वनकर्मियों ने दी अवैध उत्खनन की सूचना,ब दले में मिला सस्पेंशन ऑर्डर | Shivpuri News

शिवपुरी।  वन अधिकारियों की सांठगांठ से खैरौना, पाटखेड़ा, मझेरा और अर्जुनगवां वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन हो रहा है। वन क्षेत्र में हथियारों की दम पर सैंकड़ों अवैध उत्खननकर्ता धड़ल्ले से अवैध उत्खनन में लिप्त हैं और सूचना मिलने के बाद वन अधिकारियों द्वारा इस अवैध उत्खनन को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जाता।

बीट पर तैनात वन रक्षकों ने जब इसकी सूचना वन अधिकारियों को दी तो इसकी सजा के रूप मेंं तीन वनरक्षकों विकास भार्गव, शहीद खान और मुकेश श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया। जबकि इन वनरक्षकों ने एक नहीं अनेक बार संंंबंधित रेंजर से लेकर डीएफओ तक अवैध उत्खनन की लिखित सूचना दी और सूचना देने के बाद भी वन अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की। 

खनिज विभाग ने उत्खननकर्ताओं को राजस्व विभाग में उत्खनन की लीज दी है, लेकिन संबंधित लीज स्थल पर पत्थर न होने से उसके स्थान पर वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन किया जाता है। इसकी नजीर खैरोना पाटखेड़ा, मझेरा, अर्जुनगवां आदि वन क्षेत्र में देखने को मिलती है। प्रतिदिन आधा दर्जन से अधिक ट्रक भरकर वन क्षेत्र से रॉयल्टी क्षेत्र में लाए जाते हैं। वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन से वन भी बंजर जमीन में तब्दील हो रहे हैं, लेकिन वन विभाग बेपरवाह बना हुआ है। पूरे वन क्षेत्र में अवैध उत्खननकर्ताओं ने 250 से लेकर 300 तक गड्डे बना रखे हैं।

प्रतिदिन 400 से 500 व्यक्ति वन क्षेत्र में उत्खनन का कार्य कर रहे हैं। जिसे रोकना वन रक्षक के हाथ की बात नहीं है। एक बीट गार्ड के पास लगभग 1200-1500 हेक्टेयर क्षेत्र होता है। जब फॉरेस्ट गार्ड अवैध उत्खनन को रोकने का प्रयास करते हैं तो उनके साथ मारपीट तक की जाती है। 2012 में अवैध उत्खननकर्ताओं ने एक फॉरेस्ट गार्ड विशाल प्रभाकर की हत्या तक कर दी थी। जिसका आज तक कोई सुराग नहीं लगा है। इसकी जांच के लिए भी अधिकारियों ने आज दिनांक तक कोई प्रयास नहीं किए। 

अवैध उत्खनन रोकने पर वन रक्षक भार्गव की हुई पिटाई
विकास भार्गव बीट गार्ड के साथ 14 फरवरी 2019 को रामवरन गुर्जर निवासी मझेरा और उसके अन्य दो साथियों ने मारपीट की तथा उसे जान से मारने की धमकी दी। वनरक्षक भार्गव की गलती यह थी कि उसने अवैध उत्खननकर्ताओं को उत्खनन करने से रोकने का प्रयास किया था। आरोपियों ने वनरक्षक से कहा कि जिस प्रकार हमने वनरक्षक विशाल प्रभाकर को ठिकाने लगा दिया था उसी प्रकार तुझे भी मार देंगे। रामवरन ने फॉरेस्ट गार्ड शहीद खान और मुकेश श्रीवास्तव को भी जान से मारने की धमकी दी। इसकी सूचना सुरवाया थाना एवं वन विभाग के अधिकारियों को भी की गई, परंतु आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। 

अनेक बार दी गई वरिष्ठ अधिकारियों को अवैध उत्खनन की सूचना

वनरक्षक विकास भार्गव को फरवरी 2019 में निलंबित किया गया, लेकिन इसके पहले उसने एक नहीं अनेक बार वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी बीट में अवैध उत्खनन की सूचना दी तथा उनसे सहयोग मांगा। श्री भार्गव ने रेंजर इंद्रपाल सिंह धाकड़ को लिखित रूप में 28 अक्टूबर 2018 को अवैध उत्खनन की सूचना दी। इसके बाद उसने 2 दिसम्बर 2018 को फिर सूचना दी तथा पिछली सूचना का हवाला भी दिया। 13 फरवरी 2019 को विकास भार्गव ने डीएफओ लवित भारती को स्पीड पोस्ट से अवैध उत्खनन की सूचना दी और यह भी लिखा कि उसने इसकी जानकारी रेंजर साहब को भी दे दी है। लेकिन विभाग ने कोई कार्यवाही तो की नहीं बल्कि उसे और दो अन्य वनरक्षकों को 21 फरवरी 2019 को सस्पेंड कर दिया। निलंबन पत्र में लिखा गया कि आपकी लापरवाही से अवैध उत्खनन हुआ है। निलंबन के बाद वनरक्षकों को अभी तक आरोप पत्र भी नहीं दिया गया है। 

वृक्षारोपण के नाम पर फर्जीवाड़ा और कमीशनखोरी

वन विभाग के बड़े अधिकारी रेंजर से लेकर एसडीओ, डीएफओ, सीसीएफ कभी फील्ड में नहीं जाते और नहीं देखते कि वनक्षेत्र में अवैध उत्खनन हो रहा है अथवा नहीं और यदि हो रहा है तो उसे रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जाता। इसका मुख्य कारण यह है कि अवैध उत्खननकर्ताओं से बड़े अधिकारियों की सांठगांठ है और उन्हीं के सरंक्षण में धड़ल्ले से अवैध उत्खनन हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि वृक्षारोपण के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। लाखों का कमीशन लिया जा रहा है। वन क्षेत्र में किए गए प्लांटेशन की यदि जांच की जाए तो कोई भी प्लांटेशन आज तक सफल नहीं हुआ है फिर भी वृक्षारोपण के नाम पर लाखों का भ्रष्टाचार किया जा रहा है।