खनियाधाना-मृत जानवरों की खुले में देह पड़ी होने के कारण स्थानीय खनियाधाना के नगरवासियों का बुरा हाल है। क्योंकि यहां खुले में जानवर पड़े होने से न केवल इन्हें कुत्ते व चील कौए खा रहे है बल्कि यहां से निकलने वाली गंध भी लोगों को बीमारियों की ओर ले जा रही है। कई बार नागरिकों ने गौशाला कर्मचारियों से इन जानवरों को गढ्ढा बनाकर दफन करने की बात कही लेकिन इनके माथे पर जूं तक नहीं रेंगी और सरेआम रोड किनारे गढ्ढा खोदकर उसमें मृत जानवरों को डाला जा रहा है।
इस ओर अब कार्यवाही के लिए स्थानीय नागरिकों को साथ लेकर मानव विकास संगठन ने अपनी नीति बनाई है जिसके तहत गौशाला कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही में लापरवाही बरतने पर इनके खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा ताकि नगर में शांति और स्वच्छ वातावरण का माहौल निर्मित हो सके।
यहां बता दें कि खनियाधाना कस्बे में स्थित गौशाला में इन दिनों क्षमता से अधिक जानवर बंद है जो कि खुली हवा अथवा सर्दी की मार नहीं झेल पा रहे और मर रहे है साथ ही इन मृत जानवरों को खुले में फेंका जा रहा है वहीं कसाई भी जानवरों की खाल निकालकर मृत पशु को फेंककर बीमारियों को आमंत्रण दे रहे है। इस संबंध में मानव विकास संगठन के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह यादव ने इसकी घोर आलोचना की और कहा कि यदि यह सब बंद नहीं हुआ तो आन्दोलन किया जाएगा क्योंकि जो गौशाला जानवरों के लिए बनी है उसमे क्षमता से अधिक क्यों जानवर रखे जा रहे है यह बर्दाश्त नहीं होगा। जानवरों की मौतों के सिलसिले में पशु चिकित्सक डॉ.दीपक धानुक से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि सर्दी के प्रभाव के कारण जानवरों की मौत हो रही है।
इसके अलावा मानव विकास संगठन के लोकेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि यह बहुत गलत हो रहा है जानवरों की मौत के बाद उनकी खाल निकालकर खुले में फेंके जाने से बीमारियां पैदा हो रही है इसे बंद करने के लिए जन आन्दोलन किया जाएगा। वहीं गौशाला कर्मचारियों ने अपनी सफाई देते हुए बताया कि कुछ-कुछ जानवर सर्दी के कारण मर जाते है तो कुछ पॉलीथिन के सेवन से काल के गाल में असमय ही समा रहे है। संगठन की मांग है कि क्षमता से अधिक जानवरों को ना भरा जाए और मृत जानवरों को नियमानुसार जमीन में दफन किया जाए लेकिन खनियाधाना में गौशाला के मृत जानवरों को खुले में फेंकने से कई बीमारियां हो रही है और इससे लोग भी बीमार हो रहे है ऐसे में सुधार की आवश्यकता है।