शनि मंदिरों पर भक्तों ने मनाया शनि को

शिवपुरी-शहर के प्रसिद्घ शनि मंदिरों पर आज शनि के प्रकाप से बचने के लिए शनि भक्तों ने शनिदेव को मनाया। क्योक आज के दिन के बाद अब पूरे वर्ष भर शनिचरी अमावस्या नहीं है इसलिए आज का दिन बड़ा ही महत्व रखता है जिसके चलते सुबह से नवग्रह मंदिर, झिरिया मंदिर व छत्री रोड स्थित शनि मंदिरों पर भक्तगण सुबह से शनिदेव को मनाते देखे गए। इस अवसर पर इन मंदिरों पर दूर-दराज से आने वाले ग्रामीण व शहरवासियों ने भी पूजा-अर्चना कर शनि भक्ति की। मंदिरों पर आज मेला भी लगे साथ ही कन्याभोज एवं प्रसाद वितरण का आयोजन भी हुआ।



शनिदेव की आराधना करने के लिए शनि भक्तों को शनिचरी अमावस्या से बड़ा दिन कोई नहीं मिल सकता। यही कारण है कि आज शनिचरी अमावस्या के दिन शहर के शनि मंदिर नवग्रह जहां नौ देवताओं के साथ शनि महाराज विराजमान है यहां सुबह से ही मंदिर पर सर्वाधिक भीड़ उमड़ी। इसके साथ ही झिरिया सरकार पर कमलागंज व अन्य स्थानों से भी शनि भक्तों ने आराधना करने के लिए अपनी कतार लगाई और शनि पूजा की। इसके साथ-साथ शहर से दूर छत्री मार्ग पर स्थित एक मात्र शनि मंदिर पर भक्तों का जमाबड़ा नजर आया। यहां के पुजारी राजू जोशी ने बताया कि शनि भक्तों पर शनि की कृपा होती है ना कि वह किसी का बुरा करते है बस शनिवार और शनिचरी अमावस्या को शनि की आराधना करने से मन वांछित फल मिलता है और उन भक्तों पर शनि का प्रकोप नहीं रहता। इसमें सर्वाधिक लाभ शनिचरी अमावस्या को मिलता है जहां इस वर्ष तो चार-चार शनिचरी अमावस्या पड़ी लेकिन आज 21 अप्र्रैल के बाद अब एक वर्ष तक शनिचरी अमावस्या नहीं है इसलिए मंदिरों में शनि भक्तों की भीड़ रही। इन सभी शनि मंदिरों पर भजन-कीर्तन, पूजा-अर्चना, कन्याभोज, प्रसादी व  शनि मेला आयोजित किए गए। जहां हजारों की संख्या में शनि भक्तों ने शनि आराधना की।

तेल, काला कपड़ा और काली उड़द से प्रसन्न होते है शनिदेव

छत्री रोड स्थित शनि मंदिर के पुजारी राजू जोशी का कहना है कि यंूं तो शनिदेव की आराधना करने वाले भक्त अपने-अपने भाव से पूजा करते है लेकिन यदि शनिदेव की आराधना के साथ उनका आर्शीवाद और मनवांछित करते हुए शनिदेव को खुश करना है तो बताया जाता है कि शनिदेव की आराधना के लिए उन्हें सर्वाधिक तेल पसंद है साथ ही काली उड़द, काला कपड़ा और एक नई लोहे का कोई भी औजार अथवा कील जो भी मिले इस विधि के साथ शनिवार के दिन शनिदेव को पूजा जाए तो इसका मनवांछित फल भक्तों को मिलता है। मंदिरों पर अब इस पूजा पाठ का सामान लेने के लिए भी भक्तों को भटकने की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह सब सामग्री विक्रेता भी अब ठेले लगाकर भक्तों को सुलभ करा रहे है।