शिवपुरी। खबर करैरा जनपद की बांसगढ ग्राम पंचायत से आ रही है कि पंचायत का सचिव भ्रष्टाचार की रकम के बंटवारे में बेईमानी कर कर गया। उक्त आरोप गांव की महिला सरपंच ने लगाते हुए शिकायत की है कि उसने फर्जी हस्ताक्षर कर 30 लाख रू की रकम निकाल ली और तय किया गया हिस्सा भी खा गया।
दरअसल महिला का कहना था कि जब वह सरपंच बनी थी तो योजनाओं के तहत पंचायत में होने वाले कामों में मिलने वाले हिस्से को लेकर सौदा तय हो गया था। लेन देन आधा-आधा करने की बात हुई थी। पंचायत के स्थाई सचिव को हटा देने के बाद रोजगार सहायक को सचिव का प्रभार दिया है।
सरपंच को अपना हिस्सा नहीं मिला तो वह शिकायत करने शिवपुरी आ गई। मामले में रोजगार सहायक हरीकिशन रावत ने सफाई दी है कि भ्रष्टाचार उसने नहीं किया है। तत्कालीन सचिव ने छह लाख रुपए निकालकर काम नहीं कराया है। जनपद स्तर से उसे हटा दिया है।
यह शिकायत ऋणमाफी योजना के तहत कुछ लोगों के नाम सूची में नहीं जोड़ने को लेकर की जा रही है। वहीं जनपद सीईओ आरके गोस्वामी मामले की जांच कराकर कार्रवाई की बात कह रहे हैं। महिला सरपंच ने जो बात कही है, उससे ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार किस कदर होता है,
इससे पहले पदस्थ सचिव के खिलाफ जांच चल रही है। उसे हटाकर दूसरे सचिव को प्रभार दे दिया था। बीमार होने पर रोजगार सहायक को सचिव का प्रभार दिया है। दूसरे सचिव को प्रभार दिलवा देते हैं। यदि महिला ने शिकायत की है तो इसकी जांच करा लेंगे। राशि निकालकर काम नहीं कराने के संबंध में जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
आरके गोस्वामी, सीईओ, जनपद पंचायत करैरा