वेद पढऩा परमधर्म है : अंजली आर्य जी

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शिवपुरी-वेदों को विसारने के बाद इस सृष्टि में जो परिवर्तन हुए है उनकी पूर्ति के लिए आज वेदों के ज्ञान की परम आवश्यकता है क्योंकि वेद पढऩा ही परम धर्म है परम शब्द का अर्थ है परमात्मा अर्थात् परम पूज्यनीय परम पिता परमात्मा की वाणी को पढऩा, सुनना और ग्रहण करने से मानव जाति का कल्याण तो होगा साथ ही वह वेदों के मूल तत्व को भी जान सकेंगे। वेदों में ही ईश्वरीय शक्ति विद्यमान है इसलिए वेदों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाऐं ताकि वह सुख और शांति से संपन्नता की ओर बढ़ सके। वेदों के ज्ञान को परिभाषित करते हुए उन्हें अपनाने का आह्वान कर रही थी अंजली आर्य जी जो स्थानीय सदर बाजार स्कूल में आयोजित वेदकथा में अपने आशीर्वचनों का धर्मलाभ  धर्मप्रेमीजनों को दे रही थी। 

आर्य समाज शिवपुरी द्वारा पहली बार शिवपुरी शहर में वेदों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वेदकथा का आयेाजन किया गया।
प्रात: 8 बजे से अंजली आर्य जी के सानिध्य में यज्ञ किया गया वहीं दोप:3 बजे से 5:30 बजे तक आशीर्वचन हुए जिसमें आज वेदकथा में प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए अंजली आर्य जी ने बताया कि सत्य एक ही है और कुछ नहीं और जहां धर्म सिद्ध हो जाए वही सत्य है बाकी असत्य। सत्य को पहचानने के लिए धर्म के मूल तत्व को जानना होगा तब हम सत्य को पहचान सकेंगे। वेदों ने ही श्रीराम, श्रीकृष्ण को बनाया है और यदि कुरान से मोहम्मद, बाईबल से ईसामसीह को हटा दिया जाए तो इससे वेद नहीं बल्कि वेदों से ही यह सब होते है। दोहे, छंद, कवित्त, श्लोक को मनुष्य बना सकता है लेकिन मंत्रों का निर्वाण मनुष्य नहीं कर सकता यह तो ईश्वरीय वाणी में वेदों ने ही मंत्रों का उच्चारण किया है। 

अंजली आर्य जी ने उदाहरण के माध्यम से वेदों की व्याख्या को बताते हुए कहा कि रामायण, महाभारत, श्रीमद् भागवत गीता में जो श£ोक राजा भोज के समय थे उस समय उनकी संख्या 25 हजार थी जबकि आज इन श£ोकों की संख्या में हमें लाखों में देखने पढऩे और सुनने को मिलेगी क्योंकि यह मनुष्य आधारित ग्रंथ है। वेदों में कोई मिलावट नहीं है इसीलिए वह धर्म का मूल है वेद ही सब शक्तियों से पूर्ण है। वेदों को पढऩा आज कठिन है लेकिन वेदों के समय में वेद न केवल पढ़े जाते थे बल्कि वेदों को आचरण में भी उतारा जाता था। आज के परिवेश में वेदों को पुन: प्रचार-प्रसार व सुख-शांति के लिए मंत्रोच्चारण विधि का कार्य आर्य समाज ने किया है निश्चित रूप से आने वाले समय में आर्य समाज वेदों के धर्मप्रचार को और आगे बढ़ाएगा। आर्य समाज शिवपुरी द्वारा प्रतिदिन वेदकथा से पहले प्रात: काल में यज्ञ विधान कराया जाता है साथ ही समस्त शिवपुरीवासियों से इस यज्ञ विधान एवं वेदकथा में धर्मलाभ प्राप्त करने की अपील आर्य समाज शिवपुरी ने की है। 

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