शिवपुरी में मजाक बनीं योजनाऐं: जननी सुरक्षा योजना का बाउंस हुआ चैक

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राजू(ग्वाल)यादव
शिवपुरी. वाकई प्रदेश सरकार जिन योजनाओं के मुताबिक प्रदेश को समृद्ध बनाने का स्वर्णिम स्वप्न देख रही है उस स्वप्न को शिवपुरी में पूरा होते नहीं देखा जा सकता। क्योंकि यहां प्रदेश सरकार की योजनाओं के साथ ना केवल माखौल उड़ाया जा रहा है बल्कि इन योजनाओं का मजाक भी बनाया जा रहा है। अभी कुछ दिनों पहले की बात की जाए तो योजना की हकीकत अपने आप खुलती नजर आती है जहां जननी सुरक्षा योजना को धता बताते हुए एक पात्र हितग्राही को जो चैक प्रसव उपरांत जननी को दिया जाता है वह चैक महज एक माह में ही बाउंस हो गया।

अब तो इस मामले में प्रदेश सरकार ने भी गंभीरता बरतते हुए इन चैकों को खाते में भी जमा करने के भी नियम बना दिए है। इसके बाद भी योजना फलीबूत होती नजर नहीं आ रही। इससे योजना शिवपुरी में तो धूमिल हो रही है वहीं इसके परिणाम देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि  वास्तव में जननी सुरक्षा योजना ढकोसला साबित हो रही है।
हमारे पास मौजूद एक तथ्यात्मक जानकारी के मुताबिक गत माह 21 नवम्बर 11 को प्रसव के लिए पीडि़त महिला शबनम बानो पत्नी इरशा खान निवासी आई.टी.आई. रोड मठ के पास पुरानी शिवपुरी जब प्रसव के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती हुई। तब उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसके बाद उसने एक स्वस्थ नवजात शिशु पुत्र को 23 नवम्बर 11 को जन्म दिया।  शिशु के जन्म के बाद उसे जननी सुरक्षा योजना का लाभ दिलाते हुए जिला चिकित्सालय से सिविल सर्जन के हस्ताक्षरयुक्त एक्सिस बैंक का एक चैक क्रमांक 131236 दिनांक 30 नवम्बर 11 को प्रसूता शबनम बानो को सौंपा गया। योजना के मुताबिक उसे 1 हजार रूपये की राशि प्रदान की गई जिसे पाकर वह ख्ुाश हुई और प्रदेश सरकार की योजना की सराहना करते हुए नहीं अघाई लेकिन जब इस महिला ने इस चैक के भुगतान के लिए 02 जनवरी को अपने पोहरी स्थित डाकघर के खाता नं. 388599 में जमा किया तो डाकघर पोहरी ने इस चैक के क्लीयरेंस के लिए इसे एक्सिस बैंक शाखा शिवपुरी भेजा। 

जहां चैक क्लीयर नहीं हुआ और पुन: प्रधान डाकघर पोहरी वापस आ गया तो डाकघर ने भी इस चैक का भुगतान करने से इंकार कर दिया। जब इस संबंध में पीडि़त शबनम बानो अपने पति इरशाद खान के साथ जिला चिकित्सालय पहुंची। जहां सिविल सर्जन डॉ.गोविन्द सिंह ने इस मामले से दूरी बनाए रखी और महिला से कहा कि चैक अभी क्लीयर नहीं हुआ तो जल्द ही हो जाएगा। इस तरह के आश्वासन से महिला ने योजना को मुंह चिढ़ाया और फिर पुन: चैक जमा करने के लिए कुछ समय इंतजार किया। जब कुछ दिनों बाद फिर इस चैक के क्लीयरेंस के लिए डाकघर में आवेदन किया तो उसके बाद भी डाकघर ने इस चैक को लेने से इंकार कर दिया। जबकि एक्सिस बैंक से जब यह चैक आया तो उसके साथ मौजूद कागजी दस्तावेज में फाउण्ड इंस्यूफिशिऐंट पर टिक लगा पाया इसके मतलब यह चैक बाउंस हो गया। जब एक जननी को जिस योजना के मुताबिक 1 हजार रूपये की राशि प्रदान की जानी है तो उसके लिए उसे कितने चक्कर और परेशानी का सामना करना पड़ता है शायद इस बात का अंदाजा जिला प्रशासन अथवा जिला चिकित्सालय प्रबंधन को नहीं है तभी तो जिले में इस तरह के कई प्रकरणों के चलते योजना धरातल पर ही दम तोड़ती जा रही है। अगर यही रवैया रहा तो फिर योजना को कैसे सफल कहा जाएगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पीडि़ता शबनम बानो इस मामले में संबंधित जिला चिकित्सालय प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

