हड़ताल से हुए कामकाज प्रभावित, धरना प्रदर्शन, रैलीयों के साथ बंद रहे बैंक

शिवपुरी-मध्यप्रदेश के संपूर्ण प्रदेश भर में मंगलवार को कर्मचारियों ने कलम बंद हड़ताल कर अपना विरोध प्रदर्शन किया। इस हड़ताल का प्रमुख कारण केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों एवं कर्मचारी संगठनों की लंबित मांगों को पूर्ण ना करना भी रहा। शिवपुरी जिले में हड़ताल के असर से पूरा काम-काज प्रभावित रहा। वहीं बैंक व मजदूर यूनियन ने जनसभा के माध्यम से संगठनों की महती आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताते हुए इस प्रकार के आन्दोलनों में बढ़-चढ़कर आगे आने को कहा। शिवपुरी के सभी बैंक बंद रहे। जहां बैंकों के प्रवेश से पहले ही हड़ताल के संदर्भ में सूचना प्रकाशित कर उपभोक्ताओं को इस हड़ताल का समर्थन करने की समझाईश भी दी गई। इस हड़ताल के चलते आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ।
प्रदेश भर में यूं तो 28 फरवरी को कर्मचारी वर्ग, मजदूर यूनियन व सभी बैंक कर्मचारियों ने कलम बंद हड़ताल का आह्वान किया। जिसके तहत इस हड़ताल का असर शिवपुरी में देखने को भी मिला। कर्मचारी संघ ने जहां कलेक्ट्रेट भवन पर धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया तो वहीं मजदूर यूनियन व सीटू ने माधव चौराहे के समीप धरना प्रदर्शन एवं जनसभा की। जहां इस जनसभा में मजदूर यूनियन के नेता इरशाद पठान ने कहा कि मजदूरों के हक पर डांका डाला जा रहा है। आज मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहा है। केन्द्र सरकार की हठधर्मिता है कि मजदूरों के हितों में चलाई गई योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा। मजदूर यूनियन के अन्य पदाधिकारि व सदस्यों ने भी जमकर केन्द्र सरकार के विरूद्ध मोर्चा खोला और जनसभा के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान हड़ताल के चलते आम जनजीवन भी पूरी तरह से प्रभावित दिखे। जहां रोजमर्रा का कार्य करने वाले मजदूरों ने हड़ताल की तो वहीं बैंक बंद रहने से लाखों-करोड़ों रूपये का नुकसान होने का भी आंकलन है। हड़ताल में लिपिक वर्ग के कर्मचारी भी शामिल रहे। पहली बार यहां सभी संगठनां ने गांधीवादी तरीके से हड़ताल का समर्थन किया। जिले में मान्यता प्राप्त दो दर्जन से अधिक कर्मचारी संगठनों के कर्मचारि साथियों  ने सामूहिक अवकाश लेकर अपना विरोध दर्ज कराया। कई कर्मचारियों ने तो इस हड़ताल का समर्थन करने के लिए पूर्व में ही अवकाश की स्वीकृति ले रखी थी। इस हड़ताल के दौरान सभी कर्मचारी संगठन अपनी समस्याओं को पूर्ण कराने के लिए जिला कलेक्टर को राज्यपाल व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। इस हड़ताल में संपूर्ण जिले के लगभग 6 हजार कर्मचारियों ने भाग लिया। वहीं कलेक्ट्रेट पर भी कर्मचारी संगठन के लगभग दो सैकड़ा लोगों ने धरना प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार के विरूद्ध नारेबाजी की और कर्मचारियों के हित में चलाई जाने वाली योजनाओं की जानकारी दी।  

कृषि उपज मण्डी भी नहीं रही अछूती
 
इस दौरान कृषि उपज मण्डी शिवपुरी में भी हम्माल, तुलावट और मजदूरों ने हड़ताल का समर्थन करते हुए काम बंद रखा। यहां राष्ट्रव्यापी हड़ताल के क्रम में भवन,एवं अन्य संनिर्माण, मजदूर एकता यूनियन, सीटू, के साथ-साथ कृषि उपज मण्डी शिवपुरी में भी हम्माल, तुलावट,पल्लेदार सहित मजदूरों ने भी काम नहीं किया और यहां आने वाले कृषकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
 
बैंकों की हड़ताल से हुआ काम प्रभावित 
देश भर में मंगलवार को होने वाली बैंकों की हड़ताल शिवपुरी में भी रही। जिसमें देश भर की 9 जानी मानी बैंक यूनियनों में से 7 यूनियनों के पदाधिकारियों ने इस हड़ताल का आयोजन कर विरोध दर्ज कराया। इस क्रम में शिवपुरी में भी सभी बैंकर्स हड़ताल पर रहे। यहां पंजाब नेशनल बैंक एम्पलाइज यूनियन जिला शिवपुरी के सचिव विपिन शर्मा ने बताया कि बैंकों की स्थिति कर्ज ना वसूले जाने से दिन व दिन बिगड़ रहीहै और इस दिशा में वसूली के कड़े कदम उठाया जाना जरूरी हो गया है, वहीं यूनियन खण्डेलवाल समिति की रिपोर्ट को एक तरफा तरीके से लागू करने के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा निजी क्षेत्र को गैर मुख्य गतिविधियों के लिए आउटसोर्सिंग बंद की जानी चाहिए। इस प्रकार की तमाम समस्याऐं बैंकर्स कर्मचारियों को झेलनी पड़ रही है। इसलिए यह हड़ताल आवश्यक थी। इस हड़ताल से बैंक का कामकाज प्रभावित रहा।
 
इन मांगों का लेकर की गई हड़ताल

केन्द्र सरकार की जनवरोधी नीतियों के चलते एवं कर्मचारियों पर बढऩे वाले बोझ के चलते कर्मचारी एवं बैंकर्स कर्मचारियों ने इस हड़ताल का आयोजन किया। जिसमें कई मांगों को पूर्ण करने की मांग की गई है। जिसमें पिछले कई वर्षों से राज्य कर्मचारी मध्यप्रदेश की सरकार से केन्द्र के समान 14 प्रतिशत महंगाई भत्ता, भाड़ा भत्ता देने की मांग की गई है इसके साथ-साथ कर्मचारियों की एक बड़ी मांग और चली आ रही है जिसमें अग्रवाल आयोग की कर्मचारी हितैषी अनुशंसाऐं शीघ्र लागू करन की मांग भी शामिल है। 

कर्मचारियों का केन्द्र के समान ग्रेड पे वेतनमान करने, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को रिक्तपदों पर शीघ्र नियमित किए जाने, संयुक्त संचालक से अपर संचालक स्तर के बीच में व्याप्त वेतन विसंगति समाप्त की जाए, मंत्रालयीन कर्मचारियों को विशेष भत्ता दिया जाने की मांगों को भी शामिल किया या है। इसी के साथ ही बैंक कर्मचारी भी स्थायी प्रकृति के काम ठेके पर दिए जाने, नियमित कामगारों के समक्ष वेतनमान व सुविधाऐं देने, न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण मूल्य सूचकांक के साथ करने आदि की मांग भी की गई है। बोनस ग्रेच्युटी और भविष्य निधि में वेतन सीमा की पाबंदी हटाई जाए। ग्रेच्युटी की मात्रा बढ़ाने व सभी कामगारों को पेंशन आश्वासित किया जाए। 45 दिनों के अंदर ट्रेड यूनियनों का पंजीयन अनिवार्य बनाने की मांग की गई है।