मूक बधिर मासूम को लेकर दर-दर की ठोकर खा रहा है मजबूर पिता, कोई सुनवाई नहीं | Shivpuri News

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शिवपुरी। बात बीते दिनो से शुरू होंगी। प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सीएम रहते समय प्रदेश के लडकी को अपनी भांजी का दर्जा देते रहे थे,लेकिन इस मामले को देखकर लगता था कि यह रिश्ता केवल मिडिया की फोटो फ्रेम तक ही सीमित था। 

एक मासूम बेटी का लाचार पिता अपनी मूक और बधिर बिटिया को लेकर आफिस-आफिस घूम रहा है। कभी यहां कभी वहां। इस मासूम के पिता को शायद यह किसी ने बता दिया कि सरकार गरीबो की इलाज में मदद करती हैं इसलिए यह आफिस-आफिस घूम रहा हैं, लेकिन मदद नही हो सकी। अब उम्मीद की आखिरी किरण मीडिया ही बची है। 

जानकारी के अनुसार बिंदू जाटव पत्नि लखन जाटव की 4 साल की मासूम राखी जन्म से ही मूंक और बधिर है। पहले तो जब छोटी थी तो परिजन यह समझते रहे कि यह मासूम बडी होने पर सुनने और बोलने लगेगी। परंतु जो हुआ वह चौकाने बाला था। जब इस मासूम को लेकर परिजन चिकित्सालय पहुंचे और चैकअप कराया तो सामने आया कि यह मासूम जन्म से मूंक और बधिर है। अब परिजनों ने अपने स्तर से इस मासूम का यथा संभब इलाज भी कराया। परंतु गरीबी और घर की माली हालात के चलते उसके धेर्य ने भी साथ छोड दिया। 

तभी किसी ने उन्हें बताया कि इस मामले को लेकर वह जिला कलेक्टर के पास पहुंचें। जिसपर बह तत्कालीन कलेक्टर शिल्पा गुप्ता के पास पहुंचे। उन्होने भी इस मामले को गंभीरता से लेकर तत्काल राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत राशि स्वीकत कर मासूम की कॉमलियर इम्पांट सर्जरी का 65 हजार रूपए का स्स्टीमेट जारी कर राशि स्वीक्रत करने की बात कही। 

बस जिलाधीश ने तो राशि जारी कर दी। परंतु अब इस मासूम का लाचार और वेबस पिता दर दर की ठौकरें खा रहा है। बताया गया है कि इस राशि को लेकर स्वास्थ्य विभाग के ग्वालियर के लिए लेटर जारी कर दिया। जब पीडित ग्वालियर पहुंचा तो उन्होंने भी पीडित से कहा कि यहां से हमने राशि की स्वीक्रति पर मोहर लगा दी है। परंतु जैसे ही वह सीएमएचओ कार्यालय पहुंचे तो वहां उन्हें यह कहकर चलता कर दिया कि ग्वालियर से इस फाईल पर नोट लगकर आ गया है कि यह राशि स्वीक्रत न की जाए। क्यो स्वीकृत नही हुई है इसका कारण भी नही एक मजबूर पिता को नही बताया। 

सवाल यह है। कि स्वास्थय के नाम पर करोडो रूपए खर्च करने वाले इस शासन के पास इस मजबूर पिता की लाडो के ईलाज की कोई योजना नही हैंं,है तो उसे फ्लो क्यो नही कराया जा रहा हैं उसे आफिस-आफिस क्यो घुमाया जा रहा हैं।  

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