कोर्ट के हस्तक्षेप से 8 साल बाद दायर हुआ शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला | Shivpuri News

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शिवपुरी। मतस्य विभाग के सेवानिवृत सहायक संचालक एमके दुबे को 8 साल बाद आखिरकार न्याय मिला। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कामिनी प्रजापति ने उनके परिवाद को स्वीकार करके आरोपीगण माखन पुत्र मांगीलाल वर्मा ग्राम कोटा, कल्याणचंद्र पुत्र रातीराम किरार और एक अन्य के विरूद्ध भादवि की धारा 353 के तहत शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज किया है। हालांकि फरियादी महेंद्र दुबे ने कोतवाली शिवपुरी में भी आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही हेतु ज्ञापन दिया था, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप से आरोपियों पर कायमी नहीं हो सकी और पुलिस ने महज 107, 116 की कार्यवाही कर मामले की इतिश्री कर दी। इससे प्रोत्साहन पाकर आरोपियों ने फरियादी महेंद्र दुबे के विरूद्ध बटाईदार हुकमी जाटव को मोहरा बनाकर हरिजन एक्ट का मामला कायम करा दिया जिसमें आरोपीगण माखन वर्मा और कल्याण किरार साक्षी बने, लेकिन न्यायालय ने श्री दुबे को बरी कर दिया। 

फरियादी तत्कालीन सहायक संचालक एमके दुबे ने बताया कि आरोपीगण माखन लाल वर्मा आदि ने उनके कार्यकाल में तालाब के मूल्यांकन को बढ़ाने के लिए उन पर दबाव डाला था ताकि बैंक से ऋण की दूसरी किश्त वह ले सके। लेकिन उन्होंने जब इससे इंकार किया तो आरोपी उनके कार्यालय में पहुंचे और उन्होंने 25 नवम्बर 2011 को शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाते हुए उनके साथ अभद्रता की। 

लेकिन पुलिस ने कायमी नहीं की जिससे व्यथित होकर फरियादी दुबे ने अपने अभिभाषक के माध्यम से न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय में परिवाद दायर किया। जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायाधीश कामिनी प्रजापति ने आरोपियों के विरूद्ध भादवि की धारा 186 और 353 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया।

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