आदिवासियों ने महा पंचायत में कहा भाजपा सरकार में शोषण का दंश झेल रहे हैं

शिवपुरी। एकता परिषद जिला शिवपुरी की इकाई द्वारा संपन्न जिले की महा पंचायत में शामिल दल नायक, जत्था नायक, दस्ता नायक व आदिवासी मुखियाओं ने कहा कि शिवपुरी जिले में भाजपा सरकार के शासनकाल में सर्वाधिक शोषण आदिवासियों का किया जा रहा है और जिसमें पोहरी विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा आदिवासी प्रताडि़त हो रहे हैं। एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक रन सिंह परमार ने महा पंचायत में आदिवासियों से कहा कि अब हाथ जोडऩे की वजाए आदिवासी मुट््ठी बांधकर एक हों और अपनी एकता के साथ अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए तैयार रहें।


एकता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष संतोष पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2007 में आदिवासियों की पंचायत में जो घोषणा की थी उन पर मुख्यमंत्री ने कोई ध्यान नहीं दिया है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो 2013 में मध्यप्रदेश का आदिवासी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ चुनावी समर में कूंदेगा। करैरा विधानसभा के ग्राम रामपुरा में संपन्न इस महा पंचायत को लेकर जिला प्रशासन व स्थानीय नेताओं में खासी चर्चा हो रही है। महा पंचायत में ग्वालियर के संभागीय समन्वयक डोंगर शर्मा व शिविर नायक रामप्रकाश भी उपस्थित हुए हैं। इस महा पंचायत में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विदेशी मेहमानों को आना था लेकिन किन्हीं कारणों से विदेशी मेहमान इस पंचायत में शामिल नहीं हुए।

13 सूत्रीय मांगों को लेकर करैरा विधानसभा के रामपुरा गांव में 30 नवम्बर को दोपहर 12 बजे से आदिवासी समुदाय के महिला व पुरूष का जमावड़ा होना शुरू हुआ। जिसमें दल नायक 7, जत्था नायक 61, दस्ता नायक 250 सहित आदिवासी समुदाय के मुखिया शिवपुरी जिले से शामिल हुए। दो दिन तक चली इस महा पंचायत में विन्दूवार शिवपुरी जिले में हो रहे आदिवासियों के ऊपर अत्याचारों की गहन चर्चा हुई। जिसमें पांचों विधानसभाओं को लेकर आदिवासियों ने विधायकों के प्रति अपना रोष प्रकट किया। चर्चा में प्रमुख मुद््दा भूमि से जुड़ा हुआ ही रहा जिसमें विस्थापन की भूमि, पुर्नवास की भूमि, पुस्तैनी भूमि, राजस्व भूमि, वन भूमि से जुड़े हुए तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई और महा पंचायत में यह निष्कर्ष सामने आया कि शिवपुरी जिले में आदिवासियों की भूमि पर प्रशासन की मिली भगत से षडयंत्र पूर्वक कब्जा किया जा रहा है। बात वन भूमि की करें तो उस वन भूमि पर सरकार ने भी पट््टा ही नहीं दिए हैं और वन विभाग अपनी भूमि को छुड़ाने में लगा है। 
 
राजस्व भूमि में कांग्रेस सरकार ने जो पट््टे दिए थे जिसमें 50 प्रतिशत लोग अभी तक अपनी भूमि पर काबिज नहीं हो पाए हैं और यह दुर्दशा कोलारस विधानसभा में सर्वाधिक है। पुस्तैनी भूमि के मामलों में आदिवासियों को भूमिहीन बनाया जा रहा है। धोखाधड़ी करके उनकी भूमि को खुर्द बुर्द करने की योजना चल रही है। भूदान की भूमि के बारे में सर्वाधिक हालत खराब है। जिला प्रशासन के पास शिवपुरी जिले में भूदान की भूमि के संबंध में उपयुक्त रिकॉर्ड तक उपलब्ध नहीं है। इस वजह से यह भूमि वन सीमा के अंदर होना बताई जा रही है। विस्थापन के मामले में आदिवासियों ने कहा कि मडीखेडा, माधव राष्ट्रीय उद्यान, मोहनी सागर क्षेत्र के लगभग 35 ऐसे गांव है जो कि विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। इनके पुर्नवास को लेकर जो कार्रवाई की गई उसमें बुनियादी तौर पर आदिवासियों की जरूरतों का ध्यान न रखते हुए अधोसंरचना के निर्माण पर करोड़ों रूपये खर्च किए जा चुके हैं जिनके आदिवासी समुदाय के लोगों का कतई भला नहीं हुआ है। लेकिन इस बजट की निर्माण कार्यों से अच्छी खासी बंदरबांट जरूर हुई है। गौरतलब है कि एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीव्ही राजगोपालन राजू भाई ने पिछले वर्ष शिवपुरी आगमन पर यह असंतोष जाहिर किया था कि शिवपुरी जिले में आदिवासी समुदाय के लोगों की उपेक्षा हो रही है और उनकी एक मात्र रोजी रोटी भूमि से उन्हें बेदखल करने का कुचक्र चलाया जा रहा है। यह महा पंचायत अब प्रत्येक माह में एक बार शिवपुरी जिले के एक ब्लॉक में आयोजित की जाएगी और सत्याग्रह 2012 तक सरकार ने भूमि आंदोलन को लेकर अपना रूख स्पष्ट नहीं किया तो दिल्ली में 1 लाख आदिवासियों का जमाबडा इकट््ठा होगा।  करैरा में संपन्न महा पंचायत की अध्यक्षता पिछोर के पस्सु आदिवासी कोलारस रामदास सरपंच, पोहरी कोमल, व शिवपुरी की रामश्री आदिवासी ने संयुक्त रूप से की।
 
महा पंचायत में रहा पारिवारिक माहौल 
करैरा क्षेत्र के रामपुरा गांव में संपन्न आदिवासियों की महा पंचायत में दो दिन तक पूरा पारिवारिक माहौल दिखाई दिया जिसमें 40 घरों में 2 क्विंटल आटे की सुबह और शाम रोटी बनाई जाती थी। जिसमें बाहर से आए मेहमान, मुखिया एवं सभी दल नायक एक साथ बैठकर भोजन करते थे। सुबह से शाम तक एक ही जगह बैठकर अपनी समस्याओं के बारे में अवगत कराते थे। शानदार अलाव की व्यवस्था की इसको देखकर एक पूरी तरीके से पारिवारिक माहौल जैसा वातावरण दिखाई दिया।
 
पुलिस के व्यवहार से खिन्न दिखाई दिए 
करैरा की महा पंचायत में शिवपुरी जिले से शामिल हुए अधिकांश आदिवासी मुखियाओं ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगाए। मुखियाओं ने कहा कि पुलिस का रवैया आदिवासियों के प्रति शिवपुरी जिले में बेहद द्वेषपूर्ण दिखाई देता है। पहले तो आदिवासियों को पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराना ही मुश्किल हो जाता है। छोटे छोटे मामलों में ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासियों को थाना प्रभारियों की जिल्लत का शिकार होना पड रहा है। जिला मुख्यालय पर आकर ही उनकी यह समस्या निबट पाती है। इससे अधिकांश आदिवासी तो पुलिस की प्रताडना को मजबूरनवश पूरे जिले में झेल रहे हैं।