एफडीआई के प्रवेश से गरीबी व आर्थिक व्यवस्थाऐं चरमराऐंगी

विशेष रिपोर्ट: विरोध में उतरे राजनीतिक दल, होंगी परेशानियां, एफडीआई के प्रवेश के चलते संसदी भी चल रही ठप्प
राजू(ग्वाल)यादव
शिवपुरी-केन्द्र सरकार के हठधर्मितापूर्ण रवैये से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह देश के उत्थान व विकास की सोच रखकर जिस प्रकार से आमजन के साथ खिलवाड़ करना चाह रही है उसके लिए एफडीआई का निवेश रोका जाना आवश्यक है इससे महंगाई तो बढ़ेगी ही खासकर निचला तबका व व्यापारी वर्ग को इससे काफी नुकसान पहुंचेगा जो देश के विकास में रीढ़ की हड्डी साबित हो रहा है। ऐसे में उसका विरोध करना ना केवल उचित है बल्कि देश हित में यह निर्णय कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा जिससे निचला तबका आने वाली परेशानी से दो-चार हो।


ऐसे में हर नागरिक की सुरक्षा का दंभ भरने वाली केन्द्र सरकार के रवैये से यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि जिस प्रकार से एफडीआई विदेशी निवेश को 51 प्रतिशत की स्वीकृति भारत में निवेश करने के लिए यदि दी गई तो इससे न केवल जनता परेशान होगी बल्कि आमजन पर भी इसका भारी बोझ पड़ेगा। निचला तबका आज जैसे-तैसे अपना गुजर-बसर कर रहा है लेकिन विदेशी निवेश की अधिक सहभागिता से इस देश के नागरिकों की समस्याओं का जो बोझ बढ़ेगा क्या केन्द्र सरकार इसे कम कर पाएगी? कतई नहीं फिर क्यों इस निवेश को प्रवेश के लिए दबाब बनाकर संसद में उछाला जा रहा है यदि संसद में विकास की बात कहनी है तो इसके लिए और भी कई मुद्दे है। इन सब के बाबजूद ही संसद ठप्प पड़ी हुई है जिससे देश की तरक्की में अवरोध पैदा हो रहा है। द.भास्कर.कॉम ने इस संबंध में विशेष रिपोर्ट तैयार की है इसका प्रयास है कि एफडीआई के प्रवेश को रोका जाए और खुदरा मूल्य के व्यापारियों को बढ़ावा देकर उन्हें आगे बढ़ाया जाए।
संपूर्ण देश आज महंगाई के दौर से गुजर रहा है ऐसे में देश के विकास की परिकल्पना को साकार करने के लिए केन्द्र सरकार को उन मुद्दों पर बात करनी चाहिए जिससे देश के नागरिकों को सम्बल मिले और वह भी देश के विकास में आगे आए लेकिन जिस प्रकार से विदेशी निवेश को भारत में प्रवेश करने की योजना बनाई जा रही है उससे न केवल खुदरा मूल्य पर असर पड़ेगा बल्कि इससे एक बड़ा व्यापारी वर्ग भी परेशानी से जद्दोजहद करता नजर आएगा। एफडीआई का विरोध तो संसद में जारी है लेकिन इसके बाद भी सरकार इसे बोझ की तरह डालना क्यों चा रही है, क्या मंशा है केन्द्र सरकार, एफडीआई के प्रवेश से पूरे देश में एक तरह से भूचाल आ गया है और इसका विरोध होना भी शुरू हो गया। दिल्ली से होने वाले विरोध प्रदर्शन में अब शिवपुरी भी शामिल हो गई है जहां देश भर में हो रहे एफडीआई के विरोध में भारतीय जनता पार्टी के निवेशक प्रकोष्ठ द्वारा माधवचौक चौराहे पर विरोध स्वरूप धरना प्रदर्शन किया गया। इस धरना में निवेशक प्रकोष्ठ जिला संयोजक नरेन्द्र सिंघल (बबलू) ने सभी भारतीयों से न केवल अपील बल्कि उन्हें चेताया और इस एफडीआई के वरोध प्रदर्शन स्वरूप एक बैनर लगाकर इसके दुष्परिणामों को बताया और इसके विकल्प के रूप में किस प्रकार से भारतीय खुदरा मूल्य को नुकसान पहुंचेगा। इससे भी अवगत कराया गया। एफडीआई के विरोध में भाजपा ने माधवचौक चौराहे पर तंबू गाढ़कर आमजन से इसका विरोध करने के लिए समर्थन हासिल करने हेतु धरना प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के माध्यम से संपूर्ण भारत देश में होने वाले नुकसान को चेताकर भविष्य में होने वाली दुविधाओं से बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है ताकि पूर्व पश्चिमी देशों से बाहर निकलकर भारत में एफडीआई प्रवेश न करें और इससे खुदरा मूल्य को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचे।
 
