आगे नहीं बढ़ पा रहा है देवास-ग्वालियर फोरलेन प्रोजेक्ट

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2815 करोड़ रु. वाले देवास-ग्वालियर फोरलेन प्रोजेक्ट में अबकी बार तहसील स्तर से अड़ंगे लगे हैं। देवास से शिवपुरी और शिवपुरी से ग्वालियर तक दो हिस्सों में बंटे इस प्रोजेक्ट में देवास से शिवपुरी के बीच पांच बड़ी तहसीलों ने छह माह बाद भी स्पष्ट जानकारियां नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को नहीं सौंपी है। इससे प्रोजेक्ट फाइलों में ही उलझकर रह गया और आगे नहीं बढ़ पा रहा है।



देवास से शिवपुरी तक फोरलेन में कुल 15 तहसील आएंगी। इन तहसीलों ने ३ए सर्वे (प्रभावित क्षेत्र का रकबा) की रिपोर्ट तो भेज दी लेकिन इसके बाद होने वाले ३डी सर्वे (भू-स्वामी सहित जमीन की जानकारी) अब तक विभाग को नहीं सौंपी। १५ तहसीलों में से ५ तहसीलों ने जानकारी नहीं दी।
 
नवंबर से अटका मामला- एनएचएआई ने ३ए सर्वे (प्रस्तावित रकबा) व ३डी सर्वे (प्रस्तावित रकबा, प्रकार और खसरा नंबर सहित रिकॉर्ड) कराया। इसे दिल्ली से स्वीकृति मिल गई लेकिन औपचारिकता के तौर पर राजस्व विभाग की सहमति मांगी। इसके लिए विभाग ने नवंबर के प्रथम सप्ताह में सभी प्रभावित १५ तहसीलों को इसका ३डी सर्वे कर मूल्यांकन का जिम्मा सौंप दिया लेकिन पांच तहसीलों ने अब तक यह काम नहीं किया। इस कारण करोड़ों के प्रोजेक्ट की फाइल हाईवे के रीजनल कार्यालय गुना में ही अटकी है। फाइल आगे नहीं जाने से आगे होने वाला ३जी सर्वे (भू-स्वामी का नाम व जमीन का मूल्यांकन) कार्य की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। यदि यह सब हो जाता है तो मूल्यांकन के बाद मुआवजा राशि वितरित कर भू-अर्जन किया जाएगा।

इन तहसीलों ने नहीं दी जानकारी- ब्यावरा, राघौगढ़, सारंगपुर, कोलारस और बदरवास इन 5 तहसीलों ने अब तक ३डी सर्वे रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजी है। विभाग ने इसके लिए कई बार संबंधितों को सूचना दी लेकिन इसके बाद भी जानकारी देना उचित समझा।

जनवरी में शुरू होना थी प्रक्रिया- भू-अर्जन के मामले में जनवरी से भू-अर्जन प्रक्रिया शुरू की जाना थी लेकिन ३डी सर्वे की फाइल अब तक दिल्ली नहीं पहुंचने के कारण इसमें और देरी होगी, क्योंकि ३डी सर्वे रिपोर्ट को दिल्ली भेजने के बाद ३जी सर्वे किया जाना है। इसके बाद भू-अर्जन प्रक्रिया शुरू हो सकेगी लेकिन रिपोर्ट में देरी होने से प्रोजेक्ट में भी देरी होगी।

जनवरी में वर्कऑर्डर जारी- निर्माण के लिए हाईवे विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। निर्माण एजेंसी तय कर जनवरी में वर्कऑर्डर भी जारी हो चुके हैं लेकिन कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। काम में यदि ऐसी ही ढीलपोल रही तो करोड़ों का निर्माण कार्य प्रभावित होगा।
 
इनका कहनाप्रभावित तहसीलों में से 5 बड़ी तहसीलों ने अब तक ३डी सर्वे रिपोर्ट की फाइल नहीं भेजी है। मामले में कई बार संबंधितों को सूचना भी दी गई लेकिन इसके बाद भी अब तक रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट के बाद ही जानकारी दिल्ली भेजी जा सकती है। ऐसे में अब तक ३जी सर्वे की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है जबकि निर्माण के लिए जनवरी २०१२ में निर्माण एजेंसी को वर्कऑर्डर भी दे दिया गया है। 
आई.एम. सिद्धीकी, 
परियोजना निदेशक एनएचएआई
 

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