सांपरारा वाटरशेड समिति का कारनामा कागजों में हो गया 70 लाख का जल संग्रहण

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संतोष शर्मा
पोहरी. क्षेत्र में भ्रष्टाचार अपने पूरे जोरों पर है यहां के नेता अधिकारी और सरपंच सचिव मिलकर शासन की राशि को ठिकाने लगाने में लगे हुये हैं और आला प्रशासनिक अधिकारी अपनी कुंभकरणीय नींद से उठने का नाम नहीं ले रहे हैं। आलम यह है कि पोहरी की सापरारा पंचायत में सांपरारा जलाभिषेक जलग्रहण समिति द्वारा कागजों में ही जल संग्रहण एवं संरक्षण कर डाला। यहां की समिति द्वारा अभी तक लगभग सत्तर लाख रूपयों के कागजी कार्य कराकर राशि का बंदरवाट कर लिया जिसमें तत्कालीन परियोजना अधिकारी राजीव पाण्डेय की भी मिलीभगत उजागर हुई है।



सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मांगी गई जानकारी में समिति अध्यक्ष एवं परियोजना अधिकारी द्वारा किये गये फर्जीबाड़े का खुलासा हुआ है। वाटरशेड़ समिति द्वारा क्षेत्र में जल संरक्षण एवं संग्रहण क्षेत्र का विस्तार करने के लिये लाखों रूपयों की शासकीय राशि का कारनामा कागजों में ही कर दिखाया, जिसमें जल संरक्षण के नाम पर बनायी जाने वाली संरचनाओं को भौतिक रूप से कही भी लागू नहीं किया गया साथ ही ग्रामीणों के फर्जी नाम से उनके खेतों में मेढ़ बंधान के साथ ही कई किसानों को कागजों में ही घास बीज वितरण कर दिया गया जबकि कई किसानों का कहना है कि उन्हे इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है।

किसानों के खेतों पर मेढ़ बंधान का कार्य किया जाता है जिसमे पाँच लाख के पौधों में से नहीं बना एक भी पेड़ वाटरशेड समिति सांपरारा को रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2007-08 में 41 लाख 33 हजार की राशि प्राप्त हुई नबंबर 2007 में समिति को पौध रोपरण कार्य के लिये 4 लाख 99 हजार की राशि मिली जिसे अध्यक्ष द्वारा फर्जी व्हाउचर एवं मस्टर रोल भरकर राशि आहरित कर ली गई। परंतु वास्तविकता में मौके पर एक भी पेड़ नहीं लगाया गया। इस कार्य का मूल्यांकन तत्कालीन परियोजना अधिकारी राजीव पाण्डेय द्वारा किया गया तथा पैसों का बंदरवाट कर लिया गया साथ ही इसी कार्य का भुगतान तत्कालीन सरपंच सियाबाई ने पंचायत के खाते से भी पैसे निकाल कर दोहरा भुगतान कर लिया।
 
मेढ़ बंधान - फर्जी नामों पर निकाली राशि 
खेतों का पानी और मिट्टी खेत से बहकर नदि नालों में ना जाये इसलिये मेढ् बंधान का कार्य वाटरशेड़ समिति के द्वारा किया जाता है। सांपरारा जलाभिषेक जलग्रहण समिति द्वारा कागजों में 12 बीपीएल परिवारों का चयन किया गया जिसमें से केवल एक तिहाई किसानों के खेतों में मेढ़बंधान का कार्य किया गया जबकि शेष किसानों को यह पता नहीं है कि उनके खेतों में भी कागजी मेढ़ बंधान हो चुका है। मेढ़ बंधान के नाम पर कुल 3 लाख 73 हजार 6 सौ तीस रूपयों का आहरण 5 अक्टूवर 2007 में कर लिया गया। मेढ़ बंधान हेतु जिन किसानों के नाम पर पैसा निकाल लिया गया उनमें से उम्मेद यादव, गिर्राज यादव, श्रीकृष्ण यादव आदि के नाम के फर्जी खसरा खतौनी लगाकर राशि आहरित कर ली गई जबकि एक किसान सेवक यादव के नाम पर सांपरारा क्षेत्र में तो क्या पूरी तहसील में ही कोई कृषि योग्य भूमि नहीं है।
 
गेवियन संरचना भी मौके से गायब 
मिट्टी के कटाव को रोकने के लिये पत्थरों को तार से बांधकर एक संरचना का निर्माण किया जाता है इस निर्माण के नाम पर 4 लाख पच्चीस हजार रूपयों की राशि स्वीकृत हुई थी परंतु सांपरारा जलाभिषेक जलग्रहण समिति द्वारा मौके पर किसी भी संरचना का निर्माण नहीं किया गया और कागजों में ही पत्थरों को तारों से बांध दिया गया और दो लाख पचास हजार रूपयों की राशि का भु्रगतान परियोजना अधिकारी राजीव पाण्डेय द्वारा मूल्यांकन कर निकाल लिया।
 
