अंगद के पांव की तरह जमे बैठे थे DPC, 3 बार हटे पर पुन: डटे, खबरों में छाए रहे | Shivpuri News

शिवपुरी। शिवपुरी डीपीसी शिरोमणि दुबे का शिवपुरी का कार्यकाल विवादित ही रहा है। हमेशा सुर्खियो में रहने वाले डीपीसी शिरोमणि दुबे को 3 बार शिवपुरी से हटाया गया हैं,लेकिन पुन:वापसी की हैं,वर्तमान कलेक्टर शिल्पा गुप्ता से उलझ जाने के बाद उन्होने बीआरएस का आवेदन कर दिया था जो अब मंजूर होकर आया है।

20 सितंबर 2011 को शिवपुरी के जिला शिक्षा केंद्र में अशोकनगर से शिवपुरी स्थानांतरित किए गए जिला परियोजना समन्वयक शिरोमणि दुबे के कार्यकाल पर शिवपुरी में 31 जनवरी को अंततः 7 साल की लंबी पारी के बाद पूर्ण विराम लग जाएगा। 

शिवपुरी में दुबे की पदस्थी से पहले महज दो साल में तीन डीपीसी विभिन्ना विवादों के चलते स्थानांतरित कर दिए गए, लेकिन दुबे ने यहां अपनी लंबी पारी खेली। कभी आरएसएस से सार्वजनिक संबंद्धता दर्शाने तो कभी अधिकारियों से सार्वजनिक उलझने को लेकर वे सुर्खियों में बने रहे। करीब तीन साल पहले तत्कालीन शिक्षा मंत्री पारस जैन के दौरे के समय छात्रा बेहोश कांड में उन्हें निलंबित कर दिया गया लेकिन दुबे ने कुर्सी नहीं छोड़ी और महज महीनेभर बाद मंत्री के इस निलंबन आदेश को राज्य शासन ने निरस्त कर दिया। 

इसके बाद कोलारस उपचुनाव के दौरान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिकायत पर उनका भोपाल स्थानांतरण कर दिया गया, लेकिन आचार संहिता खत्म होते ही महज दो महीने बाद दुबे फिर शिवपुरी में पदस्थ कर दिए गए। 

इन दोनों मामलों के बीच शिवपुरी में गणवेश घोटाला उजागर करने के बाद वे फिर सुर्खियों में आए और तत्कालीन कलेक्टर शिल्पा गुप्ता से उनकी तीखी नोंक-झोंक भी हुई, जिसके बाद आनन-फानन में उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दतिया जिले के ग्रामीण क्षेत्र के एक हाई स्कूल का प्राचार्य बनाकर स्थानांतरित कर दिया गया लेकिन दुबे ने इस मामले को न्यायालय में चुनौती दी और न्यायालय ने इस आदेश को निरस्त कर उन्हें पुनः शिवपुरी पदस्थ कर दिया।


पिछले साल 6 अगस्त को जिले में बच्चों को मिलने वाली गणवेश में घोटाले को उजागर करने के बाद बैठक में कलेक्टर शिल्पा गुप्ता से दुबे की हॉट-टॉक हुई थी और तत्समय यह मामला खासा सुर्खियों में रहा था। बैठक के तत्काल बाद उन्होंने अपना स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन भेज दिया था, लेकिन उक्त आवेदन तत्समय मंजूर नहीं हुआ। बकौल दुबे दिसंबर में उन्होंने पुनः आवेदन किया जिसे अब मंजूरी मिल गई है।

जिले में लापरवाह शिक्षकों पर कसावट के लिए दुबे ने करीब 5 साल पहले मोबाइल मॉनीटरिंग शुरू की थी, जिसमें कंट्रोल रूम से प्रतिदिन शिक्षकों को फोन लगाकर उनकी उपस्थिति जांची जाती थी। यह पहल प्रदेश स्तर तक सराही गई तो वहीं विरोध भी हुआ। इस मॉनीटरिंग व भौतिक मॉनीटरिंग के दौरान 200 से अधिक शिक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई दुबे ने की। वहीं बोर्ड परीक्षाओं के दौरान कई बार सामूहिक नकल के प्रकरण भी उन्होंने दर्ज किए।

व्यवस्था में फिट नहीं, विद्याभारती के लिए समय दूंगा
लंबी पारी के बाद रिटायरमेंट से ढाई साल पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले दुबे से जब इसका कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि मेरी जैसी कार्यशैल्ी है वह वर्तमान व्यवस्था में आला अधिकारियों को फिट नहीं लगती और मैं अपनी कार्यशैली बदल नहीं सकता। मैं विद्याभारती का राष्ट्रीय पदाधिकारी हूं। इस संस्था के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पा रहा हूं। इसलिए यह निर्णय लिया है शिक्षा के लिए आगे भी काम करता रहूंगा।