कैसे बयां करे ये जुबां, मेरे पुत्र कहानी तेरे जुर्म की...।

ललित मुदगल
शिवपुरी-अपने पिता के वचनों के लिए राजगद्दी छोड़ चौदह साल का वनवास ग्रहण करने मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का उदाहरण अपने अंधे माता-पिता को पालकी में बैठाकर तीर्थयात्रा कराने का सतयुगी पुत्र श्रवण कुमार का चरित्र, अपने पिता की अभिलाषा पूर्ण करने के लिए प्रतिज्ञा पुरूष भीष्म पितामह की प्रतिज्ञा का वर्णन ऐसे पुत्रों का इतिहास सिर्फ भारतीय संस्कृति में ही देखने को मिला है।


हर पिता चाहता है कि उसके पुत्र का चरित्र श्रीराम के चरित्र का अनुशरण करे रावण के चरित्र का नहीं, लेकिन कलयुग में एक ऐसे पुत्र का चरित्र देखने को मिला है, जिसे देखकर शायद रावण का चरित्र भी कांप उठा हो...। 27 नवम्बर को भारतीय संस्कृति पर काला दावा लेकर भास्कर भगवान उदय हुए, इस दिन शिवपुरी नगर की एक घटना को समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, किड्स गार्डन स्कूल के संचालक शिवकुमार गौतम ने अपने पिता रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर रघुनंदन गौतम व बड़े भ्राता कौशल गौतम पर अपनी धर्मपत्नी को छेड़छाड़ व यौन शोषण के आरोप लगाए कलयुगी पुत्र शिवकुमार गौतम ने अपनी धर्मपत्नी के द्वारा लिखित शिकायती आवेदन कोतवाली पुलिस को दिया- जिस पर कोतवाली पुलिस ने भा.द.वि. की धारा 354 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया। 
 
इस घटनाक्रम ने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया कि एक पिता समान ससुर और बड़े भ्राता जैसे जेठ ने अपने अनुज पुत्रवधु के साथ ऐसा अनैतिक और मर्यादा को शर्मसार करने जैसा कृत्य किया हो, इस सम्पूर्ण मामले में शुरू से ही कलियुगी पुत्र शिवकुमार गौतम और कोतवाली पुलिस की भूमिका संदिग्ध लग रही थी। घटना के 3 दिवस बाद शिवकुमार गौतम की धर्मपत्नी गीतांजलि गौतम ने पुलिस के समक्ष बयान दिए कि मेरे पति शिवकुमार गौतम ने मेरे हस्ताक्षरयुक्त आवेदन का गलत प्रयोग किया है। मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। मेरे पिता समान ससुर और बड़े भ्राता तुल्य जेठ कौशल गौतम ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जो आवेदन में लिखा है। श्रीमती गौतम द्वारा दिए गए बयानों से पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया और भारतीय संस्कृति के आदर्शो पर लगे घृणित आरोप भी स्वयं अपने आप धुल गए लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर गौर करें कि रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर रघुनंदन शर्मा के सबसे छोटे पुत्र किड्स गार्डन स्कूल के संचालक शिव कुमार गौतम द्वारा जिस प्रकार से अपने पितृपुरूष के रूप में पिता रघुनंदन शर्मा और बड़े भ्राता कौशलकिशोर गौतम सहित अपनी पत्नी व परिवार की इज्जत को धूमिल किया है उससे हर मॉं-बाप आज सदमे की स्थिति में है कि वह कभी नहीं चाहेंगे कि उनके घर में एक ऐसा पुत्र जन्म ले जो अपने पिता व बड़े भाई पर अपनी बहू के साथ छेड़छाड़ को लेकर पुलिस थाने तक जा पहुंचे। 
 
इससे अच्छा तो पुत्र न होना ही बेहतर है लेकिन इस मामले को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि यह तो कलियुग की पराकाष्ठा ही है कि एक पुत्र ने अपने पिता व बड़े भाई पर ही बहू से छेड़छाड़ का मामला दर्ज कर पूरे नगर में चर्चा का विषय बनाकर अपनी इज्जत को उछाल दिया है। अवश्य ही रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर रघुनंदन शर्मा का दिल कह रहा होगा कि कैसे बयां करे ये जुबां, मेरे पुत्र कहानी तेरे जुर्म की...।
 
शिवकुमार गौतम पर हो सकता है मामला पंजीबद्ध! 
जिस प्रकार से एक पुत्र शिवकुमार गौतम ने अपने पिता रघुनंदन शर्मा व बड़े भाई कौशलकिशोर गौतम पर जो गंभीर आरोप लगाए है और इस मामले में उसकी पत्नी द्वारा दिए गए साक्षी व लिखित बयानों के आधार पर अब मामले में नया मोड़ आने की संभावना है जहां यदि ऐसा होता है तो उल्टे शिवकुमार गौतम पर ही 420 धोखाधड़ी का मामला पंजीबद्ध हो सकता है क्योंकि शिवकुमार गौतम ने अपनी पत्नी से  किसी मार्कशीट गुम हो जाने को लेकर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की बात पर हस्ताक्षर लिए थे और इस हस्ताक्षर का उसने गलत फायदा उठाकर अपने ही पिता व बड़े भाई पर बहू के साथ छेडख़ानी को लेकर पुलिस कोतवाली मामला पंजीबद्ध करा दिया। मामला पंजीबद्ध के बाद और उसकी पत्नी गीतांजलि गौतम के लिखित बयानों की जांच की जाती है तो निश्चित रूप से शिवकुमार गौतम दोषी पाया जा सकता है और उसके विरूद्ध मामला दर्ज होने के भी आसार है।
 
पुलिस की पिटी भद्द 
पूरे मामले में सबसे ज्यादा यदि भद्द पिटी है तो वह है पुलिस। क्योंकि आज तक इतने बड़े अपराध और संगीन मामले सामने आए है जिनमें पुलिस की कर्यवाही हमेशा शिथिल ही बनी रही फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पुलिस ने एक पूर्व डिप्टी कलेक्टर व उसके पुत्र के खिलाफ महज फरियादी की अनुपस्थिति में उसके पति द्वारा दिए गए आवेदन पर धारा 354 का मामला न केवल दर्ज किया बल्कि बिना सूचना के ही आरोपियों के घर दबिश दे डाली। इस पूरे मामले में पुलिस की भद पिटी है जहां पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगते आ रहे है। जिस प्रकार से पुलिस ने मामले की बिना छानबीन के ही रिपोर्ट दर्ज करते हुए आरोपियों के यहां दबिश दी तो ऐसे कई मामले आज भी पुलिस थानो में पंजीबद्ध है जो चाीख-चीखकर आरोपियों द्वारा किए गए अपराधों के चलते उन्हें जेल में डालने के लिए बहुत है लेकिन इस मामले से आम जनता का पुलिस पर से भरोसा उठ गया है और केवल महज चांदी के चंद सिक्कों की खनक ही सबको समझ आ रही है। शीघ्र ही यदि मामले का पटाक्षेप नहीं किया गया तो वह दिन भी दूर नहंी जब आम जनता के साथ एक समाज वर्ग भी इस मामले को लेकर सड़कों पर उतरेगा और पुलिस की कार्यप्रणाली का विरोध करते हुए नगर निरीक्षक के खिलाफ मोर्चा खोलकर कार्यवाही की मांग करेगा।