GOVT. HOSPITAL में सुविधा प्राप्त करने वाला मरीज उपभोक्ता नही | जिला उपभोक्ता फोरम का फैसला | Shivpuri News

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शिवपुरी। न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम के अध्यक्ष गौरीशंकर दुबे एवं सदस्य राजीवकृष्ण शर्मा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए आदेशित किया है कि जो व्यक्ति शासकीय अस्पताल में चिकित्सकीय सुविधा प्राप्त करता है वह उपभोक्ता नहीं है और उसका परिवार प्रचलन योग्य नहीं है। न्यायाधीशगणों का स्पष्ट मत है कि डॉक्टर के खिलाफ चिकित्सकीय लापरवाही साबित करने के लिए विशेषज्ञ साक्ष्य आवश्यक हैं। प्रकरण में डॉ. श्रीमति उमा जैन स्त्री रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल शिवपुरी की ओर से पैरवी संजीव बिलगैंया एडवोकेट ने की। 

प्रकरण के अनुसार आवेदक राजेश राठौर पुत्र घनश्याम राठौर निवासी राठौर मोहल्ला शिवपुरी द्वारा एक शिकायत जिला उपभोक्ता शिवपुरी के समक्ष इस आशय की प्रस्तुत की गई थी कि आवेदक की पत्नि स्व. श्रीमति आशा राठौर जब गर्भवती हुई तब उसे अनावेदक डॉ. श्रीमति उमा जैन को जिला अस्पताल शिवपुरी में दिखाया, परंतु अनावेदक ने कहा कि वह उसके घर पर आए तब आवेदक अरिहंत पैथोलॉजी पर गया जहां डॉ. उमा जैन ने आवेदक से 200 रूपए परामर्श शुल्क लिया और डॉ. उमा जैन के पति द्वारा संचालित अरिहंत पैथोलॉजी में अल्ट्रासाउण्ड खून की जांच कराई गई जिसके पैसे अलग से लिए गए। 

पूरी गर्भावस्था के दौरान आवेदक अपनी पत्नि को अनावेदक डॉ. उमा जैन के बताए अनुसार उसके घर अरिहंत पैथोलॉजी पर ले जाता रहा और फीस देकर इलाज कराया। डिलेवरी के पूर्व डॉ. उमा जैन के घर पर उसने अपने पत्नि को दिखाया। दिनांक 19 अगस्त 2013 को आवेदक की पत्नि को प्रसव पीड़ा हुई तो उसे जिला अस्पताल शिवपुरी में भर्ती कराया गया। डॉ. उमा जैन ने आवेदक की पत्नि का चैकअप किया तथा 20 हजार रूपए की मांग की। इसके बाद दिन में करीब 12 बजे आवेदक की पत्नि का ऑपरेशन हुआ तत्पश्चात डॉक्टर ने उसकी पत्नि को ग्वालियर रैफर कर दिया। 

जहां पर अधिक ब्लीडिंग होने के कारण आवेदक की पत्नि की ग्वालियर में मृत्यु हो गई। जिस पर से आवेदक की शिकायत पर पुलिस कोतवाली शिवपुरी में मर्ग कायम किया गया। प्रकरण में आवेदक की शिकायत का अनावेदक डॉ. उमा जैन द्वारा अस्वीकार करते हुए विरोध किया गया तथा बताया गया कि उसकी पत्नि की मृत्यु ऑपरेशन के बाद रक्त स्त्राव से हुई है। कमलाराजा अस्पताल से प्राप्त डैथ समरी में स्पष्ट रूप से महिला आशा राठौर की मृत्यु का कारण पोस्ट एलसीएस बिथ डीआईसी लिखा हुआ है तथा जिला अस्पताल शिवपुरी में इलाज निशुल्क हुआ है इस कारण आवेदक उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है तथा कोई विशेषज्ञ साक्ष्य अनावेदक डॉक्टर के विरूद्ध प्रस्तुत नहीं की गई है। 

प्रकरण के अवलोकन से तथा उभय पक्ष की साक्ष्य एवं दस्तावेजों के सूक्ष्म विचारण उपरांत जिला उपभोक्त फोरम शिवपुरी द्वारा प्रकरण में महत्वपूर्ण दो विचारणीय बिंदु अंकित किए जाने के उपरांत अनावेदक डॉक्टर के अधिवक्ता द्वारा नेशनल उपभोक्ता कमीशन दिल्ली एवं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न न्याय दृष्टातों को अंतिम तर्क के दौरान प्रस्तुत करते व्यक्त किया कि शासकीय अस्पताल में इलाज कराने वाला मरीज उपभोक्ता नहीं है तथा डॉक्टर के खिलाफ मेडिकल निगलीजेंसी को प्रमाणित करने के लिए विशेषज्ञ साक्ष्य आवश्यक है एवं चिकित्सकीय विशेषज्ञ साक्ष्य के अभाव में लापरवाही प्रमाणित नहीं होती हे। 

जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा प्रस्तुत न्याय दृष्टांतों को सारगर्भित एवं चिकित्सक के हित में प्रमाणित मानते हुए आदेश पारित किया है कि आवेदक द्वारा शासकीय चिकित्सालय में चिकित्सा सुविधा प्राप्त की है उपरोक्त परिस्थिति में अनावेदक के उपभोक्ता प्रमाणित नहीं हो रहे हैं। द्वितीय विचारणीय बिंदु, क्या अनावेदक द्वारा लापरवाहीपूर्ण तरीके से किए गए ऑपरेशन से आवेदक की पत्नि श्रीमति आशा राठौर की मृत्यु हुई है, बावत तथ्य प्रमाणित नहीं हो रहा है। 

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