाल सकते है लेकिन दबंगों व भू-माफियाओं के चलते इन्हें इनकी ही से बेदखल किया गया है। श्री शर्मा ने कलेक्टर को कई ग्रामों की जानकारी देकर वहां इन आदिवासियों को बसाने की मांग की। साथ ही वन अधिकार कानून को प्रदेश में भी लागू किया जाए ताकि इन आदिवासियो को मिली भूमि पर वह फसल उगाकर अपना परिवार पाल सके। इन आदिवासियों की मांगों को सुनते हुए कलेक्टर जॉन किंग्सली ने बिनेगा व पास के अन्य ग्रामों में पहुंचकर आदिवासियों की भूमि को खाली कराकर उनके सुपुर्द की गई, इसके बाद बुधौन, राजापुर, खनियाधाना सहित समूचे अंचल में आदिवासियों को वन भूमि प्रदान कर इन्हें आजीविका के रूप में आत्मनिर्भर बनाने हेतु भूमि दिए जाने पर भी विचार किया है।
 
 मौके पर मौजूद कलेक्टर ने सभी आदिवासियों की मांगें पूरी करने के लिए 15 दिन का समय मांगा है और इन 15 दिनों में इनकी मांगें पूरी कर ली जाऐंगी। इस अवसर पर आदिवासियों के नेता रामप्रकाश शर्मा सहित आदिवासियों ने प्रदेश सरकार और शासन के द्वारा प्रदत्त जमीन मिलने पर आभार माना है।

महज आश्वासनों तक ही सीमिति न रह जाए प्रशासन

जिन आदिवासियों ने अपने हक की लड़ाई के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जैसा कदम उठाया और उनकी इन मांगों को पूर्ण करने के लिए जिला प्रशासन ने 15 दिन का आश्वासन भी दिया। यदि इन 15 दिनों में भी कहीं इन आदिवासियों को न्याय नहीं मिला तो ऐसा ना हो कि सुकमा कलेक्टर जैसा घटनाक्रम कहीं शिवपुरी में ना हो जाए। क्योकि आदिवासियों के हौंसले भी तभी बुलंद होते है जब वह हर प्रकार से अपनी पीड़ा को सहते है और यह सहनशीलता जब जबाब दे जाती है तो इस प्रकार की वारदातें होने लगती है। ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि वह इन आदिवासियों को उनके वाजिब हक दिलाने के लिए दी गई समयावधि में पूरा करें अन्यथा भविष्य में कुछ घटनाक्रम घटे तो इसका जबाबदार कौन होगा यह एक सोचनीय प्रश्न है।
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