कागजों में तैरता तालाब 
सांपरारा जलाभिषेक जलग्रहण समिति का एक और कारनामा उजागर हुआ जब समिति द्वारा बनाये गये तालाब का अस्तित्व मौके पर ही नहीं मिला जबकि इस तालाब के नाम पर 12 फरवरी 2008 को 2 लाख 42 हजार रूपयों की राशि स्वीकृत हुई थी जिसमें से 2 लाख 32 हजार रूपयों की राशि का भुगतान पुन: राजीव पाण्डेय के मूल्यांकन के उपरांत निकालकर बंदरबांट कर ली गई।
 
पहाडिय़ों से कंटूर ट्रंच गायब 
कंटूर ट्रंच यानि कि बारिश के पानी को पहाडिय़ों पर सोख्ता गडड़ों के माध्यम से भूमि के अंदर पहुंचाने की संरचना बनाने के नाम पर सांपरारा पंचायत के अमरौदा, नैनागढ़, सांपरारा की पहाड़ीयों पर 4 लाख 76 हजार के मान से कुल 14 लाख 28 हजार की राशि स्वीकृत हुई जिसमें से 10 लाख 33 हजार रूपयों का आहरण कर लिया गया। लेकिन पहाडियों पर संरचना के नाम पर केवल कुछ गड्डे ही देखने को मिल जाते हैं।
 
घास बीज वितरण के नाम पर निकाली राशि  
सांपरारा जलाभिषेक जलग्रहण समिति को घास बीज के लिये 4 मई 2008 को 2 लाख पचास हजार रूपयों की राशि स्वीकृत हुई लेकिन एक भी हितग्राही को घास बीज उपलब्ध नहीं कराया गया। जबकि 1 लाख 52 हजार रूपयों की राशि का आहरण घास बीज खरीद के नाम पर कर लिया गया।
 
जिला पंचायत की बैठक में हुआ हंगामा, कमेटी गठित 
शासन के पैसों का दुरूपयोग एवं फर्जी कागजों के आधार पर हेरफेर कर शासन की लाखों रूपयों की राशि हड़पने वाले वाटरशेड़ समिति अध्यक्ष एवं तत्कालीन परियोजना अधिकारी के खिलाफ दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के आधार पर किये गये कार्यों की जाँच हेतु जिला स्तर की जाँच समिति गठित की गई है जो कि सांपरारा में किये गये वाटरशेड के कार्यों की जाँच कर अपनी रिपोर्ट जिलापंचायत के पटल पर रखी जायेगी को पेश करेगी।

पोहरी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत सांपरारा में पिछले कई वर्षों के दौरान वाटरशेड़ समिति सांपरारा द्वारा ग्राम वन, पथ वृक्षारोपण, गेवियन संरचना, कंटूर ट्रंच, मेढ बंधान आदि के नाम पर लाखों रूपयों की राशि का आहरण फर्जी दस्तावेजों एवं नामों के आधार पर किया गया जिसके संबंध में दैनिक भास्कर समाचार पत्र में 12 दिसम्बर को पानी की राशि पानी की तरह बहाई शीर्षक से एवं 16 जनवरी के अंक में फर्जी व्हाउचरों से किया भुगतान शीर्षक से प्रकाशित किया गया था जिस पर बीते 29 दिसम्बर को जिला पंचायत की बैठक में जोरदार हंगामा हुआ और पोहरी जनपद अध्यक्ष रामकली चौधरी ने इस मुद्दे को पूरे जोर जोर से सदन के सामने रखा और जाँच कराये जाने की मांग की। 
 
इसके उपरांत जिला पंचायत द्वारा मामले की गंभीरता को समझते हुये रागिनी त्रिवेदी परियोजना अधिकारी जिला पंचायत शिवपुरी, जिला पंचायत सदस्य, जनपद अध्यक्ष रामकली चौधरी आदि का एक जाँच दल गठित कर दिया है जो कि जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगा। जिसके उपरांत यदि तत्कालीन परियोजना अधिकारी एवं वाटरशेड समिति सांपरारा के खिलाफ यदि घटिया निर्माण एवं राशि के दुरूपयोग का मामला सामने आता है तो इनके खिलाफ एफआईआर एवं व्यय की गई राशि की रिकवरी किये जाने की कार्यवाही की जा सकती है।
 
इनका कहना है

वाटरशेड के कार्यों में भ्रष्टाचार एवं कागजीबाड़ा किये जाने का मुद्दा सामने आया था जिस पर हमने जाँच कमेटी गठित की है जो अपनी रिपोर्ट जिलापंचायत को पेश करेगी इसके उपरांत ही दोषी अधिकारी एवं समिति के खिलाफ ठोस कार्यवाही की जायेगी।
 
जितेन्द्र जैन
अध्यक्ष जिला पंचायत, शिवपुरी   
 
वाटरशेड के कार्यों की जाँच हेतु जिला परियोजना अधिकारी के गठित किया गया है एवं जाँच के उपरांत रिपोर्ट को जिला पंचायत के पटल पर रखा जायेगा यदि मामला सत्य पाया जाता है तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आगे की कार्यवाही की जायेगी।
एच पी वर्मा
सीईओ जिला पंचायत शिवपुरी
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