ये हैं एफडीआई के तथ्य  
भारतीय जनता पार्टी निवेशक प्रकोष्ठ ने माधवचौक चौराहे पर एफडीआई से जुड़े तथ्यों को जनता के समक्ष बताया है जो बैनर लगाकर दर्शाया गया है उनमें वर्ष 2010 में भारतीय खुदरा व्यापार 18 लाख करोड़ का था, भारत में खुदरा व्यवसाय रोजगार का सबसे बड़ा दूसरा स्त्रोत था, भारत में खुदरा व्यवसाय से करोड़ों लोग जुड़े हुए है, सकल घरेलू उत्पाद में खुदरा व्यवसाय का करीब 35 प्रतिशत योगदान होता है, खुदरा व्यवसाय में खाद्य पदार्थ, किराना, कपड़े, ज्वैलरी, घडिय़ा, घरेलू सज्जा, कॉस्मेटिक और कई तरह के अन्य व्यवसाय आते है। यह दुष्पपरिणाम भारवासियों के लिए खतरनाब साबित होंगे इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है।
 
एफडीआई से होने वाले नुकसान 
भारत वर्ष में होने वाले एफडीआई का जो विरोध किया जा रहा है उससे होने वाले नुकसानों को भी बताया गया है जिनमें खुदरा व्यवसाय, लघु उद्योग तथा असंगठित क्षेत्र के करोड़ों लोग प्रभावित होंगे, करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाऐंगे, कुछ मल्टीनेशनल कम्पनीयों को फायदा होगा, जैसे आई.के.ई.ए. जैसी कम्पनियां हमारी औषधि गृह सज्जा के क्षेत्र को समाप्त कर देगी, बूट्स जैसी कम्पनी हमारे औषधिक और सौन्दर्य के विक्रेताओं को बर्बाद कर देगी, हम फैशन, इलेक्ट्रॉनिक, खेल सामग्री तथा अन्य वस्तुओं के लिए चीन के गुलाम हो जाऐंगे, भारत की अर्थव्यवस्था भी पश्चिमी देशों की तरह कमजोर हो जाएगी,क्योंकि वहां पर ये कानून पास हो गया है और वे अब इसके नुकसानों को महसूस कर रहे है। इन नुकसानों के कारण निवेशक प्रकोष्ठ एफडीआई का विरोध कर रहा है और इससे हर तबके को जोड़कर विरोध करने के लिए आगे आने का आह्वान कर रहा है।
 
