मेले को मिटाने का इतिहास बना रही है मुन्ना की नगरपालिका, आचार संहिता के फेरे में बर्बाद मेला

शिवपुरी। प्राचीन महत्व का सिद्धेश्वर मेला अपनी आखिरी सांसें लेता हुआ दिखाई दे रहा हैं। जी हां! सिद्धेश्वर मेले का नाश करने में शिवपुरी नगर पालिका बहुत हद तक सफल हो चुकी हैं। वर्तमान में शिवपुरी मेले की स्थिति यह है कि  इसके प्राचीन गौरव और ख्याति को जानकर शिवपुरी मेले में अपनी दुकान लाने के लिए दुकानदार आ गए और उन्होंने अपनी दुकानें भी यहां नगर पालिका के भरोसे पर जमा लीं। दिन पर दिन गुजरते गए, लेकिन न तो नगर पालिका ने दुकानदारों को बिजली सुविधा उपलब्ध कराई और न ही पेयजल। 

इस स्थिति में दुकानदार तब से हैं जब से नगर पालिका के फोटो खिचाऊ और चेहरा चमकाऊ चेहरों ने शिवरात्रि के पर्व पर मेले का भूमि पूजन किया था। बद से बदतर हालातों से जूझ रहे मेला दुकानदारों की गिड़गिड़ाकर रोज लगाई जा रही गुहारों पर उन्हें जवाब यह मिलता है कि आचार संहिता लागू हैं। मेले के लिए जो टेंडर लगाए गए थे वह खुले नहीं हैं और कलेक्टर निर्वाचन आयोग से अनुमति ले रही हैं। उनसे हम बार-बार पत्राचार भी कर रहे हैं जब तक ऊपर से हरी झंडी नहीं मिलेगी तब तक हम कुछ नहीं कर सकते। 

उपरोक्त स्थिति में बड़ा प्रासंगिक सवाल यह है कि सिद्धेश्वर मेला प्राचीन मेला हैं यह प्रति वर्ष लगता हैं शिवरात्रि पर्व पर इसका भूमि पूजन होता है। यह जानकारी क्या नगर पालिका के जिम्मेदारों को नहीं थी? शत प्रतिशत जवाब यह है कि थी। तो यह अपने आप में साबित होता सच है कि नगर पालिका के जिम्मेदार प्राचीन सिद्धेश्वर मेले का नाश करने में पूरी तरह सफल हो गए हैं। उनकी सफलता का प्रमाणित निम्न तथ्य यह है कि दुराव्यवस्था से रो-रो कर दोहरे होकर आठ दुकानदार अपनी जमी-जमाई दुकानें मेले से समेंट कर चलते बने हैं। जाने से पहले वह जी भर कर नगर पालिका के जिम्मेदारों को गला फाड़-फाड़ कर भी कोसे हैं। 

शिवपुरी शहर के सिद्धेश्वर मेला ग्राउण्ड में वर्षों से लगता चला आ रहा मेले पर आचार संहिता की तलवार लटक रही हैं। जिसकी वजह से मेले में आए विभिन्न प्रकार के व्यापारियों को न तो दुकानों आवंटन ही किया गया हैं और न ही विद्युत आपूर्ति की कोई व्यवस्था की गई है। हालात तो यहां तक बने हुए हैं कि बाहर से आए व्यापारियों को शौंच तथा पेयजल तक की व्यवस्था नहीं की गई हैं। जिसकी बजह से मेले में आए हुए व्यापारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। साथ ही व्यापारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं।

नगर पालिका प्रशासन द्वारा मेले में आए इन व्यापारियों को कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। हजारों रूपए भाड़े के खर्च कर मेले में आए व्यापारियों की स्थिति सांप छछूंदर जैसी हो गई हैं। जिसे न उगलते बनता हैं और न ही निगलते।  जबकि मेले का शुभारंभ नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह एवं उपाध्यक्ष अनिल शर्मा अन्नी द्वारा शिवरात्रि पर कर दिया गया था। लेकिन मेले में आने वाले व्यापारियों के लिए किसी भी प्रकार की सुविधा की व्यवस्था नहीं की गई। जिससे मेले में आने वाले दुकानदार व्यवस्थित तरीके से अपनी दुकानें लगाकर कारोबार प्रारंभ कर सकते। 