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...तो क्यों लागू किया नियम कि खाते में जमा होगा चैक
प्रदेश सरकार ने यंू तो योजना के मुताबिक कई वर्षों से जननी को जो चैक पूर्व में दिए जाते थे वह केवल बैंक में जाकर जमा करना होता था और चैक की राशि नगद हितग्राही को मिल जाती थी लेकिन जब शिकायतें सामने आई कि सीधे हितग्राही को नगद पैसे देने में हितग्राही के साथ लूटखसोट जारी है जहां महिला को आशा कार्यकर्ता व सहायिका और नर्सें तक इस राशि में से अपना हिस्सा मांगने लगती है। तब प्रदेश सरकार ने योजना में कुछ फेरबदल करते हुए नियम लागू किया अब से प्रसूता को जो चैक दिया जाएगा वह सीधा हितग्राही के खाते में जमा होगा ताकि प्रसूता को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े और वह योजना का लाभ ले सके। लेकिन इसके बाद भी शबनम बानो का यह प्रकरण देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार की योजना पर कलंक लगाने के लिए निचले स्तर के अधिकारी-कर्मचारी जिम्मेदार है जो नहीं चाहते है कि योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक ढंग से हो यही कारण है कि आज भी शबनम बानो जैसी ना जाने कितनी ही प्रसूता दर-दर की ठोंकरें खाकर ऐसे चैकों को प्राप्त तो कर लेती है लेकिन जब भुगतान के लिए अपने खाते में जमा करती है तो वह चैक बाउंस हो जाता है वो भी महज एक-दो माह में ही। इस तरह योजनाओं का हश्र शिवपुरी में बिगड़ रहा है ये तो केवल इसकी एक नजीर मात्र है।

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चैक की अवधि छ: माह तो कैसे एक माह में बाउंस हो गया चैक
वैसे तो किसी भी चैक की वैद्यता देखा जाए तो कम से कम छ: माह का समय लगता है लेकिन जननी सुरक्षा योजना के तहत शबनम बानो को जो चैक एक्सिस बैंक का मिला वह केवल एक माह में ही बाउंस हो गया। क्योंकि पात्र हितग्राही शबनम को यह चैक 30 नवम्बर को जिला चिकित्सालय द्वारा प्रदान किया गया था और इसे क्लीयर होने के लिए चैक पर 02 जनवरी 2012 की दिनांक के साथ सील भी लगी हुई थी। इस दौरान 30 नवम्बर को मिले चैक को जब शबनम ने 19 दिसम्बर 2011 को पोस्ट ऑफिस में लगाया तो इसे एक्सिस बैंक क्लीयर होने के लिए भेजा जहां से इस चैक को बाउंस करार दे दिया गया। तो फिर कैसे यह चैक बाउंस हुआ जबकि यह तो अभी महज एक माह का ही चैक था फिर इसे बैंक प्रबंधन ने कैसे बाउंस कर दिया? ऐसे कई सवाल है जो इस प्रसूता को मिले चैक से खड़े होते है।

जिला चिकित्सालय प्रबंधन पर उठे सवाल? 
अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा सुर्खिया में बने रहने वाले जिला चिकित्सालय प्रबंधन की एक घोर लापरवाही के कारण जिला चिकित्सालय फिर से सुर्खियोंं में बनता नजर आ रहा है। क्योंकि प्रसूता शबनम को जो चैक जननी सुरक्षा योजन के तहत दिया गया है वह जिला चिकित्सालय प्रबंधन के सिविल सर्जन डॉ.गोविन्द सिंह के हस्ताक्षरयुक्त है और अब इस चैक का एक माह में बाउंस होना कहीं न कहीं चिकित्सालय प्रबंधन को ही कठघरे में लाकर खड़ा करता है। इस तरह योजना को तो अधिकारी-कर्मचारी पलीता लगा ही रहे है साथ ही इस तरह की हरकतों से अब आम नागरिकों को न केवल योजना से बल्कि जिला चिकित्सालय प्रबंधन से भी विश्वास उठने लगा है और इसके लिए दोषी अगर कहीं कोई ठहरता है तो वह है जिला चिकित्सालय जिसके द्वारा प्रसूता को चैक तो दे दिया गया लेकिन उसकी राशि उसे नहीं मिली और चैक एक माह में ही बाउंस हो गया। अब तो जिला चिकित्सालय प्रबंधन पर कई सवाल उठने लगे है? जिनका जबाब प्रबंधन को देना होगा अन्यथा इसके लिए जिला प्रशासन के हस्तक्षेप की आवश्यकता है ताकि दोषी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जावे।

इनका कहना है-

डॉ.गोविन्द सिंह सिविल सर्जन
चैक बाउंस होने की कोई कमी नहीं है क्योंकि बैंक में पर्याप्त पैसा जमा है जब महिला ने चैक लगाया उस दौरान बैंक में पैसा नहीं था इसलिए नहीं मिल पाया होगा लेकिन अब बैंक में पर्याप्त पैसा है अब अगर महिला पुन: चैक लगाती है तो उसे भुगतान कर दिया जाएगा। कभी-कभी देर-सवेर हो जाती है।
गोविन्द सिंह
सिविल सर्जन
जिला चिकित्सालय शिवपुरी



कलेक्टर जॉन किंग्सली
वैसे तो चैक बाउंस होने का कोई मामला नहीं होना चाहिए आपके द्वारा जो जानकारी मुझे दी गई है मैं इस मामले से अंजान हूँ और देखकर ही बता सकूंगा कि इस मामले में क्या हो सकता है?
जॉन किंग्सलीकलेक्टर, शिवपुरी
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