शिवपुरी. केन्द्र सरकार की
मनमानी पूर्ण नीतियों के चलते आज किसान दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है
ऐसे में उसकी सुनवाई नहीं हो रही है एक ओर जहां वह खाद-बिजली और पानी के
लिए जद्दोजहद कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर उसे अपने ही परिवार को चलाने के
लिए अन्न उगाना भी मुश्किल सा प्रतीत हो रहा है। केन्द्र के द्वारा मिलने
वाली सुविधाओं का लाभ आज तक किसानों को नहीं मिल पा रहा यही कारण कि आज
किसानों को रेल रोकने जैसा कदम उठाना पड़ा अगर यही हाल रहा है किसान मोर्चा
आगामी समय में और भी कई आन्दोलन छोडऩे को बाध्य होगी। केन्द्र सरकार को
किसानों की पीड़ा को समझना चाहिए।
उक्त तीखे उद्गार दे रहे थे भारतीय
किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह चौहान ने जिन्होंने किसानों की
समस्याओं को लेकर आज प्रदेश भर में केन्द्र सरकार की नीतियों के विरोध में
रेल रोको आन्दोलन के तहत प्रदर्शन के दौरान कही। इस अवसर पर सैकड़ों किसान
मौजूद थे। जिन्होंने केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने प्रदेश किसान मोर्चा के आह्वान पर केन्द्र सरकार की नीतियों के विरोध में रेल रोको आन्दोलन का आगाज शिवपुरी में भी किया।
भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने प्रदेश किसान मोर्चा के आह्वान पर केन्द्र सरकार की नीतियों के विरोध में रेल रोको आन्दोलन का आगाज शिवपुरी में भी किया।
जहां प्रात: 10 बजे रेल रोको आंदोलन को
सफल बनाने के लिए सैकड़ों की संख्या में किसान रेलवे स्टेशन पर पहुंचे।
जैसे ही ग्वालियर-दमोह ट्रेन आई तो अपना विरोध दर्ज कराते हुए किसान मोर्चा
के जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह चौहान के नेतृत्व में रेल रोकी और अपना विरोध
दर्ज कराया। इस अवसर पर किसानों के इस आन्दोलन को संबोधित करते हुए मोर्चा
के जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह चौहान ने बताया कि केंन्द्र की यूपीए सरकार की
कृषि एवं किसान विरोधी नीतियों के कारण खेली किसानी महज घाटे का व्यवसाय
बनकर रह गई है। जिसकी परिणति यह हुई है। कि आज देश में हर 30 मिनट में एक
किसान आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहा है।
इसलिए केंन्द्र सरकार की किसान विरोधी
नीतियों के विरोध में भाजपा किसान मोर्चा को रेल रोको आंदोलन करना पड़ा।
जहां किसान मोर्चा ने आंदोलन के क्रम में किसान मोर्चा की विभिन्न मांगे भी
रखी जिसमें केन्द्र सरकार गेंहू की फसल पर प्रति क्विटंल 500 रूपए बोनस
दे क्योंकि सरकारी कर्मचारियों के वेतन गत 20 वर्षो में 18 गुना बढ़े हैं।
वहीं फसलों का समर्थन मूल्य 5 गुना से भी कम बढ़ा है। कृषि बजट आम बजट के
साथ अलग से पेश किया जाए। जैसा कि मध्य प्रदेश सरकार ने करके एक मिसाल कायम
की है, बाजार की नकली तेजी मंदी एवं वायदा बाजार की मार से किसानों को
संरक्षित किया जाए, आपदा के समय किसानों को 10000 रूपए प्रति एकड़ मुआवजा
दिया जाए। सरकार स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करें। इस प्रदर्शन
में महेशचंद डागौर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भी मौजूद रहे साथ ही अन्य
किसानों ने भी अपना प्रदर्शन करते हुए इस आन्दोलन को सफल बनाया।