भगवान भरोसे लगे मेले से दुकान समेंट कर लौटे आठ दुकानदार

सिद्धेश्वर मेले का शुभारंभ होने के तत्काल बाद से ही व्यापारियों ने मेले में अपनी दुकान लगाने की आशा लेकर आए थे, लेकिन शिवपुरी नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी के कारण न लाईट की व्यवस्था की हैं न ही मेले में दुकानों का आवंटन किया गया हैं। ऐसी स्थिति में दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानों के ढांचे तो बनाकर तैयार कर लिए हैं लेकिन प्रशासन की स्वीकृति की वाट जोह रहे हैं। लेकिन दुकानदार संतोषी लाल जैन, वीरू जैन, देवी सिंह, आरके सिंह, गोलू श्रीवास्तव, मकबूल , रामकुमार का कहना हैं कि हमें बैठे-बैठे 15 दिन तो निकाल दिए लेकिन प्रशासन हमारी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा हैं। अब हमने अपना सामान पैक करके वापस जाने का मन बना लिया हैं। 

दुकानों तथा लाईट का ठेका नहीं, साईकिल स्टैण्ड का हुआ ठेका

सिद्धेश्वर मेले में दुकानदारों को नगर पालिका द्वारा ठेका पद्धति से दुकानें आवंटित करना थी, लेकिन नगर पालिका ने टेंडर तो आमंत्रित कर लिए लेकिन उन टेंडरों को खोलने से पूर्व ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। जिसकी बजह से टेंडर नहीं खोले जा सके। महज साईकिल स्टेंण्ड का ठेका दे दिया गया। जबकि सर्व प्रथम बाहर से आए दुकानदारों को दुकानें व लाईट की व्यवस्था की जाना थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मेले में बाहर से आए व्यापारियों का कहना है कि हमारे साथ कभी भी ऐसी घटना घटित नहीं हुई। पूर्व समय में नगर पालिका द्वारा हमें मेले में आते ही दुकानें आवंटित कर दी जाती थी साथ ही विद्युत व्यवस्था भी चालू मिलती थी। 

मेले के लिए अभिशाप बनी खुदी सडक़ 

शिवपुरी में खुदाई का सिलसिला वर्षों से जारी है। कभी सीवर लाईन के नाम पर तो कभी सिंध जलावर्धन के नाम पर खुदाई का क्रम चल रहा है इसी तारतम्य में सिद्धेश्वर मेला पहुंच मार्ग अस्त व्यस्त हालत में पड़ा हुआ है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस सडक़ के खुदाई के साथ-साथ खराब हालत में पड़ी इस सडक़ पर नागरिक गिरते पड़ते चल रहे हैं। जिसकी बजह से कई लोग दुर्घटना का भी शिकार हो चुके हैं। वहीं अब सिद्धेश्वर मेले में आने वाले शैलानियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने उक्त मार्ग को दुरूस्त करने की जहमत नहीं उठाई हैं। 

सिंधिया का प्रभाव बचा सकता हैं मेला

मेले का नाश करके उसे अतीत बनाने में सफल हुई शिवपुरी नगर पालिका के लाख प्रयासों के बावजूद मेला बच सकता हैं। मेले की परंपरा कायम रह सकती है। मेले को सिर्फ और सिर्फ क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव बचा सकता है क्योंकि नगर पालिका की नौकरशाही मेला दुकानदारों को जो सुविधा दिलाने के लिए कलेक्टर को पत्र लिख रही हैं उसे कोई खास तबज्जो नहीं मिली हैं यदि सांसद सिंधिया अपने प्रभाव का  इस्तेमाल करना प्राचीन मेले की परंपरा को बचाने के लिए जरूरी समझें तो कोई कारण नहीं है कि मेला अपने पुराने स्वरूप में वापस न आ पाये।