शिवपुरी में अवैध स्थानांतरणों का ब्रांड एम्बेसेडर: जिला संयोजक एल.आर.मीणा!

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एल.आर.मीणा, जिला संयोजक
आदिम जाति कल्याण विभाग
Freestyle
ललित मुद्गल
शिवपुरी. फोटो देखकर सोच रहे होंगें, ये किसका फोटो है यह शख्स है शिवपुरी जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक एल.आर.मीणा साहब का। ये अधिकारी अपनी भोली भाली शक्ल और सूरत के अलावा अपनी कार्यशैली के लिए भी पहचाने जाते है। कभी ये नियम विरूद्ध लाखों की लागत से मरम्मत कार्य करवाने, कभी ये नियम विरूद्ध जिला कोषालय से आवंटन स्वीकृत करवाने के लिए, कभी ये थोकबंद नियम विरूद्ध स्थानांतरण करने के लिए चर्चित रहते है। इनकी विवादित कार्यशैली के कारण हमेशा विवादों में रहते है या यूं कह लें कि विवादों का दूसरा नाम लालाराम मीणा है।
जून माह में प्रदेश स्तर से स्थानांतरण पर प्रतिबंध के बाद भी इस मासूम से चेहरे वाले अधिकारी ने व्यवस्था के नाम पर देा दर्जन से अधिक छात्रावास अधीक्षक/संविदा शिक्षकों के स्थानांतरण कर दिए। यह मामला स्थानीय मीडिया में छाया रहा। इस पर कार्यवाही करते हुए जिला कलेक्टर शिवपुरी ने इस मामले की जांच के लिए एक जांच टीम भी गठित कर दी। इस स्थानांतरण प्रकरण में एक स्थानीय पत्रकार ने एक सूचना का अधिकार इन थोक में हुए स्थानांतरणों के संदर्भ में जानकारी लेने हेतु आदिम जाति कल्याण विभाग शिवपुरी में लगाया। इस सूचना के अधिकार में निम्न बिन्दुओं से जानकारी मांग गई।

1. 1 जून से 15 अगस्त 2011 तक आपके विभाग द्वारा व्यवस्था के नाम पर किए गए समस्त छात्रावास अधीक्षक/संविदा शिक्षकों के स्थानांतरणों के आदेश के प्रमाणित छायाप्रति। 

2. वर्ष 2011 में लागू स्थानांतरण नीति की प्रमाणित छायाप्रति। 

3. विभाग द्वारा किए गए छात्रावास अधीक्षक/संविदा शिक्षकों के स्थानांतरण किन नियमों के तहत किए गए है उनकी प्रमाणित छायाप्रति।


यह सूचना का अधिकार 18 अगस्त को लगाया गया। इस सूचना के संदर्भ में 14 अगस्त 11 को कार्यालय कलेक्टर आ./जा./कल्याण/विभाग/ जिला शिवपुरी के एक पत्र, पत्र क्रमांक/आ.जा.क./स्था./2011-12/7555 आवेदक के पास आया। विभाग ने इस पत्र के हवाले से कहा कि उपरोक्त विषयांतर्गत लेख है कि संदर्भित आवेदन में संबंधित कर्मचारियों की पदस्थापित संस्था की जानकारी का उल्लेख नहीं होने के कारण आशय स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
अब आप ही बताईए कि इन साहब का सामान्य ज्ञान, साहब के विभाग से जारी आवेदक के पास पहुंचा पत्र जानकारी देने से बचने का प्रयास किया जा रहा है। अभी आवेदक को स्थानांतरण किए अधीक्षकों और संविदा शिक्षकों की पदस्थापना यदि आवेदक को होती तो आर.टी.आई. लगाने की आवश्यकता आवेदक को क्यों होती। इतना ही नहीं इस भोली भाली सूरत के अधिकारी ने एक और चमत्कार कर दिया। 

शायद ही आरटीआई एक्ट में भारत में पहली बार हुआ हो। किसी आवेदक ने आरटीआई दिनांक 18.8.11 में लगाई हो और इस आरटीआई एक्ट की जानकारी संदर्भित पत्र विभाग ने 14.8.11 को ही जारी कर दिया हो। मतलब मीणा साहब नियम विरूद्ध कार्य करने के अलावा चमत्कारी बाबा के नाम से भी पहचाने जाने लगे हैं।

इन साहब को चार दिन पहले ही जानकारी हो जाती है कि कौन व्यक्ति आरटीआई में क्या मांगने वाला है वह चार दिन बाद के लगने वाले आवेदन से संदर्भित पत्र जारी भी कर देते है।
ऐनकेन प्रकरण कुछ भी हो इन साहब ने शायद नियम से काम न करने की भीष्म प्रतिज्ञा कर ली है। इन थोक बंद स्थानांतरणों में व्यवस्था के नाम पर साहब ने अपनी व्यवस्था कर ली है। अपने राम का तो यही कहना है कि नियम विरूद्ध कार्य करने वाले इस विख्यात चमत्कारों के धनी इस अधिकारी ने प्रदेश स्तर पर स्थानांतरणों के प्रतिबंध के बाद व्यवस्था के नाम पर स्थानांतरण कर दिए। 

नियम के अनुसार व्यवस्था के नाम पर 10 किमी से दूर एवं विकासखण्ड के बाहर स्थानांतरण नहीं होना चाहिए परन्तु यह सभी स्थानांतरण किए गए है 50 से 100 किमी दूर। कई अधीक्षकों/संविदा शिक्षकों को विकासखण्ड के बाहर सथानांतरण कर दिए गए है जो कि पूर्ण रूप से नियम विरूद्ध है। अपने राम का तो यह भी कहना है कि 10 रूपये के कारण एक पोस्टमैन पर कार्यवाही करने वाले कलेक्टर शिवपुरी को इस चमत्कारी बाबा उर्फ लालाराम मीणा ने कैसे अपनी चमत्कारी आभा से प्रभावित कर लिया कि जिले के खबरचियों को इसकी खबर भी नहीं हो पा रही है। अब देखना यह है कि शिवपुरी कलेक्टर इस मामले में कोई ठोस कदम उठाते है या इस चमत्कारी बाबा के चमत्कारों को देखते रहते है कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के सुशासन की कैसे बैण्ड बजती है।
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