आमजन पर पड़ेगा बोझ, तो व्यापारी वर्ग भी होगा हलकान 
जिस प्रकार से एफडीआई का विरोध किया जा रहा है उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि विदेशी निवेश को भारत में अधिकाशंत: प्रवेश दिया गया तो इससे न केवल निचला तबका प्रभावित होगा बल्कि इससे एक बड़ा व्यापारी वर्ग भी हलकान होगा। जिसके समाधान के लिए उसे कोई रास्ता नहीं मिलेगा क्योंकि इससे विदेशी ताकतें यहां हावी होंगी और एक बार फिर से पश्चिमी सभ्यता का स्वरूप यहां देखने को मिलेगा। जब संसद में ही इस मुद्दे को लेकर घमासान जारी है तो फिर निचले तबके की कौन सुनेगा? प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर की सोच रखने वाली केन्द्र सरकार को हर तबके को साथ लेकर इस सोच को अपना चाहिए कि इससे किसी प्रकार का नुकसान न हो यदि ऐसा है तो ऐसे निवेश की भारत में स्वीकार्यता कतई नहीं की जानी चाहिए। अभी शुरूआती हालातों में यह सब देखने को मिल रहा है तो उन दिनों की तो कल्पना मात्र से ही रूह कांप जाती है। जहां खुदरा मूल्य पर मिलने वाले सामान के लिए हर नागरिक परेशानी उठाकर इसे अपनाने को मजबूर होगा।

विरोध में उतरेंगे जनप्रतिनिधि और युवा -
 
जितेन्द्र जैन गोटू
 केन्द्र सरकार अपनी मनमानी पर उतारू है यही कारण है कि उन्हें गरीबी व आर्थिक रूप से कमजोर तबके को अनदेखा कर एफडीआई के प्रवेश को स्वीकृति देने का मन बनाए हुए है लेकिन यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा, एफडीआई के रूप में हो रहे निवेश से बेरोजगारी बढ़ेगी और इससे कई नुकसान होंगे। इसके निवेश से एक बार पुन: गुलामी की ओर हम जा रहे है ऐसे निवेश का हम कड़ा विरोध करते है।
जितेन्द्र जैन गोटू
अध्यक्ष
जिला पंचायत शिवपुरी

 
 
सतीश यादव फौजी
भारत की अर्थव्यवस्था वैसे ही इतनी कमजोर है कि यदि उसमें विदेशी निवेश होने लगेगा तो निश्चित रूप से मानिए कि हम गुलामी में जाने की तैयारी कर रहे है एफडीआई निवेश का विरोध चहुंओर है फिर ऐेसे में क्यों इसे स्वीकृति दी जा रही है जनता के हितों की सोच जिस संसद में होती है वहां भी विरोध जारी है फिर ऐसे निवेश की स्वीकृति के लिए इतना माथा-पच्ची करने की जरूरत नहीं। गरीब व निचला तबका तो एक तरह से खत्मे की कगार पर आ जाएगा। एफडीआई का प्रवेश नहीं होना चाहिए हम इसका पुरजोर विरोध करते है।
सतीश यादव फौजी
सदस्य
(दिनारा)जिला पंचायत शिवपुरी 

 
 
अनुराग अष्ठाना
एफडीआई की स्वीकृति यानि आमजनता के साथ धोखा होना। केन्द्र सरकार को अपना रवैया बदलना चाहिए यहां तक उचित है कि विदेशी निवेश के बाद देश में जिस प्रकार से आर्थिक समस्याऐं बढ़ेगी उनका समाधान कौन करेगा, यह सब पश्चिमी सभ्यता को न्यौता देने के समान हो रहा है और इससे पैसा निचोड़कर विदेशों में पैसे जमा करना है इसलिए एफडीआई के नाम पर निवेश को स्वीकृति दी जा रही है, गरीबी और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
अनुराग अष्ठाना
पूर्व अध्यक्ष
नगर मण्डल भारतीय जनता पार्टी शिवपुरी

 
चन्द्रभूषण गौड़
 
बेरोजागारी और आर्थिक समस्याओं को बढ़ाने का माध्यम साबित हो रहा है एफडीआई का निवेश, यदि इसे नहीं रोका गया तो युवा वर्ग भी अपना विरोध दर्ज कराएगा और ऐसे निवेश को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा जो आमजन के हितों की रक्षा न कर सके।
चन्द्रभूषण गौड़
निवासी आरकेपुरम शिवपुरी