प्रतिबंध बेअसर: ब्लैक में बिक रहा है गुटखा

शिवपुरी/ कोलारस। प्रदेश में बीते 1 अप्रैल से गुटखा के बिक्रय और उत्पादन पर प्रतिबंध लगने के बाद गुटखा प्रेमियों की परेशानी बढ़ गई है या यह कहें कि उनकी नींद उड़ गई है। बाजार में गुटखे के पाउच गुपचुप तरीके से मनमाने दाम पर बेचे जा रहे हैं। ए वी रोड़ पर बैठे हुये थोक व्यापारियों की कालाबाजारी के चलते गुटखा मनमाने दाम पर बिक्रय हो रहा है।
कोलारस सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों जिनमें लुकवासा, खरई, रन्नौद, पचावली, सेसई, बदरवास, डेहरवारा में संचालित पान की दुकानों, किराना दुकानों पर इस समय गुटखे के पाउचों की जमकर कालाबाजारी की जा रही है। जिन दुकानदारों के पास पुराना स्टॉक रखा है वह लगभग तीन गुने दामों पर गुटखा पाउच बेचकर ग्राहकों को ठग रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा गुटखा के उत्पादन एवं इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद से ही बाजार में कालाबाजारी तेजी से बढ़ गई है। 

हालात यह हैं कि यहां थोक कारोबारियों ने बड़े स्तर पर गुटखा का अधिक मात्रा में स्टॉक कर रखा है इस स्टॉक को गुटखा कारोबारी गुपचुप तरीके से बाजार में खपा रहे हैं और जैसे-जैसे व्यापारियों के यहां स्टॉक समाप्त हो रहा है वैसे वैसे थोक गुटखा व्यापारियों की कालाबाजारी बढ़ रही है। थोक व्यापारियों ने गुटखा के पैकेट के दामों में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी कर दी है और छोटेमोटे दुकानदारों को काफी बढ़े हुये दामों में गुटखा एवं सादा पाउच बेच रहे हैं। दुकानदारों द्वारा 1 रूपये में मिलने वाला गुटखा 3 रूपये तक में बेचा जा रहा है। आगे इसकी रेट और भी बढ़ सकती है। वहीं थोक व्यापारियों ने बाजार की स्थिति को देखते हुये पहले से ही लाखों रूपये का गुटखे का माल स्टॉक कर रखा है।
 

आखिर क्यों नहीं हुई छापामार कार्यवाही

गुटखा पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद से ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन भी सक्रिय नहीं है। यही कारण है कि बाजार में गुटखा की कालाबाजारी तेजी से बढ़ रही है। दुकानदार अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं अनेक जिलों सहित तहसीलों में प्रशासन द्वारा कार्यवाही की गई है और अनेक जगहों पर छापे भी मारे परन्तु यहां संबंधित विभाग के नुमाइंदों ने चुप्पी साध रखी है। वहीं प्रशासन अभी भी कार्यवाही जल्द किये जाने का भरोसा दिला रहा है। कोलारस नगरीय क्षेत्र सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में प्रतिबंधित गुअखा ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है परन्तु सोचने वाली बात तो यह है कि सरकार द्वारा बीते 1 अप्रैल से प्रतिबंधित किये गये गुटखा पर लगाये गये प्रतिबंध का असर कोलारस सहित ग्रामीण अंचलों में दूर-दूर तक देखने को नहीं मिल रहा है।