शिवपुरी। शिवपुरी जिला चिकित्सालय के एक परिसर में बच्चों का मरघटखाना (शमसानघाट) बनाने से विवाद गहरा गया है। इस विवाद के बीच जिला अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल परिसर के एक हिस्से में जल्द ही बच्चों के शव दफनाए जाएंगे और इसके लिए जिला अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल परिसर के ही एक भाग में स्थान चिन्हित कर लिया है।
इस स्थान पर मृत बच्चों के शव दफनाने की प्रक्रिया शिवपुरी की एक समाजसेवी संस्था के माध्यम से की जाएगी। जिला अस्पताल परिसर के ही किसी भाग पर बच्चों के शवों को दफनाने की प्रक्रिया किए जाने का यह पहला मामला होगा और संभवत: प्रदेश में अनोखा मामला भी होगा कि किसी सार्वजनिक स्थान को ही अफसरों ने मरघटखाना बना दिया।
अब शिवपुरी जिला अस्पताल में बच्चों की शव को दफनाने से पहले ही यह प्रक्रिया विवादों में घिर गई है। कई लोगों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि जिला अस्पताल परिसर में बच्चों के शव नहीं दफनाना चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक स्थान होता है और यहां सभी लोगों की आवाजाही रहती है।
इसके लिए अन्य स्थान पर दूसरी जगह पर शव दफनाने के लिए स्थान निश्चित हो और वहां पर प्रशासन और समाज सेवी संस्था संयुक्त रूप से वहां मृत बच्चों के शवों को भिजवाए और वहां पर दफनाने की प्रक्रिया पूरी की जाए।
शिवपुरी जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ पीके खरे ने बताया कि हमने इसके लिए शिवपुरी की पूर्व कलेक्टर शिल्पा गुप्ता से अनुमति भी ले ली है। उनका कहना है कि जिला अस्पताल परिसर में किसी कारण से मृत अथवा अर्ध विकसित भ्रूण को इस अस्पताल परिसर में बनाए जाने वाली स्थान पर दफनाया जाएगा, क्योंकि पूर्व में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि अस्पताल में मृत शिशु अथवा अर्द्ध विकसित भ्रूण को कहीं गाड़ा जा सके। ऐसी अवस्था में लोग मृत शिशु के शव को नालों अथवा अन्य स्थानों पर फेंक देते थे।
इस प्रक्रिया को रोकने के लिए अब अस्पताल परिसर के ही एक स्थान पर इन मृत बच्चों के शवों दफनाया जाएगा और इस प्रक्रिया को पूरा कराने के लिए शहर की एक सामाजिक संस्था की मदद ली जाएगी।
शनिवार को जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ पीके खरे, नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह और समाजसेवी संस्था के सदस्य महेंद्र रावत ने अस्पताल परिसर के उस स्थान का निरीक्षण किया यहां पर इन बच्चों के शवों को दफनाया जाना है।
समाजसेवी संस्था के सदस्य महेंद्र रावत ने बताया कि मृत शिशु और अर्ध विकसित भ्रूण को इस स्थान पर हमारी समाज सेवी संस्था स्वयं अपने खर्चे पर दफनाने का काम करेगी जिससे कई लोग जो बच्चों के शवों को नाले अन्य स्थानों पर फेंक जाते हैं उससे मुक्ति मिलेगी। कुल मिलाकर जिला अस्पताल परिसर के ही एक भाग पर बच्चों के शवों को दफनाने की प्रक्रिया किए जाने का यह पहला मामला होगा और पूरे प्रदेश में अनोखा भी होगा। अब अस्पताल प्रबंधन की यह प्रक्रिया विवादों में घिर गई है।
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