शिवपुरी। शिवपुरी से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित सुरवाया के विकास प्रोजेक्टर को लेकर योजना बना रहे एक प्रतिष्ठित व्यापारी का नाम गत दिवस ग्वालियर में कोटेश्वर मंदिर पर हुई पूर्व पार्षद के भाई की हत्या में नाम शामिल होने पर ग्वालियर थाना पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। जहां पुलिस ने जिस दौराम घटनाक्रम के तहत व्यापारी का नाम एफआईआर में शामिल किया वह उस समय शिवपुरी में अपने प्रोजेक्ट पर साथियों के साथ काम में लगा हुआ था। इस घटना से व्यापारी को मानसिक व उसकी सामाजिक छवि को धूमिल करने का प्रयास ग्वालियर पुलिस ने किया। इस मामले में व्यापारी द्वारा वह दस्तावेज भी मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किए जिस पर प्रोजेक्ट के तहत कार्य होना है साथ ही मामले की जांच के लिए व्यापारी हर प्रकार तैयार है।
यहां बताना होगा कि गत दिवस ग्वालियर में प्लाट विवाद को लेकर कोटेश्वर महादेव मंदिर के समीप हुई गोलीबारी में पूर्व पार्षद ममता राय के भाई संजीव राय की उसके ही पुरानी रंजिश के चलते विवादास्पद लोगों से मन मुटाव था जिसका परिणाम यह हुआ कि 29 फरवरी की रात लगभग 8:30 बजे से 11 बजे के दौरान संजीव व उससे रंजिश रखने वाले किशोर, सोनू, निरंजन, प्रमोद व अन्य लोगों से विवाद हो गया और इस दौरान दोनों पक्षों में फायरिंग भी हुई जहां संजीव राय की गोली लगने से मौत हो गई।
इस घटना के बाद ग्वालियर थाना पुलिस ने जो कायमी की उसमें ग्वालियर के ही प्रतिष्ठित व्यापारी आनन्द शिवहरे पुत्र पूरनचंद शिवहरे का नाम भी शामिल किया जो जांच का विषय है। क्योंकि आनंद शिवहरे घटना के समय शिवपुरी स्थित सुरवाया में विकास प्रोजेक्टर को लेकर अपने साथियों कर्नल बलवीर सिंह तलवार निवासी चण्डीगढ़, निपुन जोशी नि.चण्डीगढ़, कुक्कू जी नि.ग्वालियर, एम.एल.मौरे नि.ग्वालियर, सोनू सिकरवार निवासी शिवपुरी के साथ-साथ सुरवाया पर जमीन की चौकीदारी कर रहे सुख्खा सिंह, सुरवाया निवासी पुलिस दीवान इन्दर सिंह सोलंकी व प्रमोद पावाह आदि के साथ मौजूद थे। घटना के दिन आनन्द शिवहरे अपने साथियों के साथ दोप.3 बजे शिवपुरी आए और रात में टूरिस्ट विलेज में ठहरे। जहां टूरिस्ट विलेज में भी इनके ठहरने की पुष्टि की गई है।
इन सब के बीच आनन्द शिवहरे का घटना से कोई लेना देना नहीं और पुलिस ने एफआईआर में नाम शामिल कर अपनी ही कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा किया है जबकि आनन्द शिवहरे ने कहा कि पुलिस अगर चाहे तो वह हर प्रकार से जांच कराने के लिए तैयार है। इस मामले में आनन्द के साथ रहने वाले साथीगण भी पूरी तरह से आनन्द के साथ इसकी गवाही वह स्वयं दे रहे है। पुलिस को इस मामले की विस्तृत जांच करना चाहिए। क्योंकि यह प्रतिष्ठित व्यक्ति से जुड़ा मामला है जहां इस घटना में नाम शामिल होने से उसे मानसिक प्रताडऩा व सामाजिक छवि धूमिल होने का डर है। वहीं बताया गया है कि आनन्द शिवहरे का नाम इस घटनाक्रम में शामिल होना द्ववेषपूर्ण भावन या राजनीतिक दबाब के चलते ऐसा किया गया है।
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